डियर बॉलीवुड, होली के गानों में बरसों से कन्सेन्ट के कॉन्सेप्ट की धज्जियां क्यों उड़ाते आये हो?

Sanchita Pathak

Dear Bollywood!


‘सब चंगा सी’ आपकी दया-माया से देशभर में सबकुछ ठीक चल रहा है. गाने के रीमेक की जो अलख जगाई है उसके तो क्या ही कहने? बाबा आंखों से धुंआ, कान से पानी निकालने टाइप गाने! ख़ैर, वो भी बिक रहे, मिलियन्स व्यूज़ में गुलाटियां मार रहे. 

ख़ैर इस पर ‘तार्रुफ़’ फिर कभी करूंगी. हां तो दफ़्तर की छुट्टी के कैलेंडर और मां के घर क्यों नहीं आ रही सवाल ने मुझे बताया कि होली आने वाली है. जैसा कि किसी भी डिजिटल मीडिया हाउस की आबो-हवा और काम-काज का तरीका होता है हमसे भी मांगा गया और हमने आपके पते पर ख़त लिखने की आज्ञा मांगी.  

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वैसे तो मैं उतनी फ़िल्में नहीं देखती, जी हमें किताबों के एनाकोंडा ने निगला था तब से किताबों के बिना गुज़ारा नहीं होता और फ़िल्मी कीड़ा हमारे आस-पास नहीं फड़क पाया अभी तक तो पर बॉलीवुड के बारे में इत्ता-बित्ता ज्ञान है. तो मुंह में आई गाली थूक दीजिए बॉलीवुड जी.


तो इत्ती-बित्ती ज्ञान में कुछ पाठ गानों के भी हैं, गाने पसंद हैं अपन को तो फ़िल्मों की कहानी भी उनके ज़रिए जज कर लेते हैं और फिर नहीं देखते! अभी खाली सलाम दुआ टाइप बातें हो गई मुद्दे पर आती हूं.  

अरे भाई, दिक्कत क्या है महिलाओं से… नहीं सीधे-सीधे बताओ. अभी होली के गानों को ही ले लो. अमा हर गाने में लड़की के साथ ज़बरदस्ती, काहे भाई काहे? आम ज़िन्दगी में किसी को ऐसा करते देखा है और देखा भी है तो उसे बग़ैर पिटे देखा है?


चाहे ‘कटी पतंग’ की ‘आज न छोड़ेंगे बस हमजोली’ हो या खिलाड़ी कुमार की ‘डू मि अ फ़ेवर लेट्स प्ले होली’ या फिर रनबीर की ‘बलम पिचकारी’… तौबा तौबा का मकाम है भाई, तौबा तौबा का मकाम है.  

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होली की जितनी भी कहानियां सुनी हैं उनमें कहीं भी महिलाओं के साथ हो रही ज़बरदस्ती के बारे में तो नहीं सुना तो फिर अपने गानों में ये दिखा के साबित क्या करना चाहते हो? या मैं समझ लूं कि मनचलों को गानों के ज़रिए आईडिया बांटने का काम कर रहे हो. होली के गाने कि बात करें तो ‘अरे जा रे हट नटखट’ गाना बेहद उम्दा है. लड़की कन्सेन्ट के कन्सेप्ट पर बात तो कर रही है! ग़ौरतलब है कि गाने की आगे कि लाइनों में मेरे अरमान तार-तार होते हैं क्योंकि होली खेलने वाले को ‘गाली मीठी लग जाती है.’


‘बलम पिचकारी’ नाचने के लिए अच्छा गाना है पर इसमें कन्सेन्ट शब्द की जो धज्जियां उड़ाई हैं कि नाचते कदम रुक जाएं. बागवान के होली के गाने में भी सेम स्टोरी ब्रो….  

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मतलब ख़त लिखते-लिखते कोई एक ऐसा गाना नहीं मिल रहा जहां सही मायनों में होली को दोनों ही जेंडर इक्वली एनजॉय कर रहे हो. हर हमेशा एक ही कहानी, लड़की मना करती है, लड़का ज़बरदस्ती करता है फिर लड़की मान जाती है और सब मिलकर होली खेलते हैं. मतलब हद है!


बॉलीवुड क्या आपको नहीं लगता कि होली के गानों में भी बदलाव आना चाहिए? आपको भी पता होगा ही कि होली के बहाने लोग क्या-क्या नहीं करते. 

मैं उम्मीद करता हूं कि यू विल ग्रो अप. 

हैप्पी कनसेन्ट वाली होली
संचिता  

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PS: पाठक गणों! हो सकता है कि सामने वाले की नीयत ख़राब न हो पर अगर किसी ने रंग लगवाने के लिए मना किया है तो इसका मतलब मना किया है. किसी के साथ ज़बरदस्ती करना बिल्कुल ठीक नहीं है.  

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