हिंदी पत्रकारिता आज जिस दौर में है उसके लिए सिर्फ़ पत्रकार ही नहीं, बल्कि दर्शक भी ज़िम्मेदार हैं

Sumit Gaur

दिल्ली में बैठे हुए यदि हम बिहार के राजनीतिक हालातों पर चर्चा कर पाते हैं, तो इसमें एक बहुत बड़ा योगदान पत्रकारिता का है, जिसकी वजह से देश-दुनिया की ख़बरें हम तक आराम से पहुंच पाती हैं. 


भारत में पत्रकारिता का इतिहास यहां के स्वतंत्रता संग्राम से भी पुराना है. ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना से ले कर जन-जन के अंदर देशभक्ति की भावना पैदा करने में पत्रकारों और पत्रकारिता ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस तरह की पत्रकारिता से ब्रिटिश सरकार किस हद तक डरी हुई थी, इसका अंदाज़ा 1878 में सरकार द्वारा लाये ‘Vernacular Press Act’ से लगाया जा सकता है, जिसके तहत सरकार को अधिकार दिया गया कि वो किसी भी अख़बार को बिना वजह बताये बंद कर सकती है.

पर वक़्त के साथ-साथ पत्रकार और पत्रकारिता दोनों में बदलाव आया, पहले जो पत्रकारिता जन तक जानकारियां पहुंचाने के लिए की जाती थी, अब उसका मूल उद्देश्य ही धन कमाना हो गया. इसका जीता-जगाता उदहारण आप अख़बार से ले कर न्यूज़ चैनलों तक में देख सकते हैं. ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के मौके पर आज हम आपके लिए कुछ ऐसे ही चैनलों की ख़बरें ले कर आये हैं, जो ख़बरों से ज़्यादा एक कोरी बकवास नज़र आती हैं.

navbharat

हाल ही में एक बड़ी वेबसाइट ने सोशल मीडिया पर चल रहे वायरल कॉन्टेंट के बाजार का भांडा फोड़ा था. इसमें बताया गया था कि कैसे पत्रकारिता के सिद्धांतों को ताक पर रख कर किसी भी घटना को सनसनी ख़बर बना कर पेश किया जा रहा है. सनसनी ख़बरों के इस खेल में बड़े मीडिया संस्थान भी कूदते हुए दिखाई देते हैं, जो अपने नाम का इस्तेमाल करके दर्शकों के बीच ओछी घटना को भी ख़बर के रूप में पेश कर रहे हैं.

इस दौड़ में मुख्यधारा के वो चैनल भी शामिल हैं, जिनके नाम पर लोग आंख बंद कर के भरोसा करते हैं कि अगर यहां ये ख़बर दिखाई जा रही है, तो वो सच ही होगी.

aajtak

मीडिया चैनलों पर ये असर सिर्फ़ सोशल मीडिया तक ही नहीं सीमित है, बल्कि राजनैतिक पार्टियों के प्रभाव में आ कर वो इस परम्परा को प्राइम टाइम पर भी दिखाने में नहीं हिचक रहे.

अब सवाल उठता है कि आखिर पिछले 40 सालों में ऐसा क्या हो गया कि जिस मीडिया ने कभी स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखी थी आज अचानक इतना भटक गया?

इसकी एक बड़ी वजह मीडिया हाउस का कॉपरेट हाउस में बदलना है, जिसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसा कमाना है. इन मीडिया हाउस की कमान एडिटर से ज़्यादा MBA ग्रेजुएट और सेठ-लालाओं जैसे लोगों के हाथों में चली गई है. इसके लिए कहीं न कहीं वो दर्शक भी ज़िम्मेदार है, जो ख़बरों से ज़्यादा ये जानने का इच्छुक बन गया है कि सलमान खान का चक्कर अब किस एक्ट्रेस से चल रहा है.

आपको ये भी पसंद आएगा
IPL फ़ाइनल के बाद लाइमलाइट में आईं रिवाबा जडेजा, सोशल मीडिया पर बनी चर्चा का केंद्र
कमला की मौत: 34 साल पहले आई वो फ़िल्म जिसने अपने समय से आगे बढ़कर उन मुद्दों पर बात की जो अनकहे थे
Mother’s Day पर कुछ एहसास, कुछ अनकही बातें और अनुभव एक मां की तरफ़ से सभी लोगों के लिए
Mothers Day 2023 : वो 10 चीज़ें, जिनके लिए मांओं को दुनिया से माफ़ी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है
बहन के पीरियड्स आने पर भाई ने कर दी हत्या, हैवानियत की इस कहानी में क्या समाज है ज़िम्मेदार?
आख़िर क्यों इस ट्विटर यूज़र की बहन की हाइट के बारे में उसके पिता ने बोला झूठ? हैरान कर देगी वजह