Open Letter: स्वरा भास्कर के नाम जिन्हें सोशल मीडिया पर कुछ भी डालने पर सिर्फ़ गालियां मिलती हैं

Sanchita Pathak

कुछ दिनों पहले की बात है, ट्विटर पर एक मशहूर अभिनेत्री का 10 सेकेंड का वीडियो देखा. अभिनेत्री लाल बागचा राजा के दर्शन करने गईं थीं और उनके जूते चोरी हो गए. मंदिर में जूते चोरी होना तो आम बात है. हमने या आपने ऐसी वीडियो या पोस्ट डाली होती तो ‘सोशल मीडिया फ़्रेंड्स’ का रिएक्शन होता…


‘बहुत बुरा हुआ, लो ये फूल रख लो’
‘तू है ही इसी लायक. ही ही ही’ 
‘आप भी किसी की पहन लेते, पीके नहीं देखी?’ 

ज़्यादातर लोगों या सेलेब्स के साथ यही होता पर इस अभिनेत्री के लिए ये रिप्लाई थे- 

ये अभिनेत्री है स्वरा भास्कर और ये खुला ख़त है स्वरा के लिए. 

Dear स्वरा, 


कैसी हो? मैं आपकी सबसे बड़ी फ़ैन तो नहीं हूं पर मुझे अच्छे से याद है ‘बिंदिया’ और उसका ‘जोया’ कहना. ‘रांझणा’ के ज़रिए मेरी आपसे पहली मुलाक़ात हुई. उस वक़्त करियर की चिंता शीर्ष पर थी और फ़िल्में भी ज़्यादा नहीं देखते थे. पर बिंदिया का किरदार मन में आज भी बैठा है. 

ये ख़त मैं आपकी फ़िल्मों का गुणगान करने के लिए नहीं लिख रही हूं. ये ख़त मैं चिंतित होकर लिख रही हूं. आप बहुत बड़ी हैं हमसे, उम्र, नाम, काम सब चीज़ों में. पर स्वरा मुझे आपके लिए चिंता होती है. मैं आपको ट्विटर पर फ़ॉलो करती हूं पर इच्छा होती है अनफ़ॉलो कर दूं. नहीं, नहीं मुझे आपसे चिढ़ नहीं है और न ही मैं कोई ट्रोल हूं. अनफ़ॉलो करने का एकमात्र कारण है कि मुझसे आपकी यूं ट्रोलिंग बर्दाशत नहीं होती. 

Amar Ujala

मेरी और आपकी कोई जान-पहचान नहीं है. आप शायद मेरे बारे में 1 इंच भी नहीं जानती होंगी पर आपको जिस तरह से बिना बात के इतनी घटिया बातें सुनाई जाती हैं मुझसे देखा नहीं जाता. वैसे तो सोशल मीडिया पर कई लोगों को ट्रोल किया जाता है. पर आपको ही ये ख़त लिखने का बहुत बड़ा कारण है वो ये कि आप कुछ भी करें लोग आपको सिर्फ़ गालियां देते हैं. इतनी गालियां किसी एक इंसान के लिए देखकर मुझे बहुत असहजता महसूस होती है.


चाहे किसी विषय पर विचार प्रकट किया हो, चाहे किसी का मीम रीट्वीट किया हो या फिर चाहे कोई तस्वीर या वीडियो डाला हो. ग़लती से कुछ तारीफ़ें दिख जाती हैं बाक़ी सिर्फ़ गालियां, काम पर ताने, ‘वीरे दि वेडिंग’ के सीन की बातें, गंदे-गंदे नाम… अतिश्योक्ति अलंकार नहीं है पर एक दिन पूरे 30 मिनट आपके ट्विटर पेज को स्क्रॉल करने के बाद दिल भर आया. दिमाग़ को समझ नहीं आया कि इतनी नफ़रत कोई कैसे बर्दाशत कर रहा है, कैसे झेल रहा है, चुपचाप होकर और अपना काम कर रहा है?  

The Hans India

आप ये सब कैसे सह लेती हैं स्वरा? अपने इर्द-गिर्द इतना सब देखकर भी आप कैसे शांत रह पाती हैं और अपना काम जारी रखती हैं. मैंने आपको कभी कदम पीछे लेते नहीं देखा. कभी कहीं गिड़गिड़ाते नहीं देखा. इतनी नकारात्मकता को भी कैसे इग्नोर कर देती हैं आप?


कैसे हर दिन अपने फ़ोन पर ऐसी बातों के बीच दिन गुज़ार लेती हैं? मुझे आर्टिकल पर एक-दो बुरी बातें दिख जाए तो निराश हो जाती हूं, ये सोच लेती हूं कि इस पर बात न करना ही बेहतर हैं. पर आप अपना काम उसी तरह करती रहती हूं, कैसे?  

मुझे आपके लिए सहानुभूति नहीं है बल्कि मैं आपकी हिम्मत की कायल हो गई हूं. इसी तरह चमकते रहिए.


जवाब के इंतज़ार में… 

संचिता  

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