उससे क्यों ऊंची आवाज़ में बोलते हो जानते हो कितना गुस्सैल है?
अरे, ऐसा करने को अकसर क्यों कहा जाता है? क्यों लड़कों का मारापीटी करना इतना सामान्य है? क्यों घर में लोग इन पर बात नहीं करते हैं? हर चीज़ को नॉर्मल कर देना ही सबसे ख़तरनाक बात है. तभी तो आए दिन सड़कों पर और घरों में हिंसा करते लोगों को ये कहकर टाल दिया जाता है कि अरे इसे गुस्सा आ गया होगा.
मैं पूछती हूं कि क्यों गुस्सा आ गया होगा? क्या इसी बात को आराम से नहीं कहा जा सकता था?
मैं आपको बताऊं अभी कुछ ही दिन पहले की बात है मैं मेट्रो फ़ीडर बस में थी. तभी अचानक वो बस एक कार से टकरा गई और उस कार का शीशा टूट गया. जैसे ही ये घटना हुई उस कार से 5 लड़के उतरे जो काफ़ी यंग थे उतरते ही बस ड्राइवर को मारने लगे. बस ड्राइवर की उम्र कुछ नहीं तो 60 साल तो थी. कहां वो 60 साल के और ये सभी लड़के 25 से 28 साल के होंगे. मैंने देखा तो मैंने ड्राइवर को बचाने के लिए उन्हें अपनी तरफ़ खींचा और बस में बैठे बाकी लोगों से कहा कि अरे इन्हें रोकिए. मगर कोई भी आदमी उसमें आगे नहीं आया. तभी मैं और एक लड़की बस से उतरे क्योंकि बाकी लड़के कंडक्टर को मार रहे थे. जैसे-तैसे उनको बचाया.
मैंने उन लड़कों से इतना कहा कि अगर आप इनसे अपने नुकसान का हरजाना ले लेते तो शायद ये सब नहीं होता. क्योंकि आप लोगों को भी पता था कि वो ड्राइवर बूढ़े हैं और कंडक्टर भी कुछ ख़ास मोटा नहीं था तो आपने इन लोगों पर अपना ज़ोर चला लिया. बस में बैठे बाकी भी तो आदमी और लड़के थे उन्हें गुस्सा क्यों नहीं आया? क्यों उन्हें नहीं लगा कि इन लड़कों को मारना चाहिए?
आप बताइए इन लड़कों ने जो किया क्या वो सही था? जिनको लगता है न कि मेरे बेटे का ये नेचर है उन्हीं लोगों के लड़के सड़कों पर ऐसा करते हैं.
एक दूसरा किस्सा बताती हूं जो मेरी फ़्रेंड ने बताया था,
एक दिन वो मेट्रो से बाहर आई तो एक लड़का बड़ी महंगी सी बाइक पर था और उसके आगे एक ऑटोवाला था. भीड़ काफ़ी थी तो जैसे ही लड़के ने गाड़ी रोकी वो अंकल जी ने अपना ऑटो रोक दिया. इस चक्कर में ऑटो पीछे खड़ी उस लड़के की महंगी बाइक से टकरा गया. उस महंगी बाइक से लड़का उतरा और अंकल जी की उम्र का लिहाज़ किए बिना अपनी गाड़ी की ओर इशारा करते हुए गाली देने लगा. उन पर चिल्लाने लगा कि देखो मेरी गाड़ी इतनी महंगी है गिर जाती तो. उसको वो नहीं दिख रहा था तो कि वो सबकी नज़रों में गिरता जा रहा था.
इस लड़के के बात करने के तरीके को आप क्या कहेंगे उसका नेचर? ऐसा नेचर किस काम का जो किसी बड़े की इज़्ज़त न करे. अगर ये उसका गुस्सा था तो वो नॉर्मल नहीं था जिस तरह से इन लड़कों ने रिएक्ट किया वो नॉर्मल गुस्सा नहीं, बल्कि Aggression और Anger है. ये एक गंभीर समस्या है. इसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय अपने लड़कों से बात करिए.
हर छोटी छोटी बात पर गाली गलौच करना और मारने को उतारू हो जाना ये नॉर्मल नहीं हो सकता.
एक बार आप इस रिपोर्ट पर नज़र डालिए. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर तीन में से एक महिला अपने ही पार्टनर के द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा का शिकार होती है. भारत सबसे अधिक हिंसात्मक घटनाओं वाले देशों में से एक है और यहां महिलाएं सबसे ज़्यादा असुरक्षित हैं. इसके अलावा National Crime Records Bureau के 2015 के आंकड़ों की मानें, तो 95.5% बलात्कार में अपराधी किसी न किसी तरह से विक्टिम से जुड़ा हुआ ही है.
अब ये सवाल हर उस इंसान से जिसे लड़कों का गुस्सा सामान्य और उनका व्यवहार लगता है, वो मुझे बताएं अगर ये सामान्य होता तो ये रिपोर्ट नहीं आती. क्यों हमने गुस्से को व्यवहार मान लिया है? हमारी इसी भूल ने इस देश को ख़तरनाक और असुरक्षित देश की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. तो अगली बार जब आपका लड़का तेज़ आवाज़ में बात करे तो उसे रोकने की कोशिश करें उसे नज़रअंदाज़ मत करें.