भाई तुम ये जो सड़क किनारे सू-सू करते हो, इसकी कोई वाजिब वजह है क्या?

Kratika Nigam

लड़कों, सड़क के किनारे पेशाब करना तुम्हें गर्व, शान और शहंशाही लगती है, लेकिन तुम्हारी ये हरकत बाकि लोगों के लिए एक सज़ा की तरह होती है. सड़क से गुज़रने पर बदबू आना या कुछ लोग इतनी बेशर्मी से करते हैं कि उन्हें तो शर्म नहीं आती लेकिन आस-पास के लोगों की नज़रें ज़रूर झुक जाती हैं.    

oneindia

इससे जुड़ा एक क़िस्सा सुनाती हूं, एक दिन मेरी छोटी बहन और मम्मी घर आईं तो वो गुस्से में कुछ बड़बड़ा रही थीं. शर्म नहीं आती वगैरह-वगैरह. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने जाकर पूछा कि क्या हुआ? वो शॉपिंग गई थीं तो मुझे लगा दुकानवाले ने ठग लिया है इसीलिए चिल्ला रही हैं.

idiva

जब उन्होंने वजह बताई कि एक लड़का उसी बस स्टैंड के पीछे जहां थोड़ी जगह थी वहां पेशाब कर रहा था. और उसे शर्म भी नहीं आ रही थी कि सब खड़े थे. और वो आराम से पेशाब कर रहा था. वो ये बताते हुए बिलकुल आग बबूला हो गईं, तो मैं वहां से चली गई. 

flickr

क्योंकि जिस बात के लिए वो इतना गुस्सा हो रही थीं, मैं तो उसे आए दिन झेलती हूं. मैं ऑफ़िस जाती हूं और वो लोग कभी-कभी बाहर निकलते हैं. मगर इस बात को मैंने आई-गई नहीं किया. ये बात मुझे सताती रही. मगर समझ नहीं आ रहा था कि इसका जवाब मांगू किससे कि आख़िर लड़के ऐसा करते क्यों हैं? क्यों वो पब्लिक टॉयलेट नहीं जाते?

dnaindia

तो मैंने ये सवाल उन्हीं से पूछा जिनकी हरकत ने मेरी मम्मी को इतना गुस्सा दिलाया था. उस गुस्से की वजह से उस दिन मेरा भाई पिट जाता. क्योंकि वो भी एक लड़का है और मम्मी को लगा कि वो भी ऐसा करता होगा. ख़ैर, उसे तो मैंने बचा लिया. लेकिन लड़कों तुम्हें इसका जवाब देना होगा.

telugubullet

इसलिए मैंने कुछ लोगों से इसका कारण जानने के लिए पूछा कि लड़के सड़क किनारे पेशाब क्यों करते हैं और जो जवाब मिले वो आपको ज़रूर पढ़ने चाहिए. 

1. मैंने कभी नहीं किया क्योंकि मुझे ये सड़क किनारे पेशाब करना अच्छा नहीं लगता है. मगर और लोगों की बात करूं तो कुछ की मजबूरियां होती हैं. कुछ ने इसे आदत बना लिया है, उन्हें ये काम ग़लत लगता ही नहीं. उनके लिए पेशाब करना एक सामान्य क्रिया है और सड़क किनारे करना एक सामान्य काम होता है.

thehindu

2. जहां तक हो सके मैं सड़कों पर पेशाब करना अवॉइड करता हूं. अगर कभी इमरजेंसी हुई भी तो मैं पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करता हूं.  

timesofindia

3. क्योंकि मेरी परवरिश गांव की है, तो हमारे लिए ये आम बात है. मगर शहर में आने के बाद मैं इस बात का ध्यान रखता हूं कि किसी पब्लिक टॉयलेट में ही जाऊं. मगर जब टॉयलेट नहीं होता है और प्रेशर होता है तो कुछ नहीं सूझता है. 

4. बचपन से ही हमें बाहर कहीं भी सूसू करा दी जाती थी. इसलिए अब शर्म नहीं आती है. सड़क पर पेशाब करना हम लड़के अपनी शान समझते हैं. पब्लिक टॉयलेट इसलिए नहीं जाते हैं क्योंकि वो बहुत गंदे होते हैं और कंट्रोल करना मुश्किल होता है.  

indiatimes

5. वैसे तो मैं रोड किनारे या फिर किसी दीवार के कोने में जाकर पेशाब करने के सख़्त ख़िलाफ़ हूं. लेकिन जब तेज़ की लगी हो और आस-पास कोई टॉयलेट न हो तो मजबूरन करना ही पड़ता है. हां, बुरे वक़्त में मैंने भी किया है और मैं इसे दुःखी मन से स्वीकार भी करता हूं.

fakingnews

6. एक का जवाब सुनकर तो आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे. एक लड़के का कहना था कि वो नहीं करता ऐसा लेकिन जब दूसरे लड़के उस जगह पर भी पेशाब करते हैं जहां बड़ा-बड़ा लिखा होता है कि ‘पेशाब करना मना है’ तो बहुत गुस्सा आता है.

ahram

7. एक ने जवाब दिया कि वैसे तो नहीं करनी चाहिए, लेकिन अगर आई है तो करनी पड़ जाती है.

khancious

8. कोई भी खुले में पेशाब नहीं करना चाहता है. हां, मेंने भी की है जब मेरा ब्लैडर फटने वाला था और आस-पास कोई सुविधा नहीं थी. मैंने लोगों से सुना है कि ब्लैडर पर ज़्यादा ज़ोर नहीं आना चाहिए, नहीं तो कई तरह की बीमारियां होने का ख़तरा रहता है.

thelocal

9. वैसे तो मैं हमेशा ही कोशिश करता हूं कि पेशाब बाथरूम में ही करूं. कई बार कंट्रोल भी कर लेता हूं पर कभी-कभी जब कंट्रोल के बाहर हो जाती है और आस-पास पब्लिक टॉयलेट नहीं होता है. तो फिर सड़क के किनारे करना पड़ता है. मुझे पता है ये ग़लत है लेकिन सेहत पहले है फिर कुछ और.

scoopwhoop

10. पहली बात तो ये कि मैंने कभी ऐसा किया नहीं क्योंकि मुझे आज तक समझ नहीं आया कि ऐसी भी क्या इमरजेंसी हो जाती है. प्रेशर तो धीरे-धीरे बनता है न, अचानक तो प्रकट होता नहीं है. ऐसे में उस बेचारी दीवार या सड़क किनारे लगी घांस की क्या ग़लती है, जिसे तुम्हारी बेसब्री की मार (या कहें धार) झेलनी पड़ती है.

iowastatedaily

कुछ की मजबूरी है तो कुछ को मज़ा आता है. भाई लोगों टॉयलेट बने हैं आप वहीं करिए ताकि आने-जाने वाले लोग आराम से निकल सकें. मेरी मम्मी की तरह गुस्सा होकर घर न लौंटे.

आपको ये भी पसंद आएगा
IPL फ़ाइनल के बाद लाइमलाइट में आईं रिवाबा जडेजा, सोशल मीडिया पर बनी चर्चा का केंद्र
कमला की मौत: 34 साल पहले आई वो फ़िल्म जिसने अपने समय से आगे बढ़कर उन मुद्दों पर बात की जो अनकहे थे
Mother’s Day पर कुछ एहसास, कुछ अनकही बातें और अनुभव एक मां की तरफ़ से सभी लोगों के लिए
Mothers Day 2023 : वो 10 चीज़ें, जिनके लिए मांओं को दुनिया से माफ़ी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है
बहन के पीरियड्स आने पर भाई ने कर दी हत्या, हैवानियत की इस कहानी में क्या समाज है ज़िम्मेदार?
आख़िर क्यों इस ट्विटर यूज़र की बहन की हाइट के बारे में उसके पिता ने बोला झूठ? हैरान कर देगी वजह