कैसे कुछ लोग सिर्फ़ अपने बेस्ट फ़्रेंड हैं और ख़ुश हैं!

J P Gupta

करण जौहर ने हमें सिखाया ‘दोस्ती में सुकून है’ पर क्या वाक़ई? बॉलिवुड ने एक फ़िल्म दी, जो डॉयलॉग की तरह हम लोगों के बीच बस गई.. ‘मुझसे दोस्ती करोगी’. लेकिन सवाल ये है कि क्या वो ज़रूरी है? दोस्ती और लोगों का साथ का आईडिया हम लोगों के बीच में इतना ज़्यादा डिसकस और प्रैक्टिस किया हुआ है कि लोगों और दोस्तों के बिना ज़िंदगी के बारे में सोचना लगभग नामुमकिन लगता है. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस सब के बारे में सोच पाए और उन्हें लगा, ‘मैं अपना/अपनी फ़ेवरेट हूं’.  

सालों से बॉलिवुड ने हमें दोस्ती के इतने टेंपलेट दिए हैं, जो किसी एक दोस्त या दिल पर आकर ख़त्म हो जाते हैं. और अगर आपका टीनएज करण जौहर की फ़िल्में देख कर बीता है तो बाद के सालों में काफ़ी पचड़े हुए होंगे. 

खै़र कुछ लोगों से पूछा गया कि वो दोस्ती के बारे में क्या सोचते हैं? क्या उन्हें लगता है कि लाइफ़ में दोस्त होना बहुत ही ज़रूरी है. तो मिले कुछ दिलचस्प जवाब. पढ़िए उन्हें.  

रोशनी शिंदे मुम्बई में एक आर.जे. हैं. उन्हें लगता है कि अगर आप शांति भरा जीवन चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले ऐसे लोगों से दूर रहना ज़रूरी है, जो आपके ‘दोस्त’ हैं और एक्चुली में बहुत ही टॉक्सिक हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रोशनी कहती हैं कि दोस्त वो होता है जो जजमेंटल नहीं होता. जो आपकी जीत में आपके लिए तालियां बजाता है और जब आप उदास होते हैं, तो आपके क़रीब चुपचाप बैठ सकता है. मैं बहुत सारे लोगों(दोस्तों) के बजाय कुछ लोगों के आसपास होना पसंद करती हूं. लेकिन दोस्ती ऐसी हो, जिस पर मरा जा सके. 

एक बहुत पुरानी कहावत है कि निंदक नियरे रखिए. लेकिन ये बात ना आज के टाइम पर सूट नहीं करती. क्योंकि लोग नहीं चाहते कि आप बोलें. और फिर फ़्रीडम, प्रिवेसी, सेक्स ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जहां बोलते ही लोग आपका मुंह बंद कर देना चाहते हैं. और कई बार तो कैसी भी दोस्ती हो, टूटने की नौबत आ जाती है. क्योंकि लोग वो बातें सुनना ही नहीं चाहते, जो उनके ओपीनियन से अलग हो. और बदकिस्मती से बॉलिवुड इस सब पर ना के बराबर ही बात करता है. 

राजुल वर्मा, लखनऊ में रहती हैं. वो कहती हैं कि उनके ज़्यादातर दोस्त शहर के बाहर रहते हैं. अपनी तरह के दोस्त होना अमेज़िंग है. मैं अपने दोस्तों के बीच बहुत अच्छा महसूस करती हूं लेकिन मुझे अकेले अपने साथ होना भी बहुत पसंद है. मेरे लिए दोनों सिचुएशन विन-विन हैं. 

दिल्ली में रहने वाले प्रवीण एमबीबीएस ग्रेजुएट हैं. वो इस समय आईएस की तैयारी कर रहे हैं. वो कहते हैं कि उन्हें जीवन में बहुत सारे अच्छे लोग मिले. उन्होंने बहुत सारे लोगों का मुफ़्त इलाज किया. ढेरों लोगों ने उन्हें यूंही लिफ़्ट दी लेकिन अगर आप एक बेस्ट फ़्रेंड का नाम पूछेंगे तो मेरे पास कोई नाम नहीं है. 

मुम्बई के एक टीनएजर मोहित सोचते हैं कि दोस्ती काफ़ी डिमांडिंग होती है. मैंने ख़ुद को बहुत सारे लोगों से अलग किया. मैं जानता हूं कि मैं कौन हूं. किस क़ाबिल हूं. मैं लोगों के पीछे नहीं भागता. मैं अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में रहता हूं और कभी-कभी कुछ चुनिंदा लोगों से मिलता हूं. 

इस समय बहुत सारे लोग ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जी रहे हैं. उनकी लाइफ़ में कोई बेस्ट फ़्रेंड या फ़्रेंड फ़ॉर एवर नहीं हैं, जो कि बहुत नॉर्मल है. तो अगर आप भी ऐसे ही इंसान हैं तो ख़ुद को बिल्कुल जज मत करिएगा. 

और ज़रूरत इस बात की है कि इस फ़्रेंडशिप डे पर आज ख़ुद को अपना बेस्ट फ़्रेंड होने के लिए शाबाशी दें. 

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