ऐसी भक्ति कहीं देखी है? इस भक्त ने पैदल ही कर लिए 12 ज्योतिर्लिंग के साथ 52000 मंदिरों के दर्शन

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भारत में ईश्वर को लेकर लोगों के मन में अटूट श्रद्धा है. भक्त तरह-तरह से भगवान के प्रति अपनी भक्ति दर्शाते नज़र आते हैं. कोई एक पैर पर खड़ा होकर साधना करते दिखाई देता है, तो कोई साइकिल से ही मन्दिरों के दर्शन करने निकल पड़ता है.

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एक ऐसे ही भक्त पूर्णिया के अविनाश कुमार झा (Avinash कुमार Jha) भी हैं. इनकी भगवान के प्रति आस्था इतनी गहरी थी कि इन्होने पैदल ही 12 ज्योतिर्लिंग, चारधाम के साथ 52000 मंदिरों के दर्शन कर लिए. जब वो वापिस अपने घर लौटे, तो उनका भव्य तरीक़े से स्वागत किया गया. आइए आपको इनके बारे में बता देते हैं.

पैदल भ्रमण कर दर्शन करने का लिया था संकल्प

दरअसल, अविनाश कुमार झा पूर्णिया के सरसी बोहरा के रहने वाले हैं. वो 8 सितंबर 2022 को अपने घर से द्वादश ज्योतिर्लिंग के लिए निकले थे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वो द्वादश ज्योतिर्लिंग तक पैदल ही भ्रमण करेंगे. वो अपनी यात्रा सफ़लपूर्वक पूरी करने के बाद अब हाल ही में अपने घर पहुंचे हैं. जहां उनका फूल-माला से लोगों ने ज़ोरदार तरीक़े से स्वागत किया.

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कई मुश्किलों का करना पड़ा सामना

अविनाश कुमार झा के मुताबिक़, वो अब तक 16000 किलोमीटर का सफ़र पैदल तय कर चुके हैं. उन्होंने चार धाम के 12 ज्योतिर्लिंग का तो दर्शन किया ही है. साथ ही 520000 मन्दिरों के भी इस दौरान दर्शन किए हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरान उनके रास्ते में कई मुश्किलें आईं, लेकिन वो आगे बढ़ते रहे. उन्होंने महादेव पर समर्पित होकर अपने लक्ष्य को पूरा किया. उन्होंने साथ ही सभी सभी धर्म को आपस में एकजुटता के साथ रहने के लिए संदेश भी दिया.

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इस शिव भक्त की स्टोरी भी हुई थी वायरल

इससे पहले, कांवड़ यात्रा के दौरान एक शिव भक्त की स्टोरी भी वायरल हुई थी, जो 13 सालों से एक पैर पर कांवड़ लेकर आ रहा है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के दिवाकर कुमार की. दिवाकर एक पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन इनके मन में महादेव के लिए इतनी श्रद्धा है कि वो सुल्तानगंज से जल भर कर भोले बाबा की नगरी झारखंड के देवघर के लिए चल पड़े थे. हैरानी की बात ये है कि दिवाकर पिछले 13 साल से एक पैर से भोले बाबा को जल अर्पण करने सावन के महीने में जा रहे हैं. ये भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा का ही नतीजा है कि वो हर साल एक पैर से कांवड़ यात्रा करके भगवान को जल अर्पित करते हैं.

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