Story Of Kishore Jena Who Got Silver Medal In Asian Games : एशियन गेम्स 2023 (Asian Games 2023) में मेन्स जैवलिन थ्रो (Men Javelin Throw) इवेंट में भारतीय ख़िलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद उनकी चर्चा चारों तरफ़ हो रही है. हालांकि, उनके अलावा एक और ख़िलाड़ी था, जिन्होंने इस प्रतिस्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया. वो ख़िलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि किशोर जेना (Kishore Jena) हैं. वो नीरज चोपड़ा से सिर्फ़ एक क़दम पीछे रहे और उन्होंने 87.54 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल जीता.
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सिल्वर मेडल जीतने के बाद किशोर जेना की तारीफ़ों से सोशल मीडिया खचाखच भरा है. हालांकि, यहां तक पहुंचने का उनका सफ़र बेहद संघर्ष भरा रहा है. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
खेती करते हैं किशोर के पिता
जैवलिन थ्रोअर किशोर कुमार जेना ओडिशा के पुरी जिले के कोथासाही गांव से हैं. उनके परिवार में उनके अलावा उनके माता-पिता और उनसे छह बड़ी बहनें हैं. किशोर के पिता चावल की खेती करते हैं. उनका एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार है. किशोर के परिवार में कोई भी खेलों से नहीं जुड़ा है. हालांकि, आर्थिक अड़चनों के बावजूद, किशोर के पिता ने हमेशा उनका साथ दिया. शुरुआत में वो पहले वॉलीबॉल खेलते थे. लेकिन 2015 में उन्होंने जैवलिन थ्रो खेलना शुरू किया है. इसकी शुरुआत उन्होंने भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल से की. अब वो पटियाला साईं केंद्र का हिस्सा हैं.
पिछले 2 सालों से नहीं गए घर
किशोर के मुताबिक, जैवलिन थ्रो के लिए कड़ी तैयारी कर रहे किशोर पिछले दो साल से घर तक नहीं जा पाए हैं. वो आख़िरी बार साल 2021 में घर गए थे. उनका कहना है कि ब्रेक लेने से लय टूट जाती है. उनकी खेल के प्रति लगन इस कदर है कि वो कई दिनों तक माता-पिता का चेहरा तक नहीं देख पाते हैं. दोनों को स्मार्टफ़ोन चलाना नहीं आता है. इसलिए जब उनकी बहन घर पर आती है, तो वो उनके माता-पिता से वीडियो कॉल पर बात करवाती है.
उच्चस्तर टूर्नामेंट में पहला पदक
जेना का उच्चस्तर टूर्नामेंट में ये पहला पदक है. इस साल पहली बार उन्होंने विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भाग लिया था. उस दौरान वो पदक नहीं जीत पाए थे और पांचवें पायदान पर थे. अब एशियाई खेलों में जेना ने इस कमी को पूरा कर लिया है. अब वो अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक पर अपना ध्यान फ़ोकस कर रहे हैं.
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