दीपावली की रात क्यों दी जाती है उल्लू की बलि, जानिये क्या है इसके पीछे की वजह?

Kratika Nigam

दीपावली रौशनी और प्यार बांटने का त्यौहार है. इस दिन लोग अपने-अपने घरों को सजाते हैं और रौशनी से जगमगाते हैं. मगर कुछ लोग इस दिन सुख और समृद्धि के लिए पूजा पाठ के अलावा अंधविश्वास का सहारा लेते हैं. इसके चलते वो ऐसे ऐसे काम करते हैं, जो नहीं करने चाहिए. ऐसा ही एक अंधविश्वास है दिवाली के दिन उल्लुओं की बलि देना.

news18

ये भी पढ़ें: आगरा के जगनेर क़िले में स्थित ‘ग्वाल बाबा’ का वो मंदिर, जिसे लेकर हैं कई मान्यतायें और अंधविश्वास

हम भले ही आज चांद को छूने की बातें करते हैं, लेकिन अंधविश्वास के मामले में आज भी वहीं खड़े हैं. आइए जानते है क्या है इसके पीछे का कारण?

ये अंधविश्वास है बलि देने के पीछे

langimg

ये भी पढ़ें: कभी सोचा है दिवाली भगवान राम का त्यौहार है, तो इस दिन गणेश-लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है?

TOI में छपी रिपोर्ट के अनुसार,

धार्मिक मान्यताओं में उल्लू को लक्ष्मी माता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए लोगों का ये अंधविश्वास है कि धनतेरस या दीवाली के दिन उल्लू की बलि देने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं. सिर्फ़ इस अंधविश्वास के चलते लोग उल्लुओं की बलि देने का पाप करते हैं.

उल्लू को ऐसे किया जाता है तैयार

dailymail

उल्लू को बलि के लिए बहुत ही अजीब तरीक़े से तैयार किया जाता है. इसके लिए उल्लुओं को दिवाली से 45 दिन पहले ही बाज़ारों से ख़रीदकर घर ले आते हैं. फिर इन्हें रोज़ शराब पिलाई जाती है. इसके बाद दीपावली वाले दिन इसकी बलि देकर इसके कान, आंख और पंखों की भी पूजा करते हैं.

बलि देने के होते हैं नियम

wp

उल्लू की बलि देने के लिए कई तांत्रिकों की मदद ली जाती है, जो शख़्स उल्लू की बलि देता है उसे आधी रात में नहाना पड़ता है. नहाने के बाद उसे बस धोती पहननी होती है बाकी शरीर पर कोई कपड़ा नहीं होता  और आंखें बंद होती हैं. तांत्रिक मंत्रों का जाप करते हुए उल्लू को सफ़ेद कपड़े में लेपटते हैं और फिर शराब पिलाते हैं. माना जाता है, कि बलि के दौरान महिलाएं और बच्चों को सामने नहीं होना चाहिए. अगर बच्चे बलि देख लें तो उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है और महिलाएं बांझ हो जाती हैं.

बड़े उल्लू की ज़्यादा मांग 

WWF की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पाई जाने वाली उल्लूओं की 30 प्रजातियों में से 15 दिवाली में बलि के लिए प्रयोग किए जाते हैं. बलि में सबसे ज़्यादा बड़े उल्लुओं की मांग होती है. इसके अलावा, The Indian (Rock) Eagle Owl, Brown Fish Owl, Dusky Eagle Owl, Indian Scops Owl और Mottled Wood Owl… इन 5 प्रजातियों की मांग सबसे ज़्यादा है क्योंकि ये आकार में बड़े होते हैं.

observation

महंगे बिकते हैं उल्लू

pri

ये तो आप सब लोग जानते हैं, कि त्यौहार के समय हर चीज़ की क़ीमत दोगुनी-चौगुनी हो जाती है. ऐसा ही कुछ उल्लुओं के साथ भी होता है. ऑफ़ सीज़न उल्लू या कोई भी पक्षी 400 से 500 रुपये के बीच मिल जाते हैं. मगर दिवाली के समय उल्लुओं की ये क़ीमत बढ़कर 10,000 रुपये हो जाती है. इसी के चलते उल्लुओं की तस्करी भी ज़बरदस्त होती है.

ग़ैरक़ानूनी है उल्लू को मारना

latestly

आपको बता दें, भारतीय क़ानून के अनुसार, उल्लू को मारना या बलि देना दोनो ही ग़ैर-क़ानूनी हैं, जिसके लिए सज़ा का प्रावधान है. इसके अलावा उल्लू की तस्करी करने की सज़ा 3 साल है. 2016 में New Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के मालनाड क्षेत्र में शिकारी उल्लू पकड़ते हैं और उन्हें कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में इनकी तस्करी की जाती है.

आपको ये भी पसंद आएगा
India’s Tribal Festivals: ये हैं 8 भारतीय आदिवासी फ़ेस्टिवल जहां हमें दिखता है रंग-बिरंगा भारत
केरल में मनाया जाता है ऐसा त्यौहार, जहां पुरुष महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करके जाते हैं
ग्रीस की होली: भारत की तरह रंगों से नहीं, बल्कि आटे से जमकर खेली जाती है होली
कहीं आत्मा को खिलाते हैं खाना तो कहीं फेंकते हैं आटा, ये हैं दुनिया के 5 अजीबो-ग़रीब त्यौहार
Diwali 2022 Quotes In Hindi: अपने दोस्तों और प्रियजनों को ये 40+ Diwali Quotes और Wishes भेजकर दें दिवाली की शुभकामनाएं
11 या 12 अगस्त! जानिए कब है रक्षाबंधन, कब बांधी जाएगी राखी और कौन से दिन है शुभ मुहूर्त?