Harita Kaur Deol: 22 साल की उम्र में अकेले वायुसेना का विमान उड़ाने वाली पहली महिला पायलट

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Harita Kaur Deol: ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ से लेकर ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ तक भारतीय सेना (Indian Army) में हमेशा से महिलाओं की भागीदारी रही है. लेकिन पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की संख्या बेहद कम रही. आज़ादी के बाद भी ये संख्या बढ़ी नहीं, लेकिन भारतीय सेना में पिछले कुछ सालों में महिलाओं की भागीदारी काफ़ी बढ़ गई है. वर्तमान में भारतीय सेना में (थल सेना, जल सेना और वायु सेना) में कुल 9,118 महिला जवान कार्यरत हैं. लेकिन आज हम बात भारतीय वायुसेना की जांबाज ऑफ़िसर पायलट हरिता कौर देओल (Harita Kaur Deol) की करने जा रहे हैं.

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भारतीय सेना (Indian Army) में 1992 में गैर-चिकित्सा भूमिकाओं में महिला अधिकारियों को शामिल करना शुरू किया था. रुचि शर्मा साल 1996 में शामिल होने वाली भारतीय सेना की पहली ऑपरेशनल पैराट्रूपर बनी थीं. प्रिया झिंगन साल 1993 में भारतीय सेना में कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल होने वाली पहली 25 महिलाओं में से एक हैं. शांति तिग्गा साल 2011 में भारतीय सेना में पहली महिला जवान (निजी रैंक) थीं. भारतीय वायुसेना जांबाज ऑफ़िसर हरिता कौर देओल के नाम भी एक ऐसा ही रिकॉर्ड है. 

पिता थे भारतीय सेना में कर्नल

हरिता कौर देओल (Harita Kaur Deol) का जन्म, 10 नवंबर, 1971 को चंडीगढ़ में हुआ था. उनके पिता आर. एस. देओल भारतीय सेना में कर्नल थे. हरिता की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पंजाब में ही हुई. लेकिन वो बचपन से ही भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) से जुड़ना चाहती थी. कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद हरिता वायुसेना में शामिल होने के लिए मेहनत करने लगीं. 

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भारतीय वायुसेना का इंट्रेस किया क्लियर 

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने सन 1992 में महिला विमान चालकों को शामिल करने का निर्णय लिया. तब वायुसेना ने महिला वायुचालकों के लिए 8 वैकेंसी निकालीं. इस दौरान क़रीब 20,000 महिलाओं ने लिखित परीक्षा दी और 500 महिलाएं प्रवेश परीक्षा के लिए चयनित की गईं. लेकिन इनमें से केवल 7 ही सेलेक्ट हो पाईं. साल 1993 में शॉर्ट सर्विस कमिशन ऑफ़िसर्स (Short Service Commission Officers) के ज़रिए 7 महिलाएं भारतीय वायु सेना से जुड़ीं. इन्हीं में से एक हरिता कौर देओल (Harita Kaur Deol) भी थीं.

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इन 7 महिलाओं ऑफ़िसर्स की ट्रेनिंग हैदराबाद के ‘डुंडीगल एयर फ़ोर्स अकेडमी’ में हुई. ट्रेनिंग के बाद हरिता कौर को बेंगलुरु के Yelahanka Air Force Station में तैनाती मिली.हरिता कौर देओल ने यहीं पर भारतीय महिलाओं के लिए रास्ते बनाने के साथ ही भारतीय वायुसेना का इतिहास ही बदल दिया. हरिता ने 2 सितंबर, 1994 को केवल 22 की उम्र में बिना को-पायलट के Avro HS-748 प्लेन को 10,000 फ़ीट की ऊंचाई तक अकेले उड़ाया था. ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला बन गईं. 

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हरिता कौर देओल ने तब मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘मैं ख़ुश हूं कि मैंने अकेले विमान उड़ाया और अपने Instructor की उम्मीदों पर खरी उतरी. पहले मैं अपने माता-पिता से बात करूंगी और शायद आज की जीत का जश्न अपने दोस्तों के साथ वीकेंड में मनाऊं’. 

इतिहास रचने के केवल 2 साल बाद ही हरिता कौर देओल ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 25 दिसंबर, 1996 को नेल्लोर (Nellore) में हरिता समेत 24 भारतीय वायु सेना के जवान एक प्लेन क्रैश में मारे गए. तब हरिता की उम्र केवल 24 साल थी. हरिता की उपलब्धि इतनी बड़ी थी कि आज उनकी ये कहानी देश देश की लाखों महिलाओं को प्रेरित करने का काम कर रही है. 

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