महिलाओं के शरीर में हर महीने होने वाली ‘प्राकृतिक’ प्रक्रिया, माहवारी या Menstrual Cycle आज भी दुनियाभर के लोगों के लिए एक चुप्पी या शर्म का विषय बना हुआ है. इतना ही नहीं हम बचपन से अपने घर की महिलाओं को भी यही सिखाते आए हैं कि Periods होना शर्म की बात है. छोटे से ही उन्हें अपना पेट पकड़ कर दर्द झेलना सिखा दिया जाता है बिना किसी आवाज़ के क्योंकि किसी को पता नहीं चलना चाहिए की तुम्हें पीरियड्स हैं.
अगर आप भी उनमें से हैं जिनको पीरियड्स का नाम सुनकर घिन आती है या इस पर बात करने से शर्म होती है. तो कुछ आंकड़े पढ़िए, फिर दोबारा सोचिए:
– हम इस हद तक इस पर बात करने से कतराते हैं कि भारत में 71% लड़कियों को माहवारी के बारे में तब पहली बार पता चलता है जब वह इसका अनुभव ख़ुद करती हैं.
– अगर बात भी होती है तो Sanitary Products का इस्तेमाल इस देश में एक लक्ज़री है. भारत में लगभग 355 मिलियन आबादी वाले महिलाओं के देश में मात्र 36% ऐसी महिलाएं हैं जो सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं बाक़ी पुराने कपड़े, राख, मिट्टी जैसी चीज़ों का उपयोग करती हैं. इन चीज़ों के इस्तेमाल की वजह से देश में हर साल हज़ारों महिलाऐं गंभीर रूप से बीमार हो जाती हैं या अपनी जान भी खो देती हैं.
– हर साल 23 मिलियन लड़कियां Menstrual Cycle शुरू होने के बाद स्कूल छोड़ देती हैं. वजह? टॉयलेट का न होना या होकर भी गंदा होना, उन में पानी न होना.
– 2018 में सरकार ने सैनिटरी पैड्स पर से 12% का टैक्स हटाकर उसे महिलाओं के लिए टैक्स फ़्री कर दिया. हां, ये एक बेहद लंबी लड़ाई में छोटी सी जीत तो है लेकिन पैड्स ख़रीदना आज भी करोड़ों महिलाओं के लिए सोने से कम नहीं है. हमारे देश में आपको 10 रुपये की थाली मिल जाएगी मगर एक पैड की क़ीमत आज भी 30 रुपये है.
पीरियड्स कोई चॉइस नहीं है ये हर महिला की ज़िन्दगी का एक ‘आम’ हिस्सा है, जिसपर हम सब को बात करनी ही चाहिए. माहवारी में शरीर की स्वच्छता और पैड्स जैसे Menstrual Products दोनों ही बहुत ज़रूरी होते हैं. वो उदाहरण जिन्होंने इस बात को समझा और महिलाओं के लिए पीरियड्स आसान बनाए:
1. फ़्रांस की सरकार ने हाल ही में सभी छात्रों के लिए पीरियड उत्पादों को मुफ़्त में देने की पहल की है. सरकार अपने देश से Period Poverty हटाना चाहती है.
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2. यात्रा के दौरान महिलाओं को दिक़्क़त न हो इसलिए चेन्नई मेट्रो रेल ने शहर के 39 मेट्रो स्टेशंस पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई है.
3. तमिलनाडु के कुड्डालोर पुलिस ने जिले भर में 65 स्थानों पर सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई है. इतना ही नहीं ये सभी पैड पर्यावरण के अनुकूल भी हैं.
4. केरल की Left Democratic Front पार्टी ने सभी सरकारी दफ़्तरों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने का फै़सला लिया था.
5. लाल भाटिया, जो अपनी पुस्तक ‘इंडोलाइट गोलाइत’ के कारण लोकप्रिय हुए थे उन्होंने पश्चिम बंगाल के कई स्कूल और कॉलेजों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगवाई हैं.
6. Menstrual Hygiene को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार ने सभी स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाने का फै़सला लिया था.
7. सूरत में एक रेस्टोरेंट के मालिक ने अपने यहां सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगा रखी है. जिससे ज़रूरत पड़ने पर महिलाएं यहां से पैड ले सकें. ये पैड मुफ़्त में दिए जाते हैं.
8. छात्राओं के बीच Menstrual Hygiene को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें स्कूलों में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखंड के चमोली जिले के सरकारी स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगी हुई हैं.
9. न्यू ज़ीलैंड की PM ने सभी स्कूलों में छात्राओं को पैड्स और अन्य पीरियड उत्पाद मुफ़्त में देने की बात रखी है. वह नहीं चाहती की कोई भी बच्ची माहवारी की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ दे. इसके साथ ही वो Period Poverty को अपने देश से ख़त्म करना चाहती हैं.
10. 2015 में लखनऊ के अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज ने माहवारी के दिनों में होने वाली मुश्किलों को देखते हुए कॉलेज में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगवाई थी.
11. महिलाओं की ज़रूरत का ध्यान रखते हुए पंजाब सरकार ने 2019 में राज्य के मुख़्य इलाक़ों में कुल 60 सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगवाई थीं. महिलाएं इन मशीनों से मुफ़्त में पैड ले सकती हैं.
12. महाराष्ट्र के ठाणे में देश का पहला ‘पीरियड रूम‘ बनाया गया है. बस्तियों में रह रही महिलाओं के लिए यह एक बहुत अच्छा क़दम है जिनको माहवारी के दिनों में स्वच्छता का ख़ासा ध्यान रखने की ज़रूरत होती है.
माहवारी कोई बीमारी नहीं है इस पर खुल कर बात करें.