Temples of Varanasi: वाराणसी यानी बनारस भारत के इतिहास में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. गंगा के किनारे बसा यूपी का ये शहर सबसे पुराने शहरों में से एक है. इसके साथ ही हिंदुओं के लिए ये किसी आध्यात्मिक स्थल का आदर्श नमूना है. यहां घूमने और खाने के अलावा कई मंदिर भी हैं जिनके दर्शन करने हर साल लाखों सैलानी आते हैं.
इन मंदिरों की एक अद्भुत आभा है जिसे आपको मिस नहीं करना चाहिए. चलिए आज जानते हैं वाराणसी के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां एक बार जाना तो बनता है.
Temples of Varanasi
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1. काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ये वाराणसी प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. कहते हैं यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के बाद भक्त जो मनोकामना मांगते हैं वो पूर्ण हो जाती है.
2. विशालाक्षी मंदिर (Vishalakshi Temple)
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के पास बना है ये सुंदर मंदिर. ये देवी मां की शक्ति पीठ में से एक है. कहते हैं यहां माता सती के झुमके गिर गए थे और वहीं पर ये मंदिर बना है. विशाल अक्षी का अर्थ होता है बड़ी आंखें. ये मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से 1 किलोमीटर दूर है.
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3. संकट मोचन मंदिर (Sankat Mochan Mandir)
संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है. कहते हैं यहां रामचरितमानस को लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास को भगवान हनुमान ने दर्शन दिए थे. ये मंदिर 16वीं शताब्दी में बना था. अस्सी नदी के तट पर बने इस मंदिर में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
4. काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav Mandir)
भगवान शंकर की नगरी काशी के राजा है बाबा विश्वनाथ और इसके कोतवाल यानी रक्षक हैं बाबा काल भैरव. कहते हैं काशी में कोई भी शुभ काम करने से पहले आपको यहां आते ही सबसे पहले इनके दर्शन ज़रूर करने चाहिए. ये मंदिर भगवान शिव के आक्रामक रूप काल भैरव को समर्पित है. ये मंदिर 17वीं शताब्दी के मध्य का है.
5. रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Mandir)
पीसा की मिनार की तरह ही ये मंदिर भी एक तरफ झुका हुआ है. लगभग 300 साल पुराना ये मंदिर कैसे खड़ा है ये कोई नहीं जानता. ख़ास बात ये है कि यहां न तो पूजा होती है न ही कोई घंटी बजती है. कहते हैं कि यहां पूजा करने से घर में अनिष्ट ही होता है.
6. दुर्गा कुंड मंदिर (Durga Kund Mandir)
मां दुर्गा को समर्पित ये मंदिर एक कुंड के किनारे बना है. इस मंदिर में उत्तर भारत की लोकप्रिय नागर शैली की वास्तुकला का नमूना दिखाई देता है. इसे स्थानीय लोग बंदर वाला मंदिर भी कहते हैं. 18वीं शताब्दी में बंगाल की एक रानी ने ये मंदिर बनवाया था. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो मूर्ति है वो किसी ने बनाई नहीं थी अपने आप ही बन गई थी.
7. तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manas Mandir)
इसे तुलसी बिड़ला मानस मंदिर भी कहा जाता है. ये सफे़द संगमरमर से बना है. भगवान राम को समर्पित इस मंदिर को 1964 में हावड़ा की सुरेखा फ़ैमिली ने बनाया था. ये मंदिर दुर्गा कुंड मंदिर के पास ही है.
8. सारनाथ मंदिर (Sarnath Temple)
वरुणा और गंगा नदियों के संगम के पास बना है ये मंदिर. यही वो स्थान है, जहां लगभग 528 ईसा पूर्व, 35 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था. यहां बौद्ध धर्म से जुड़े कई पर्यटन स्थल हैं.
अगली बार जब भी वाराणसी जाना हो तो यहां ज़रूर घूम आना.