Christmas Tree: जैसे-जैसे साल 2021 को टाटा-बाय करने का वक्त नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे ही हल्की ख़ुशी और हल्की मायूसी दिल में डेरा डाल रही है. मायूसी साल को विदा करने की है और ख़ुशी 25 दिसंबर को आने वाले क्रिसमस (Christmas) के त्योहार की. बाज़ारों में क्रिसमस ट्री और उसे सजाने वाली चीज़ों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के तौर पर मनाए जाने वाले इस त्योहार पर हर साल क्रिसमस ट्री को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
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लेकिन इस प्रचलन की शुरुआत कैसे और कब हुई, इस बात से ज़्यादातर लोग अभी भी अनजान हैं. तो आइए इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं.
क्यों सजाते हैं Christmas Tree?
क्रिसमस पर एक ख़ास तरीके का पेड़ सजाया जाता है, जिसे हम क्रिसमस ट्री कहते हैं. ये पेड़ सदाबहार, डगलस, बालसम या फ़र का होता है. क्रिसमस पर इसे घंटियों, लाइट्स, झालरों और कई डेकोरेटिव आइटम्स से सजाया जाता है. मान्यता है कि इन पेड़ों को सजाने से हमारे आसपास निगेटिव एनर्जी का वास नहीं होता है. साथ ही बीमारियां भी दूर रहती हैं.
कहां से शुरू हुई ये परंपरा?
इस परंपरा की शुरुआत जर्मनी में 722 ईसवी से हुई थी. एक अंग्रेज़ धर्म प्रचारक सेंट बोनिफ़ेस ने इस रिवाज़ को शुरू किया था. बताया जाता है कि, सेंट बोनिफ़ेस को एक बार ख़बर मिली थी कि कुछ व्यक्ति एक विशाल ओक ट्री के नीचे बच्चों की कुर्बानी देने वाले हैं. ऐसा होने से रोकने के लिए बोनिफ़ेस ने वो पेड़ ही काट दिया. उसी पेड़ की जड़ के पास एक सनोबर का पेड़ उग़ आया. इसके बाद बोनिफ़ेस ने लोगों को बताया कि ये एक पवित्र वृक्ष है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं.
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क्रिसमस ट्री के नीचे हुए था प्रभु यीशु का जन्म
क्रिसमस ट्री को सजाने से जुड़ी एक और भी कथा प्रचलित है. ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु का जन्म क्रिसमस के पेड़ के नीचे हुआ था. उनके जन्म पर स्वर्ग दूत ने धरती पर आकर उनके माता-पिता को प्रभु यीशु के जन्म की शुभकामनाएं दी थीं. इस मौके पर प्रभु यीशु के माता-पिता ने एक सदाबहार फर के पेड़ को सितारों से रोशन किया था. यहीं से क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत हुई.
कहां सजाया गया था पहला क्रिसमस ट्री?
प्रिंस अलबर्ट ने 1841 में इंग्लैंड के विंडसर कैसल में पहला क्रिसमस ट्री लगाया था. उस दौरान इन पेड़ों को सजाने के लिए उन पर मोमबत्तियां, रिबन, कागज़ की पट्टियां और टॉफ़ियां लगाई जाती थीं. क्रिसमस ट्री पर मोमबत्तियां 17वीं शताब्दी से लगाई जाने लगीं. पुराने समय में क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का भी प्रतीक माना जाता रहा है. ऐसा भी मानना है कि 25 दिसंबर को घर में क्रिसमस ट्री को सजाने से घर में बच्चों की दीर्घायु होती है.
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क्रिसमस ट्री को लगाने के फ़ायदे
1- क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) बड़ी मात्रा में हमें ऑक्सीजन देता है. इसके साथ ही ये कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों को निकाल फेंकता है.
2- इसे लगाने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं.
3- जिस स्थान पर ये लगाया जाता है, वहां पर टेम्परेचर बैलेंस्ड बना रहता है. यानी वहां तापमान न ही ज़्यादा ठंडा होगा और न ही ज़्यादा गर्म.
4- इसे लगाने से घर और आसपास खुशनुमा माहौल बना रहता है.
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सभी देशवासियों को एडवांस में क्रिसमस की शुभकामनायें.