Ganesh Chaturthi 2023 : हम जब भी भगवान गणेश (Lord Ganesha) के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले आंखों के सामने एक बड़ा सा सिर, लंबी सी सूढ़, टूटा हुआ दांत और बड़े-बड़े कान वाले चेहरे की छवि सामने आती है. घर में रखी फ़ोटो या मूर्ति में भी आपने यही तस्वीर देखी होगी.
ये भी पढ़ें: क्यों भोलेनाथ की जय-जयकार ‘हर हर महादेव’ के साथ होती है? जानो और बोलो बम-बम भोले!
हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां भगवान गणेश के इंसानी रूप की पूजा होती है? वहां उनका हाथी का चेहरा नहीं, बल्कि मनुष्य का चेहरा देखने को मिलता है. चलिए आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं.
कहां स्थित है ये मंदिर?
वैसे तो गणपति बप्पा के हर मंदिर की कोई विशेषता और ख़ासियत है. लेकिन तमिलनाडु (Tamilnadu) के तिरुवर जिले में स्थित आदि विनायक मंदिर (Adhi Vinayak Mandir) की बात ही कुछ और है. यहां गणेश जी की मूर्ति एक नए रूप में विराजमान है. यहां उनकी मूर्ति दांत और लंबी सी सूढ़ की नहीं, बल्कि एक मनुष्य की है. इस मंदिर में बप्पा के दर्शन करने देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और प्रसाद अर्पित करते हैं. इसे तमिलनाडु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक कहा जाता है और इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था.
मूर्ति की है ख़ास विशेषता
तमिलनाडु के इस ख़ास मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा भी ख़ास है. इस मूर्ति को बनाने में ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है. मूर्ति में भगवान गणेश के एक हाथ में कुल्हाड़ी है, वहीं दूसरे हाथ में उनका पसंदीदा भोजन मोदक है. कहा जाता है कि एक बार भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए आदि विनयगर मंदिर में पूजा करवाई थी. तब से इस मंदिर की मान्यता है और लोग अपने पितरों की शान्ति के लिए पूजा-पाठ करवाने यहां आते हैं. ये पूजा नदी के किनारे कराई जाती है.
ये भी पढ़ें: भगवान गणेश को भी लेना पड़ा था स्त्री अवतार, पढ़ें ‘विनायकी’ से जुड़ा ये रोचक क़िस्सा
जान लो मनुष्य रूप प्रतिमा की कहानी
कहा जाता है कि माता पार्वती को स्नान करने जाना था और उस दौरान पहरा देने के लिए कोई नही था. तो उन्होंने जो उबटन लगाया था, उससे एक पुत्र बनाया. इस बीच भगवान शिव आते हैं, तो गणेश जी उन्हें वहीँ रोक देते हैं. इससे अपमानित होकर क्रोध में भगवान शिव अपने त्रिशूल से उनका सिर धड़ से अलग कर देते हैं. जब माता पार्वती को ये पता चलता है, तो वो रोने लगती हैं और आग बबूला हो जाती हैं. इस पर भगवान शिव अपने गणों से कहते हैं कि जाओ उत्तर दिशा में जो सबसे पहला सिर दिखेगा उसे लेकर आना. उनके गण वैसा ही करते हैं और उत्तर दिशा में सबसे पहला सिर उन्हें इंद्र के हाथी एरावत का दिखता है. वो सिर लेकर आते हैं और भगवान शिव हाथी का सिर लगाकर गणेश जी को जीवित कर देते हैं. यहां ऐसी मान्यता है कि गणेश भगवान को हाथी का मुख लगाने से पहले उनका चेहरा एक इंसान का था. इसलिए यहां गणपति जी के इंसान के चेहरे वाली मूर्ति को ही पूजा जाता है.