Indian Royal Families Jewel : इंडियन रॉयल फ़ैमिलीज़ अपने लुभावने किलों, महलों और गहनों के माध्यम से अपनी विशाल संपत्ति का शाही प्रदर्शन करते रहे हैं. कश्मीरी नीलम से लेकर गोलकोंडा हीरे तक, भारतीय राजघरानों ने ये सब देखा और उनका स्वामित्व किया है. गहने लंबे समय से देश के शासकों के बीच भारत की पारंपरिक और सौंदर्य संबंधी पहचान का एक अभिन्न अंग रहे हैं.
आइए आपको कुछ ख़ूबसूरत गहनों के बारे में बता देते हैं, जिनका भारतीय रॉयल फ़ैमिलीज़ के पास स्वामित्व है.
1- पटियाला रूबी चोकर
इसे साल 1931 में कार्टियर पेरिस ने बनाया था. ये पटियाला रूबी चोकर नेकलेस प्लेटिनम से बना हुआ है. इस यूनीक ज्वेलरी के पीस को बनाने के लिए माणिक, मोती और हीरों का इस्तेमाल किया गया था. सिर्फ़ इसके ऊपरी हिस्से में हीरों के साथ मणिक और मोतियों की तीन लेयर्स साइड में लगी हुई थीं. इसके बीच के हिस्से में भी मणिक और मोती थे, जबकि इसका नीचे वाला हिस्सा सबसे भारी था और मोतियों और हीरों से जड़ा हुआ था.
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2. हीरे का सरपेच
पगड़ी के ऊपर लगाई जाने वाली एक जड़ाऊ कलगी को सरपेच कहा जाता है. सिख साम्राज्य के अंतिम महाराजा दलीप सिंह अपनी तस्वीर में एक अद्भुत हीरा सरपेच पहने हुए दिखाई देते हैं. इसमें तीन पंख पूरी तरह से हीरे से बने होते हैं, जिनके सेंटर में एक चमकदार पन्ना होता है. महाराजा की इस तस्वीर को देखकर ही आप बता सकते हैं कि उनका झुमके से लेकर लेयर्ड नेकपीस और बाजूबंद तक की ज्वेलरी में रॉयल टेस्ट था.
3. डायमंड नेकलेस
बड़ौदा की महारानी सीता देवी द्वारा 128 कैरेट से युक्त दक्षिण हीरे के प्रभावशाली स्टार वाला एक 3-टियर हीरे का नेकलेस पहना गया था. इसमें 78.5 कैरेट का इंग्लिश ड्रेसडेन हीरा भी था. बड़ौदा के गायकवाड़ मुल्हार राव ने स्टार ऑफ़ साउथ को 80,000 यूरो या लगभग 20 मिलियन रुपए में खरीदा था. बाद में, इस ज्वेलरी को मुंबई के रुस्तमजी जमशेदजी ने खरीदा और 2002 में कार्टियर को बेच दिया.
4. पटियाला नेकलेस
पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह पटियाला नेकलेस के मालिक थे और उन्होंने इसमें दुनिया का सांतवा सबसे बड़ा हीरा लगवाया था. इस हीरे को 1888 में साउथ अफ्रीका की एक ख़दान से निकाला गया था. यहीं से खोए हुए पटियाला नेकलेस की फ़ेमस कहानी की शुरुआत होती है. महाराजा उस समय 34 साल के थे, जब उन्होंने डी बीयर्स डायमंड को एक अपनी विरासत का टुकड़ा बनाने के बारे में सोचा और कार्टियर को सेरेमोनियल हार बनाने के लिए कमीशन दिया, जिसमें डी बीयर्स हीरा इसका सेंटरपीस था. इसमें 2930 हीरों और कुछ बर्मी मणिकों की पांच सीरीज़ थीं. ये इतिहास में अब तक का सबसे महंगा आभूषण था और इसके मूल रूप में इसकी कीमत आज लगभग 30 मिलियन डॉलर होगी. तस्वीर में उनके बेटे यादविंद्र सिंह को इस ख़ूबसूरत हार को पहने हुए देखा जा सकता है.
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5. हीरे का ताज
एक सुंदर हीरे का मुकुट और एक 12 तारों वाला बसरा मोती का हार और एक हीरे की जड़ित बेल्ट पहने हुए, कपूरथला के महाराजा का हमेशा भव्य गहनों के प्रति आकर्षण था. इस तस्वीर में महाराजा को एक गोल्ड ब्रोकेड कढ़ाई के साथ ट्रेडिशनल शेरवानी पहने हुए देखा जा सकता है. इसमें वो ब्रिटिश क्राउन द्वारा चुनिंदा भारतीय शासकों को दिया जाने वाला सम्मान स्टार ऑफ़ इंडिया का ब्रोच भी लगाए हुए हैं. इस पोर्ट्रेट को देखकर ही आप कह सकते हैं कि महाराजा को रॉयल ज्वेलरी काफ़ी पसंद थी.