बनारस की घाट की भोर और गंगा आरती सुनते ही जाने का मन कर जाता है. लगता है कि पहुंच जाएं और वहां की हर चीज़ का आनंद ख़ुद जाकर लें. मगर क्या कभी सोचा है कि इस पावन धरती को कुछ लोग वाराणसी तो कुछ बनारस तो कुछ काशी कहकर क्यों बुलाते हैं? क्या है इन नामों के पीछे की कहानी? अगर नहीं जानते हैं तो फिर अब जान लीजिए कि इन नामों के पीछे क्या कहानी है क्यों बार-बार इस शहर का नाम बदला जाता है?
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क्या है काशी का मतलब?
वाराणसी का सबसे पहला और पुराना नाम काशी है, जो 3 हज़ार साल पुराना है. इस नाम का धार्मिक ग्रंथों में भी ज़िक्र किया गया है. काशी को काशिका भी कहा जाता है. कहते हैं, शिव की नगरी होने के कारण ये हमेशा चमकती रहती है इसलिए इसका नाम काशी पड़ा. काशी का मतलब ‘चमकता हुआ’ ‘उज्जवल’ या ‘दैदीप्यमान’ होता है. रिपोर्ट्स की मानें तो, प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का बखान है और स्कन्दमहापुराण में काशीखंड है, जिसमें इस शहर का जिक्र है. पुराणों के अनुसार, ये आद्य वैष्णव स्थान है.
क्या है बनारस की कहानी?
बनारस, इस नाम से बच्चे-बच्चे वाकिफ़ हैं. मुग़लों और अंग्रेज़ों के शासनकाल से चला आ रहा नाम बनारस आज हर एक की ज़ुबां पर है. दरअसल, पाली भाषा में इसका नाम बनारसी था, जो बाद में बनारस हो गया. इसका नाम बनार नाम के राजा के नाम पर रखा गया था, जो मोहम्मद गोरी के हमले के चलते मारे गए थे. इसके अलावा, कहा जाता है कि, यहां की रंग-बिरंगी ज़िंदगी को देखकर मुग़लों ने इसका नाम बनारस रखा था. महाभारत में बनारस का कई बार ज़िक्र हुआ है. इसके नाम को लेकर कई और तरह की भी कहानियां प्रचलित हैं.
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वाराणसी कैसा पड़ा?
बनारस का नया नाम वाराणसी है, जो दो नदियों वरुणा और असि के नाम से मिलकर बना है. वाराणसी में वरुणा नदी उत्तर में गंगा नदी से मिलती है तो असि नदी दक्षिण में गंगा से मिलती है. वाराणसी का उल्लेख भी बौद्ध जातक कथाओं और हिंदू पुराणों में किया गया है.
बनारस के और भी कई नाम हैं
काशी, बनारस, वाराणसी के अलावा इस शहर को अविमुक्त क्षेत्र, आनन्दकानन, महाश्मशान, रुद्रावास, काशिका, तप:स्थली, मुक्तिभूमि, शिवपुरी, त्रिपुरारिराजनगरी, विश्वनाथनगरी,मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी के नाम से भी जाना जाता है.
इसके अलावा, इसके नाम शंकरपुरी, जित्वारी, आनंदरूपा, श्रीनगरी, अपूर्णभावाभावभूमि, शिवराजधानी, गौरीमुख, महापुरी, तप:स्थली, धर्मक्षेत्र, विष्णुपुरी, हरिक्षेत्र, अलर्कपुरी, नारायणवास, ब्रह्मवास, पोतली, सुदर्शन, जयनशीला, रम्यनगर, सुरुंधन, पुष्पवती, केतुमती, मौलिनी, कासीपुर, कासीनगर, कासीग्राम भी हैं.