भगवान शिव की नगरी काशी हिंदुस्तान की ख़ूबसूरत जगहों में से एक है. ये वो शहर है जिसकी ख़ूबसूरती और रहन-सहन के बारे में जितनी बात करें कम है. इस शहर की सबसे रोचक बात ये है कि यहां के लोग भगवान शिव को पूजते नहीं, बल्कि उन्हें आर्शीवाद देते हैं. काशी के बारे में ये भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपने त्रिशूल में इस शहर को समा रखा है.
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इस शहर से जुड़ी कई सारी ऐसी बातें और परंपराएं हैं, जो लोगों को चकित करती हैं. एक ऐसी ही अनोखी परंपरा यहां की मणिकर्णिका घाट से भी जुड़ी हुई है.
मणिकर्णिका घाट की अनोखी परंपरा
इस अनोखी साधना का मतलब क्या है?
कहते हैं कि राजा के समय में श्मशान नाथ महोत्सव में महाश्मशान होने के कारण हर कलाकार ने संगीत प्रोग्राम के लिये मना कर दिया था. इसके बाद उन्होंने महोत्सव के लिये नगर वधुओं को आमंत्रित किया. तब से लेकर आज तक ये प्रथा कायम है. कहते हैं कि जो भी इंसान अंतिम समय में मणिकर्णिका घाट जाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. हांलाकि, कुछ लोगों की ये कामना पूरी होती है.