हिंदुस्तान के इतिहास में कई शक्तिशाली और समृद्ध राजाओं की कहानियां पढ़ने को मिलती हैं. इन्हीं राजाओं में से एक पटियाला के ‘महाराजा भूपिंदर सिंह’ भी हैं. 12 अक्टूबर 1891 को जन्में महाराजा भूपिंदर सिंह 9 साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठ गये थे. हालांकि, राज्य का कार्यभार उन्होंने 18 साल की उम्र में संभाला था. कहते हैं कि उन्होंने पटियाला पर लगभग 38 साल तक राज किया और इस दौरान वो अपने कई क़िस्सों की वजह से चर्चा में रहे.

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365 रानियां और 50 से ज़्यादा बच्चों के पिता थे

आज के दौर में जहां लोग शादी करने से कतराते हैं. वहीं महाराजा भूपिंदर सिंह की एक-दो नहीं, बल्कि 365 रानियां थीं. इन 10 रानियों में से उनके 83 बच्चे हुए थे. पर अफ़सोस उनमें से सिर्फ़ 53 बच्चे ही ज़िंदगी जी पाये. कहते हैं कि सभी रानियों के लिये हमेशा चिकित्सा सुविधा मौजूद रहती थी. रानियों को किसी तरह की समस्या होती, उससे पहले ही मेडिकल टीम उनके पास होती. 

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महल में जलती थीं 365 लालटेनें

महाराजा भूपिंदर की 365 रानियां थीं. इसलिये उनके महल में हर दिन 365 लालटेनें जलाई जाती थीं. दिलचस्प बात ये है कि इन सभी लालटेनों पर रानियों का नाम लिखा जाता था. अब जो लानटेन सबसे पहली बंद होती. राजा उसी रानी के साथ रात भर समय गुजारते. 

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लीला भवन में होती ख़ास लोगों की एंट्री 

महाराजा को रंगीन मिजाज का बताया जाता है. अपने इसी शौक़ के चलते उन्होंने पटियाला में लीला भवन बनवाया था. कहते हैं लीला भवन में सिर्फ़ बिना कपड़े वाले लोगों को ही जाने को मिलता था.  

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हीरे और कारों के थे शौक़ीन

महाराजा को पार्टी करने के साथ-साथ हीरे-जेवरात और महंगी कारों का काफ़ी शौक़ था. यही नहीं, उनके पास इतना पैसा था कि उन्होंने अपना खु़द विमान भी ख़रीद डाला था. इसी के साथ वो विमान ख़ुद का विमान लेने वाले पहले भारतीय बन गये थे.

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वैसे इतने बड़े-बड़े शौक़ सिर्फ़ राजा लोगों के ही हो सकते हैं.