आज से तक़रीबन 20 साल पहले अमेरिका (America) और नीदरलैंड (Netherlands) में ‘राम करेंसी’ के नोट छापे गये थे. हालांकि, ये नोट अमेरिका और नीदरलैंड की आधिकारिक मुद्रा नहीं है, लेकिन ये आज भी इन दोनों देशों में चलन में है. इन नोटों पर भगवान राम की तस्वीर बनी होती है. इन नोटों से आप कुछ भी सामान ख़रीद सकते हैं.

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अमेरिका के एक स्टेट आयोवा के महर्षि वैदिक सिटी में आज भी ‘राम मुद्रा’ चलन में है. इस सोसाइटी में अमेरिकन-इंडियन ‘आयवे जनजाति’ के लोग रहते हैं जो महर्षि महेश योगी को मानते हैं. महेश योगीके अनुयायी काम के बदले इसी मुद्रा में लेनदेन करते हैं. ठीक उसी तर्ज पर जैसे भारत में राम रहीम के आश्रम में एक ख़ास प्रकार की करेंसी चलती थी.  

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कौन थे महर्षि महेश योगी? 

महर्षि महेश योगी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में पैदा हुए थे, उनका असल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. महर्षि महेश योगी ने फ़िजिक्स में उच्च शिक्षा लेने के बाद शंकराचार्य ब्रह्मानन्द सरस्वती से दीक्षा ली, इसके बाद उन्होंने विदेशों में अपना प्रचार प्रसार किया. खासकर उनका भावातीत ध्यान यानि ‘Transcendental Meditation” विदेश में काफी लोकप्रिय है.

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दरअसल, साल 2002 में ‘महर्षि वैदिक सिटी’ की ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ नामक संस्था ने ये मुद्रा जारी की थी और अपने समर्थकों के बीच बांटी थी. इस संस्था ने इसी साल नीदरलैंड में भी भगवान राम के नाम और तस्वीर वाली ‘राम मुद्रा’ का वितरण किया था.

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महर्षि वैदिक सिटी ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ नाम की संस्था का हिस्सा है जिसकी स्थापना महर्षि महेश योगी ने की थी. साल 2008 में महर्षि महेश योगी का निधन होने के बाद भी ये मुद्रा चलन में है. कथित मुद्रा वैदिक सिटी के मुख्य आकर्षणों की सूची में आज भी शामिल है. 

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आख़िर है क्या ये ‘राम मुद्रा’? 

‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ संस्था ने 1 राम, 5 राम और 10 राम के कागज़ी नोट जारी किये थे. इस दौरान ‘1 राम मुद्रा’ की क़ीमत 10 अमरीकी डॉलर तय की गई थी. इस रेट से कोई भी शख़्स राम मुद्रा को ख़रीद सकता है. लेकिन इस मुद्रा का इस्तेमाल सिर्फ़ आश्रम के भीतर या फिर आश्रम से जुड़े सदस्यों के बीच ही किया जा सकता है. 

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इस संस्था ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, 24 फ़रवरी 2002 को वेदिक सिटी ने राम मुद्रा बांटना शुरू किया था. सिटी के आर्थिक विकास के लिए और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिटी काउंसिल ने राम मुद्रा का चलन स्वीकार किया था. 

राम मुद्रा बॉन्ड भी किये गए थे जारी  

एक समय था जब महर्षि महेश योगी के अनुयायियों की संख्या 60 लाख से ज़्यादा थी. अमेरिका का मशहूर इंग्लिश बैंड ‘द बीटल्स’ भी एक समय में महेश योगी का अनुयायी रहा है. अमेरिका और नीदरलैंड में उस वक़्त ‘राम मुद्रा’ को बॉन्ड की तरह बेचा गया था. इन बॉन्ड की क़ीमत करोड़ों में थी.  

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बीबीसी की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2003 में नीदरलैंड में क़रीब 100 दुकानों, 30 गांवों और शहरों के कुछ हिस्सों में ‘राम मुद्रा’ चलती थी. इस दौरान ‘डच सेंट्रल बैंक’ ने कहा था कि, हम ‘राम मुद्रा’ पर नज़र बनाए हुए हैं. हमें उम्मीद है कि महर्षि महेश योगी की संस्था क्लोज़ ग्रुप में ही इस करेंसी का इस्तेमाल करेगी और क़ानून से बाहर जाकर कुछ नहीं करेगी.

नीदरलैंड्स के सरकारी बैंक के अनुसार, महर्षि वैदिक सिटी ने 2002 में क़रीब 1 लाख की ‘राम मुद्रा’ छापी थी. लेकिन ‘राम मुद्रा’ को कभी भी लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) घोषित नहीं किया गया था. वो सिर्फ़ एक कागज़ का टुकड़ा था जिसकी एक संस्था के अनुसार कुछ क़ीमत तय की गई थी और उसे लोग श्रम या उत्पाद के बदले एक दूसरे को देते-लेते थे.