TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY: विश्व के सबसे ख़तरनाक आंतकी संगठन में एक नाम Al-Qaeda का भी आता है. ये वो ही ख़तरनाक संगठन है जिसे 1988 में ओसामा बिन लादेन और कुछ अन्य आतंकवादियों ने मिलकर बनाया था. वहीं, साल 2011 में अमेरिका ने एक सैन्य अभियान के तहत लादेन को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मार गिराया था. वहीं, ओसामा की मौत के बाद इस आतंकी संगठन की कमान ‘अयमान अल-ज़वाहिरी’ ने संभाली थी. वहीं, जिस तरह अमेरिका ने लादेन को मारा था, ठीक उसी तरह उसके उत्तराधिकारी को भी मार गिराया है. 


बीते शनिवार, यानी 30 जुलाई 2022 को अमेरिका ने एक ड्रोन स्ट्राइक के ज़रिये अलकायदा सरगना ‘अल-ज़वाहिरी’ को अफ़गानिस्तान में मार गिराया है. वहीं, इस काम को US Military की एक ख़ुफ़िया और ख़तरनाक टास्क फ़ोर्स ने अंजाम दिया है, जिसका असल नाम स्टेट सीक्रेट है. ये टास्क अपने काम को इतने ख़ुफ़िया तरीक़े से अंजाम देती है कि इसके बारे में किसी को पता ही नहीं लग पाता है. वहीं, समय-समय पर इसे अलग-अलग नामों से बुलाया गया.  

आइये, जानते हैं इस सीक्रेट टास्क फ़ोर्स के बारे में, जिसने न सिर्फ़ अलकायदा सरगना ‘अल-ज़वाहिरी’ को मारा बल्कि अलकायदा के भविष्य की योजनाओं को भी नेस्तनाबूद कर दिया.    

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं (TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY) आर्टिकल 

कौन था अल-ज़वाहिरी?   

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TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY: Task Force ORANGE के बारे में जानन से पहले पहले ये जान लीजिए कि अल ज़वाहिरी कौन था. ‘अयमान अल-ज़वाहिरी’ वोही है जिसने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अमेरिका के 9/11 हमले की साजिश रची थी. वहीं, लादेन की मौत के बाद इसी ने अलकायदा की कमान संभाली थी. अल ज़वाहिरी, अमेरिका की मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट की लिस्ट में शामिल था. ये इतना ख़तरनाक था कि इस पर अमेरिका ने 25 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था.   


जानकर हैरानी होगी कि अल-ज़वाहिरी एक डॉक्टर था. वहीं, 1986 में वो लादेन के निजी चिकित्सक और सलाहकार के रूप में उससे जुड़ गया था. वो एक आई सर्जन से मात्र 3 सालों में वो दुनिया के सबसे ख़तरनाक आतंकवादियों में शामिल हो गया था.  

टास्क फ़ोर्स ‘ORANGE’  

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TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY: चलिये अब आपको बताते हैं यूएस मिलिट्री की सीक्रेट टास्क फ़ोर्स ORANGE के बारे में. NATO के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के अनुसार, ये CIA के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा ऑपरेशन था. इसमें हर कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इस ऑपरेशन की नोक पर वे लोग थे जिन्होंने टार्गेट पर लगातार नज़र गड़ाए रखी, वो थी टास्क फ़ोर्स ऑरेंज.” 


इस टास्क फ़ोर्स की स्थापना 1980 में की गई थी. वहीं, इसका नाम सीक्रेट होने और बार-बार बदलने से पहले इसे Intelligence Support Activity कहा जाता था. ये टास्क फ़ोर्स ज्वाइंट स्पेशल ऑपरेशंस कमांड (JSOC) के भीतर काम करती है और विशेष रूप से ख़ास प्लांड ऑपरेशन के लिए ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा करती है. वर्तमान में ये यूनिट Task Force Orange के नाम से जानी जाती है.    

विभिन्न नामों से बुलाया गया   

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TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY: टास्क फोर्स ऑरेंज को अतीत में कई नामों से बुलाया गया, जैसे सेमेट्री विंड, सेंट्रा स्पाइक, ग्रे फॉक्स, टॉर्नविक्टर और क्विट इनेबल. इसे औपचारिक रूप से यूएस आर्मी इंटेलिजेंस सपोर्ट एक्टिविटी और अनौपचारिक रूप से सिर्फ ऑरेंज या एक्टिविटी के रूप में जाना जाता है.    

जेम्स बॉन्ड की तरह काम करती है ये यूनीट   

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CIA देश, सरकार और विपक्ष के बारे में काफ़ी कुछ जानकारी दे सकती है, लेकिन वो इस बात का पता लगाने के लिए डिज़ाइन नहीं की गई है कि किसी ख़ास घर में कौन ख़ास व्यक्ति है, वहां कितने और कैसे दरवाज़े हैं या घर का बाड़ा कितना ऊंचा है. इस तरह के डिटेल काम ‘ऑरेंज’ करती है. वो किसी ऑपरेशन के लिए हर संभव व टार्गेट से जुड़ी कऱीबी जानकारी जुटाने का काम करती है, जिस तरह जेम्स बॉन्ड या जेसन बोर्न की फ़िल्मों में दिखाया गया है.   

‘अल-ज़वाहिरी’ पर बारीकी से नज़र रखी गई 

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TASK FORCE ORANGE OF US MILITARY: NATO के अधिकारी ने ये भी बात कही कि ऑरेंज और CIA के ऑपरेटरों ने ‘अल-ज़वाहिरी’ के घर की लगातार निगरानी के लिए पास में अपनी खु़फ़िया उपस्थिति स्थापित की होगी, जिसे pattern of life कहा जाता है, जिसमें टार्गेट की सभी गतिविधियों पर बारीकी से नज़र रखी जाती है. 

 
वहीं, ‘अल-ज़वाहिरी’ के परिवार पर नज़र रखने के लिये किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को आसपास रखा गया होगा, लेकिन ये संदेहास्पद है कि ज़वाहरी ने नज़दीक ऐसा कोई उपकरण रखा गया होगा. ऑरेंज और CIA के अधिकारी ये देखने के प्रयास करते हैं कि क्या वो कभी घर से बाहर निकलता है, जो उसने नहीं किया, लेकिन उन्होंने एक पैटर्न स्थापित किया कि वो हर सुबह कुछ घंटों के लिए अपनी बालकनी से बाहर जाएगा. 

वहीं, एक मिसाइल वाली ड्रोन-लॉन्च की गई और शनिवार 30 जुलाई को सुबह 6:18 बजे ‘अल-ज़वाहिरी’ को मार गिराया गया.