वास्तुकार और हमारे पूर्वज दोनों ही नई पीढ़ी को हवादार घर बनाने की सलाह देते हैं. इसलिए घरों में बहुत-सी खिड़कियां बनाने पर जोर दिया जाता है. मगर इंग्लैंड में एक समय ऐसा भी था जब लोग ज़्यादा खिड़कियां बनवाने से करतराते थे. क्योंकि उस ज़माने में लोगों के घरों में जितनी खिड़कियां होती थीं उतना ही उन पर कर यानी Tax लगाया जाता था.   

इस Tax को House Tax का प्राथमिक स्वरूप भी कहा जाता है  

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ये वो दौर था जब इंग्लैंड में William III का शासन था और सरकारी ख़जाना खाली होने लगा था. तब इंग्लैंड के राजा ने ये नया टैक्स लोगों पर लगा दिया था. 1696 में लागू हुए इस कर को हाउस टैक्स का प्राथमिक स्वरूप भी कहा जाता है.

कम खिड़कियां बनाने लगे लोग

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इसके मुताबिक, जिस घर में 7-10 खिड़कियां होती थी उसे 2 सिलिंग का टैक्स देना होता था और 10-20 खिड़कियों वाले पर अतिरिक्त 2 सिलिंग लगती थीं. इसकी ख़ासियत ये थी इसे मकान मालिक को नहीं बल्कि उसमें रहने वाले किराएदार से वसूला जाता था. इसका असर लोगों के घरों में 1710 के दशक में दिखने लगा, जब इंग्लैंड में बनने वाले घरों में बहुत कम ही खिड़कियां बनाई जाती थीं.

लोगों ने किया विरोध 

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कुछ लोगों ने तो अपने घर की एक्स्ट्रा खिड़कियों को इंटों से पाटना शुरू कर दिया था. इससे विंडो टैक्स में भारी गिरावट आई. यही नहीं इसका विरोध करने वाले भी तब मुखर होने लगे थे. डॉक्टर्स का कहना था कि अंधेरे वाले घर या हवादार घर न होने के कारण लोग ज़्यादा बीमार पड़ते थे. इससे महामारियों के भी फैलने का ख़तरा था. यही नहीं इससे शीशे के कारख़ानों पर बुरा असर पड़ने लगा था क्योंकि लोग बहुत कम खिड़कियां बनवाते थे.

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लगातार होते विरोध के चलते आख़िरकार ब्रिटिश सरकार ने इसे वापस ले लिया. 1851 में खिड़की वाले टैक्स के अधिनियम को रद्द कर दिया गया और इसकी जगह हाउस टैक्स लोगों से वसूला जाने लगा. चलते-चलते आपको बता दें कि विंडोज़ पर टैक्स स्कॉटलैंड और फ्रांस में कभी लगाया जाता था.

आप भी ऐसे किसी अजीब नियम के बारे में जानते हैं?