एक अच्छी फ़िल्म बनाने के लिए उसके एक-एक सीन में परफ़ेक्शन लाना होता है, ताकि दर्शक उस फ़िल्म से पूरी तरह जुड़ सकें. लेकिन कई बार फ़िल्मों में ऐसे भी दृश्य होते हैं, जिनका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता है. इनके पीछे कोई लॉजिक भी नहीं होता है. बस एक बार फ़िल्मों में जिस तरह का दृश्य दिखा दिया गया, उसके बाद फ़िल्म बनाने वालों ने उसी को फ़ॉलो करना शुरू कर दिया.
आइए आज हम आपको फ़िल्मों के कुछ ऐसे ही दृश्यों के बारे में बताते हैं, जिनका वास्तविकता और लॉजिक से कोई विशेष सम्बंध नहीं होता है.
1. कोर्ट में हीरो की फ़िल्मीबाज़ी
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बॉलीवुड की फ़िल्मों में अकसर ऐसा दिखाया जाता है कि हीरो कोर्ट में पहुंच कर कहता है कि ‘मैं अपना केस ख़ुद लड़ूंगा’ और न्यायधीश महोदय उसे तुरन्त अनुमति भी दे देते हैं. गवाह को छुपा कर रखते हैं और अन्तिम समय उसे पेश करते हुए कहते हैं कि ‘अब मैं पेश करता हूं, अपने आखिरी गवाह को जो इस पूरे केस का रुख पलट कर रख देगा’. जबकि वास्तव में इन सब के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है.
2. राज़ बताने के लिए रुकी रहती हैं सांसे!
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ये सीन पुरानी फ़िल्मों की जान हुआ करता था. इसमें हीरो को पालने वाले बुज़ुर्ग की सांसे सिर्फ़ इसलिए रुकी रहती थीं कि हीरो को बता सके, ‘तुम मेरे नहीं, रॉय साहब के बेटे हो’.
3. दवा से शक्तिशाली दुआ
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इस सीन में सभी लॉजिक दम तोड़ देते थे और सिर्फ़ निर्देशक की चलती थी. अगर निर्देशक की मर्ज़ी होती तो वो दुआ क़ुबूल करता और बन्दा यमराज के पास से लौट आता था, नहीं तो फिर उसकी जान चली जाती थी.
4. पुलिस का देरी से पहुंचना
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हमारे यहां कि पुलिस चाहे जैसी भी हो, लेकिन इतनी नाकाबिल तो नहीं हो सकती कि एक भी फ़िल्म में टाइम से न पहुंचे. अगर हर फ़िल्म में देरी से पहुंचने वाला सीन दिखाने के बावजूद पुलिस वाले फ़िल्म निर्देशकों के ऊपर फ़र्जी केस ठोक कर अन्दर नहीं करते, तो इसे उनका बड़प्पन समझना चाहिए.
5. हीरो का जुर्म करना
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भारतीय फ़िल्में बहुत महान होती हैं. कई ऐसी फ़िल्में हैं, जिसमें हीरो सैकड़ों लोगों को बीच सड़क पर मार कर गिरा देता है, लेकिन उसके घर पर वॉरंट तक नहीं आता है. वहीं कई फ़िल्में ऐसी भी हैं जिसमें सिर्फ़ थप्पड़ मारने पर ही हीरो गिरफ़्तार हो जाता है. अगर क़ानून का, क़ानून वालों के बाद किसी ने सबसे ज़्यादा मज़ाक बनाया है, तो फ़िल्म वाले ही हैं.
6. सुबह उठने के बाद भी मेकअप नहीं होता ख़राब!
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यहां पर हीरोइन पूरे मेकअप के साथ सोने जाती है और ताज्जुब की बात ये कि सुबह उठने के बाद भी उसका मेकअप बिलकुल ख़राब नहीं होता है. ऐसे सीन देखने के बाद तो बॉलीवुड वालों को नमन करने का मन करता है.
7. एक्शन सीन
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यहां तो आकर सारे नियम-क़ानून अपना दम तोड़ देते हैं. एक अकेला हीरो सौ बंदूक वाले गुंडों को एक झटके में तोड़ डालता है और उसे एक खरोंच तक नहीं आती है. रस्सी से खींच कर हवाई जहाज़ को उड़ने से रोक देना, साईकिल के पीछे से छुप कर गोलियों से बचने जैसे कई कालजयी कारनामे हैं, जिन्हें आप इंडियन फ़िल्मों में ही देख सकते हैं.
8. नाच-गाने
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एक्टर या एक्ट्रेस किसी भी गली में नाचना शुरू कर दें. उनके साथ बाकी के लोग भी पूरी लय और ताल में नाचना शुरू कर देते हैं, जैसे उसके घर सुबह-शाम ट्रेनिंग लेते आते हों. बाकी हीरो-हीरोइन के डांस करते ही Musical Instrument का बज उठना तो आम बात है.
9. कॉलेज लाइफ़
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फ़िल्मों की कॉलेज लाइफ़ देखने वाला इस बात को कभी समझ ही नहीं पाएगा कि असाइनमेंट नाम की भी कोई चीज़ होती है. फ़िल्मों की कॉलेज लाइफ़ में सिर्फ़ मौज-मस्ती और रोमांस होता है. समझ में नहीं आता कि ऐसी फ़िल्मों के राइटर कौन से कॉलेज से पढ़ कर आते हैं.
10. बम डिफ़्यूज़ करना
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इसे तो फ़िल्मों में बच्चों का खेल समझा जाता है. सिर्फ़ एक कटर आपके पास होना चाहिए. इसके बाद लाल वाला तार काटिए और बम डिफ़्यूज़. असली बम निरोधक दस्ते के सदस्य फ़िल्मों के बम डिफ़्यूज़ सीन को देख कर अपना माथा पीटते होंगे.
11. ट्रिप पर मिली लड़की से प्यार हो जाना
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हीरो जब भी ट्रिप पर जाता है, तो उसे वहां पर जो भी लड़की मिलती है, उससे उसे प्यार हो जाता है. ज़्यादातर बॉलीवुड में ट्रिप इसीलिए दिखाई जाती है कि हीरो को रास्ते में किसी लड़की से प्यार हो जाए.
12. हॉरर मूवीज़ के ज़रिए भूतों का कबाड़ा
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रामसे ब्रदर्स ने अपने भुतही फ़िल्मों के ज़रिए जो अत्याचार किए हैं, उससे तो भूतों की प्रतिष्ठा ही मिट्टी में मिल गई. हर भुतही फ़िल्म में एक पुरानी हवेली रहेगी और उस हवेली पर एक बूढ़ा आदमी लालटेन लेकर सिर्फ़ ये बताने के लिए रहेगा कि पिछले 5 हज़ार सालों से उस हवेली पर कोई नहीं आया है.
13. जुड़वा भाई वाली फ़िल्मों के अजीबोग़रीब लॉजिक
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जुड़वा भाई वाले सीन में एक ग़ज़ब की चीज़ बॉलीवुड वालों ने अपनी तरफ़ से जोड़ी है. जुड़वा भाईयों में एक भाई जो काम करेगा, दूसरा न भी चाहते हुए वही काम करेगा. इसके अलावा बॉलीवुड फ़िल्मों में ये भी तय रहता है कि जुड़वा भाईयों में से एक बेहद चालाक, तो दूसरा एकदम लल्लू रहेगा.
14. इच्छाधारी नाग-नागिन
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बॉलीवुड वाले इसी बात को लेकर कन्फ़्यूज रहते हैं कि नाग-नागिन को इच्छाधारी होने की शक्ति कब मिलती है. किसी को लगता है कि जीवन के 1000 साल पूरे करने पर उन्हें ये शक्ति अपने आप मिल जाती है, तो कोई अपनी फ़िल्म में बताता है कि ये अनुवांशिक शक्ति होती है. बाकी जिस मणि को सिर में लेकर घूमने के बावजूद नाग विश्व-विजेता नहीं बन पाते, उसे छीन कर भगवान बनने का ख़्वाब हर फ़िल्म में तान्त्रिक तो देखता ही है.
15. गोलियों से छलनी होने के बावजूद लम्बा-चौड़ा भाषण देना
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सिर में गोली लगी हो या फिर छाती गोलियों से छलनी कर दी गई हो, लेकिन मरने से पहले वो किरदार स्क्रिप्ट के हिसाब से लम्बा-चौड़ा इमोशनल भाषण देगा. ऐसे दृश्य देखने के बाद पता चलता है कि भगवान के ऊपर भी एक शक्ति होती है, जिसे निर्देशक कहते हैं.
फ़िल्म की कहानी कितनी भी अच्छी और सशक्त हो, लेकिन ऐसे अजीबोग़रीब सीन्स अकसर दर्शकों के मन में खटकते हैं. अगर आपको भी फ़िल्मों के ऐसे सीन्स के बारे में पता है जो लॉजिकल नहीं हैं, तो उसके बारे में कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.