भूत की कहानी पर बॉलीवुड में कई फ़िल्में बनी हैं. कुछ ने डराया है तो कुछ डराने में असफल रही हैं. हाल ही में Netflix पर तृप्ति डिमरी, अविनाश तिवारी, पाउली दाम, और राहुल बोस स्टारर बुलबुल रिलीज़ हुई है. इस फ़िल्म का ट्रेलर देखकर ही रौंगटे खड़े हो गए थे तो पूरी फ़िल्म देखने पर क्या होगा. अगर डर लगता है तो संभल के और अपने रिस्क पर देखिएगा अनविता दत्त निर्देशित बुबुल. फ़िल्म की प्रोड्यूसर अनुष्का शर्मा हैं.

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वैसे हम आपको बताएंगे बुलबुल आपको क्यों देखनी चाहिए?

1. एक ऐसी कहानी जिससे आसानी से जुड़ पाएंगे, जिसमें Toxic Masculinity को दिखाया गया है

बुलबुल की कहानी एक ऐसे पितृसत्तामक समाज की कहानी है, जो ये कहता है कि पुरुष महिलाओं के मालिक हैं. उनके बिना महिलाएं कुछ नहीं है. ये भावना अकेले नहीं आती है, ये उन धारणाओं से प्रेरित होती है जो पुरुषों को ऐसा सोचने पर मजबूर करती है. साथ ही उनको ये ग़लतफ़हमी भी रहती है कि महिला के स्वभाव और व्यवहार के बारे में उन्हें एक महिला से ज़्यादा पता है. राहुल बोस ने ठाकुर परिवार को दो जुड़वा बेटों का किरदार निभाया है.

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सत्या (अविनाश तिवारी), जो इस बात से सहमत है कि बुलबुल ने अपने पति के साथ अन्याय किया है या ये कि महिलाओं को गांव में होने वाली अजीब और ख़तरनाक परिस्थितियों के बीच में नहीं जाना चाहिए. 

हवेलियों और जंगलों को नज़रअंदाज़ करें तो बुलबुल एक ऐसी कहानी है जो 21वीं सदी में सही बैठती है और यही असली त्रासदी है. 

2. तृप्ति डिमरी की एक्टिंग ज़बरदस्त है

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अपनी दूसरी फ़िल्म में तृप्ति डिमरी ने कमाल की एक्टिंग की है. उसके अभिनय से साफ़ पता चल जाता है वो क्या कहना चाहती है. एक तरफ़ वो मासूम सी लड़की है तो दूसरी तरफ़ एक हवेली की मालकिन भी है. वो ये बताने की कोशिश करती है कि असली चुड़ैल समाज है और उसकी सच्चाई है. राहुल बोस का किरदार भी दमदार है और अविनाश तिवारी ने एक बार फिर हॉरर फ़िल्म में अच्छा प्रदर्शन किया है. 

3. बहुत पावरफ़ुल बैकग्राउंड म्यूज़िक है

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अमित त्रिवेदी ने बैकग्राउंड म्यूज़िक के ज़रिए कहानी का दर्द, सशक्तिकरण और तनाव दोनों बख़ूबी समझ आते हैं.

4. कहानी में बहुत सी बातें आपको बांधे रखेंगी

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सिनेमैटोग्राफ़ी गुलाबी रंग की है, जो लाल ख़ून सी नज़र आती है. पैर में बिछिया पहनने के रिवाज़ को लड़की की आज़ादी से जोड़कर दिखाया गया है कि जिसे पहनने के बाद उसे कंट्रेल किया जा सकता है. कभी उसी लड़की को गुड़िया के रूप में देखा जाता है. ऐसी कई बातें हैं जो आपको इस फ़िल्म से जोड़कर रखेंगी. 

5. बंगाली संस्कृति में डूबी एक हॉरर फ़िल्म है

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बुलबुल हमें पुरानी हवेलियों, शिकार यात्राओं, पान की पेटियों और सालों से चली आ रही परंपराओं की ओर ले जाती है. हालांकि, ये फ़िल्म उत्तर भारत के कल्चर से दूर एक बंगाली संस्कृति में लिप्त फ़िल्म है. 

6. एक ऐसी फ़िल्म जो पितृसत्तात्मक समाज पर सवाल उठाती है, जो महिलाओं को जकड़ना चाहता

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बुलबुल एक युवा लड़की की कहानी है, जिसका बाल विवाह होता है वो भी उसकी उम्र के दोगुने व्यक्ति से, फिर उसे एक ऐसे घराने में बड़ा होना पड़ता है जो उससे बिल्कुल अलग है. यहां तक कि उसके दोस्त सत्या को भी उससे दूर किया जाता है.

बुलबुल को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन ये आज के समाज से बहुत मेल खाती कहानी है. यही एक कारण है कि आपको बुलवबुल ज़रूर देखनी चाहिए.

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