जय-वीरू और मुन्ना-सर्किट का नाम सुनते ही आपको अपने बेस्ट फ़्रेंड की याद आ जाती होगी. ये मेल फ़्रेंडशिप के उदाहरण हैं जिसके दर्शन फ़िल्मों में हो ही जाते हैं. लेकिन फ़ीमेल फ़्रेंडशिप को बयां करती कुछ गिनती की ही फ़िल्में हैं. चलिए आज आपको कुछ ऐसी फ़िल्मों के बारे में बता देते हैं जिनमें महिलाओं की दोस्ती की मिसाल कायम हुई थी. इन्हें देखने के बाद हर महिला को अपनी प्रिय सहेली की याद ज़रूर आई होगी.

1. पिंक- मिनल, पलक और एंड्रिया 

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अनिरुद्ध रॉय चौधरी की इस मूवी में तीन फ़्लैटमेट्स की स्टोरी थी मिनल, पलक और एंड्रिया. तीनों बेस्ट फ़्रेंड होने के साथ ही एक-दूसरे को हर तरह से सपोर्ट करती थीं. यहां तक की कोर्टरूम में भी तीनों ने एक दूसरे का पूरा साथ दिया था. 

2. वीरे दी वेडिंग- कालिंदी, अवनी, साक्षी और मीरा 

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इस फ़िल्म में इन चारों की दोस्ती देख लगता है कि जब बात जीवन भर दोस्त रहने की होती है तो कोई भी राज़ या फिर सीक्रेट दोस्ती से बड़ा नहीं होता. ये चारों एक दूसरे के सुख-दुख में किसी परिवार वाले की तरह साथ देती हैं. 

3. द लंच बॉक्स- इला और मिसेज़ देशपांडे 

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इला और मिसेज़ देशपांडे पड़ोसी हैं लेकिन दोनों की दोस्ती बहुत गहरी है. दोनों एक खिड़की के ज़रिए एक-दूसरे से बात करती हैं, पुराने गाने सुनती हैं और रेसिपी एक दूसरे से शेयर करती हैं. यही नहीं मिसेज़ देशपांडे ही उन्हें एक स्ट्रेंजर को लेटर लिख थैंक्स कहने को प्रेरित करती हैं. मिसेज़ देशपांडे एक बेस्ट फ़्रेंड की तरह सही सलाह देकर इला का मार्गदर्शन करती हैं. 

4. डोर- जीनत और मीरा 

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नागेश कुक्कुनूर की इस फ़िल्म में भले ही ज़ीनत अपने मतलब से मीरा से दोस्ती करती है, लेकिन वो बाद में एक-दूसरे की बेस्ट फ़्रेंड बन जाती हैं. मीरा दोस्ती का फ़र्ज़ भी निभाती है उसके पति को माफ़ीनामा देकर. 

5. आयशा- आयशा और पिंकी 

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चाहे कुछ भी हो जाए बेस्ट फ़्रेंड हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते. आयशा और पिंकी भी ऐसी दोस्ती की मिसाल पेश करती हैं. ये दोनों लड़ती-झगड़ती हैं लेकिन अंत में दोनों एक दूसरे के अच्छे बुरे वक़्त में साथ खड़ी नज़र आती हैं. 

6. क्वीन- विजयलक्ष्मी और रानी 

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इस फ़िल्म के लिए कंगना रनौत ने नेशनल अवॉर्ड जीता था. क्वीन को इसकी स्टोरी के साथ ही विजयलक्ष्मी और रानी की दोस्ती के लिए याद किया जाता है. रानी के शराब पीने के बाद जब वो रोना शुरू करती है तो विजयलक्ष्मी ही उसे संभालती है. साथ में कहती है कि विजय ने धोखा दे दिया तो क्या हुआ विजयलक्ष्मी तो है. 

7. Axone- उपासना, चानबी और मिनम 

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ये तीनों देश के उत्तरपूर्वी हिस्से से ताल्लुक रखती हैं और दिल्ली में साथ रहती हैं. यहां पर लोकल लोग उनका मज़ाक उड़ाते हैं और उन्हें ठीक से रहने भी नहीं देते. इन सबसे निपटते हुए उपासना और चानबी अपनी बेस्ट फ़्रेंड की शादी को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए जी-जान लगा देती हैं. 

8. देवदास- पारो और चंद्रमुखी 

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पारो और चंद्रमुखी दोनों जब मिलती हैं तो उन्हें पता चलता है कि वो एक ही शख़्स से प्यार करती हैं और ये भी कि दोनों का प्यार हमेशा अधूरा रहेगा. इससे दोनों को एक दूसरे के प्रति सहानुभूति होती है और वो बेस्ट फ़्रेंड भी बन जाती हैं. इसकी झलक ‘डोला रे डोला’ गाने में साफ़ दिखाई देती है. 

9. पार्च्ड- रानी, लाजो और बिजली 

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इस फ़िल्म में ये तीनों महिलाएं पितृसत्ता से लेकर आधारहीन परंपराओं तक सभी से साथ मिलकर लड़ती हैं. ये न सिर्फ़ एक-दूसरे की रक्षा करती हैं बल्कि एक-दूसरे को सपोर्ट भी करती हैं. यही तो सच्ची दोस्ती में होता है. 

10. ये जवानी है दीवानी- नैना और अदिती 

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कुछ दोस्त हम जवानी में बनाते हैं जो ज़िंदगी भर हमारा साथ देते हैं. ऐसी दोस्ती नैना ने अदिती से एक ट्रिप पर की थी. दोनों अलग-अलग नेचर की होते हुए भी बहुत अच्छी दोस्त बन जाती हैं और आख़िर तक एक दूसरे का साथ निभाती हैं. 

इनमें से कौन-सी बेस्ट फ़ीमेल फ़्रेंड्स वाली फ़िल्म आपके दिल के सबसे क़रीब है, कमेंट बॉक्स में हमसे ज़रूर शेयर करना.

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