भारतीय सिनेमा में जब-जब अद्भुत और अविस्मरणीय काम का ज़िक्र होगा तो बिमल रॉय का नाम ज़रूर लिया जाएगा. इनकी बेहतरीन फ़िल्मों में बंदिनी, सुजाता, परिणीता और दो बीघा ज़मीन हैं. इन्होंने अपनी फ़िल्मों के ज़रिए सामाजिक मुद्दों पर भी अकसर बात की है. मगर भारतीय सिनेमा और बिमल रॉय का साथ बहुत लंबा नहीं रहा. 8 जनवरी 1966 में 56 साल की उम्र में कैंसर के चलते उनका निधन हो गया था. बिमल रॉय के काम को सम्मानित करते हुए उन्हें नेशनल अवॉर्ड और फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया था.
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उनकी कुछ बेहतरीन फ़िल्मों पर एक नज़र डालते हैं:
1. काबुलीवाला
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इस फिल्म के लिए बिमल रॉय ने निर्माता बनने की ओर अपना कदम बढ़ाया था. हेमेन गुप्ता द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म को टैगोर की कहानी का सबसे सफ़ल रूपांतरण माना जाता है.
2. परिणीता
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बिमल रॉय ने इस क्लासिक रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी को बड़े पर्दे पर परिणीता के नाम से उतारा था. इसमें मीना कुमारी और अशोक कुमार मुख्य भूमिका में थे.
3. देवदास
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दिलीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली इस क्लासिक फ़िल्म में बिमल रॉय ने शरतचंद चटोपाध्याय के उपन्यास देवदास की कहानी को फ़िल्म के ज़रिए दर्शाया था. इस फ़िल्म में वैजयंतीमाला और सुचित्रा सेन भी थीं. फ़िल्म को चार अवॉर्ड मिले थे.
4. बंदिनी
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ये फ़िल्म नारी प्रधान थी. इसमें अशोक कुमार, धर्मेन्द्र और नूतन मुख्य भूमिका में थे. फ़िल्म को 6 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था जिसमें सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार भी शामिल था.
5. यहूदी
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इस फ़िल्म की कहानी आगा हशर कश्मीरी के नाटक यहूदी की लड़की पर आधारित थी. इसमें दिलीप कुमार, मीना कुमारी, सोहराब मोदी, नासिर हुसैन, निगर सुल्ताना और अन्य ने अभिनय किया था.
6. सुजाता
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फ़िल्म सुजाता में मुख्य भूमिका सुनील दत्त और नूतन ने निभाई थी. ये फ़िल्म भारत में प्रचलित छुआछूत की कुप्रथा पर आधारित थी. इस फ़िल्म में ब्राहम्ण और अछूत की कहानी थी. इस फ़िल्म को 1959 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
7. परख
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फ़िल्म परख लोकतंत्र पर एक कटाक्ष थी. इसमें लव स्टोरी के ज़रिए लालच और चालाकी को बख़ूबी दर्शयाा गया था. फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित तीन पुरस्कार जीते थे. इसमें मोतीलाल, साधना, दुर्गा खोटे सहित कई दिग्गज कलाकार भी शामिल थे.
8. मधुमती
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पुनर्जन्म की कहानी में गढ़ी गई फ़िल्म मधुमती सुपरहिट फ़िल्म थी. ये बिमल रॉय की पहली व्यावसायिक फ़िल्म थी और उनकी इस फ़िल्म ने 10 अवॉर्ड जीते थे. इसमें वैजयंतीमाला और दिलीप कुमार मुख्य भूमिका में थे.
9. दो बीघा ज़मीन
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अकाल से पीड़ित किसान पिता-पुत्र की जोड़ी के संघर्ष को दर्शाती ये फ़िल्म पहली फ़िल्म थी जिसने सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार जीता था. इतना ही नहीं, ये पहली भारतीय फ़िल्म थी जो कांस फ़ेस्टिवल में भेजी गई थी और इंटरनेशनल प्राइज़ भी जीता था.
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