Bollywood Movies Against Domestic Violence: घरेलू-हिंसा एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर खुलकर बात होनी बहुत ज़रूरी है क्योंकि इस दुनिया में न जाने कितनी औरतें ऐसी हैं जो चुपचाप सबके मन का काम करने के बाद भी मार खा रही हैं. प्रताड़ित की जा रही हैं उन्हें इस कदर डराया धमकाया जाता है कि वो किसी से कहना तो दूर चेहरे पर शिकन भी नहीं आने देतीं. दूसरों के सामने अपनी Happily Married Life के दम भरती रहती हैं, जबकि अकेले में सबसे ज़्यादा टूटी हुई और दुखी महसूस करती हैं.
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रियल लाइफ़ में तो इस पर बात करने से महिलाएं बचती हैं, लेकिन बॉलीवुड फ़िल्में किसी मुद्दे को ऐसे ही नहीं जाने देतीं, इन फ़िल्मों में समाज की बुराई और अच्छाई दोनों को बख़ूबी दिखाया जाता है. ऐसी ही कुछ फ़िल्में हैं जो घरेलू-हिंसा पर बनाई गई हैं, जिसमें एक्ट्रेस इस अत्याचार के ख़िलाफ पूरी हिम्मत से लड़ती हैं. ये फ़िल्म हर उस औरत को देखनी चाहिए जो इसके नरक में जूझ रही हैं, हो सकता है उसमें भी अपने साथ हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत आ पाए.
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Bollywood Movies Against Domestic Violence
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1. ख़ून भरी मांग (Khoon Bhari Maang) 1988
कबीर बेदी, राकेश रोशन और रेखा अभिनीत इस फ़िल्म की कहानी दिल को छूने वाली है, जिसमें रेखा का नाम आरती है और कबीर बेदी के किरदार का नाम संजय. रेखा इसमें दो बच्चों की विधवा मां के किरदार में है, जिसे कबीर बेदी से प्यार हो जाता है लेकिन कबीर बेदी धोखे से रेखा को मगरमच्छ की झील में पेंक देता है फिर रेखा इस धोखे का बदला लेती है.
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2. अग्नि साक्षी (Agni Sakshi) 1996
नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला अभिनीत, इस फिल्म ने सभी को सिखाया, ‘हद से ज़्यादा कुछ भी अच्छा नहीं, प्यार भी नहीं’. इस फ़िल्म में नाना पाटेकर को अपनी पत्नी मनीषा कोइराला उर्फ़ मधु के लिए बहुत स्नेह और प्यार दिखाया गया था, लेकिन ये प्यार मधु के लिए पागलपन बन जाता है इसलिए वो उसे छोड़कर कहीं बाग जाती है. इस फ़िल्म में नाना पाटेकर को बेहद आक्रामक और पजेसिव दिखाया गया था.
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3. राजा की आएगी बारात (Raja Ki Aayegi Baraat) 1997
इस फ़िल्म में रानी मुखर्जी एक ऐसे आदमी से शादी करती है, जिसने उसका रेप किया होता है. उसे लगता है कि इसके बाद सब कुछ सही होगा, लेकिन उसे उससे भी ज़्यादा प्रताड़ित किया जाता है, जिसका जवाब वो डटकर देती है. आख़िर में माला अपने पति को प्यार से अपना बना लेती है और बाकी ग़ुनाहगारों को सज़ा भी देती है.
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4. मेहंदी (Mehndi) 1998
ससुरालवालों और पति की गंदी गालियों और अत्याचारों की हर सीमा को तोड़ती ये फ़िल्म बुरे सपने जैसी है. किसी घर में दहेज के लिए एक बहू को कितनी बुरी तरह से प्रातड़ित किया जा सकता है वो देखकर अच्छे अच्छों को रोंगटे खड़े हो जाएंगे, लेकिन पूजा (रानी मुखर्जी) मुंहतोड़ जवाब देती है और सबको सबक सिखाती है.
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5. दमन (Daman) 2001
इस फिल्म में रवीना टंडन मुख्य भूमिका में हैं, रवीना के किरदार के नाम दुर्गा है. दुर्गा की शादी एक ऐसे इंसान से हो जाती है जो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है. एक दिन दुर्गा अपने बच्चों के साथ इस नर्क से भाग जाती है और अपने पति की हत्या कर देती है. ये फ़िल्म कल्पना लाज़मी की बेस्ट फ़िल्म में से एक है. इसके लिए रवीना टंडन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था.
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6. प्रोवोक्ड (Provoked) 2006
ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनीत Provoked एक वास्तिवक घटना पर आधारित है, जिसमें एक ऐसी महिला की कहानी है, जो 10 साल तक अपने पति के अत्याचारों को सहती है फिर एक दिन तंग आकर उसकी हत्या कर देती है. इस फ़िल्म की शूटिंग लंदन में हुई है.
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7. आकाश वाणी (Akaash Vani) 2013
लव रंजन द्वारा निर्देशित आकाश वाणी में Marital Rape के मुद्दे को उठाया गया है. ज़बरदस्ती रिलेशन बनाना किसी के भी सात ग़लत है फिर वो पत्नी ही क्यों न हो? फ़िल्म का मुद्दा बहुत गंभीर है और इसके साथ नुशरत बरूचा ने पूरी ईमानदारी की है.
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8. थप्पड़ (Thappad) 2020
तापसी पन्नू अभिनीत फ़िल्म ने हमें दिखाया कि कारण जो भी हो, शारीरिक शोषण हर तरह से ग़लत है. फ़िल्म हमें जो संदेश देती है वो बहुत ही साफ़ और सटीक है. एक थप्पड़ ही होता है, जो इंसान की हिम्मत बढ़ाता है, इसलिए उसे रोकना बहुत ज़रूरी है.
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9. डार्लिंग्स (Darlings) 2022
जसमीत के. रीन द्वारा लिखित ये फ़िल्म इस समाज में पनप रही पितृसत्ता के ख़िलाफ़ मुहतोड़ जवाब है. फ़िल्म में बताती है कि चुप रहकर नहीं, बल्कि परिस्थितियों से लड़कर उन्हें हराया जा सकता है. फ़िल्म में आलिया भट्ट, विजय वर्मा और शेफ़ाली शाह मुख्य भूमिका में हैं.
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डरोगी तो डराई जाओगी, उठो और अपने लिए आवाज़ उठाओ ताकि सारी आवाज़ें नीचे दब जाएं.