Bollywood Movies Toxic Relationship: बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसी कई रोमांटिक फ़िल्में बनी हैं, जिनके प्रति लोगों के दिलों में ख़ास जगह है. कुछ लोग तो मूवी में दर्शाए गए रोमांस को ही आइडियल मान बैठते हैं. लेकिन जान लीजिए जनाब, हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री आपको कई सालों से झांसे में रख रही है. कितनी फ़िल्में आईं और गईं, लेकिन बॉलीवुड अपनी अल्पविकसित विचार प्रक्रिया से बाहर नहीं आ पाया है.
यहां आपको कुछ ऐसे पॉपुलर मूवी के कैरेक्टर्स के रोमांटिक रिलेशनशिप के बारे में बता रहे हैं, जो इतने टॉक्सिक हैं कि हमें लगता हैं उन्हें कभी बनाया ही नहीं जाना चाहिए था. हम ये भी उम्मीद करते हैं कि ऐसी रिलेशनशिप को कोई रियल लाइफ़ में न ही प्रोत्साहित करे, तो बेहतर है.
Bollywood Movies Toxic Relationship
1. आशिक़ी 2
आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapoor) और श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) स्टारर ‘आशिक़ी 2‘ फ़िल्म जब रिलीज़ हुई थी, तो लोग उसके दीवाने हो गए थे. कुछ लोगों को तो ये मूवी इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने एक या दो बार नहीं, बल्कि कई बार इस मूवी को देख डाला था. हालांकि, अगर इस लव स्टोरी की बारीकियों पर नज़र डालें, तो फ़िल्म में जैसे ही राहुल की गर्लफ्रेंड आरोही पर स्पॉटलाइट पड़ती है, वो उसकी ज़िंदगी ख़राब करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. फिर भी आरोही उसे संभालने की कोशिश करती है, लेकिन राहुल को सुधरने के बजाय अपनी जान लेना ज़्यादा आसान लगता है. ये मूवी इस बात का सटीक उदाहरण है कि ऐसी रिलेशनशिप का रियल लाइफ़ में कभी अस्तित्व ही नहीं होना चाहिए.
2. कल हो ना हो
फ़िल्म में अमन (शाहरुख़ ख़ान) की ‘6 दिन लड़की इन‘ की थ्योरी से लेकर रोहित (सैफ़ अली ख़ान) में वफ़ादारी की कमी होने तक, इस मूवी का हर एक कैरेक्टर प्रॉब्लम करने वाला है. यहां तक नैना (प्रीति ज़िंटा) जो एक मज़बूत लड़की दिखाई गई है, उसका भी कोई ओपिनियन नहीं होता, जब उसे अपने पार्टनर को चूज़ करना होता है. इस मूवी में लव ट्राएंगल दिखाया है, पर उसमें लॉजिक की भारी कमी है. (Bollywood Movies Toxic Relationship)
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3. ये जवानी है दीवानी
फ़िल्म का मेन कैरेक्टर बनी (रणबीर कपूर) को एक सेल्फिश पर्सनैलिटी के रूप में दिखाया गया है. उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि नैना (दीपिका पादुकोण) की लाइफ़ में क्या चल रहा है. यहां तक कि वो उससे अपनी ज़िंदगी को छोड़कर अपने साथ चलने को कहता है. सालों तक वो नैना की ख़बर भी नहीं रखता. लेकिन अचानक से जब वो नैना को किसी रिलेशनशिप में देखता है, तब वो चाहता है कि नैना उसके साथ रिश्ते में आ जाए. काश नैना ने बनी को ‘ना’ कहकर ये साबित कर दिया होता कि उसकी लाइफ़ को जब चाहे अपने तरीक़े से मोड़ने का हक़ किसी को भी नहीं है.
4. कुछ कुछ होता है
ये मूवी 90 के दशक की सुपरहिट मूवी में से एक थी. हालांकि, इसमें राहुल (शाहरुख़ ख़ान) के प्यार करने का लॉजिक एकदम पल्ले नहीं पड़ा. फ़िल्म में जब अंजलि (काजोल) अपनी चॉइस के हिसाब से कंफ़र्टेबल तरीक़े से ड्रेस अप होती है, तो वो उसे सिर्फ़ दोस्त वाली नज़र से देखता है. पर जब वो समाज द्वारा बनाए गए एक स्टीरियोटाइप के मुताबिक़ साड़ी पहनती है और लंबे बाल कर लेती है, तब राहुल के मन में उसके लिए कुछ-कुछ होने लगता है. क्या इसका मतलब जब वो घर पर कंफ़र्टेबल पायजामा या नाइट सूट में होगी, तब वो उससे प्यार नहीं करेगा? (Bollywood Movies Toxic Relationship)
5. कबीर सिंह
इस फ़िल्म में ग़लत से ज़्यादा हमें ये देखने की ज़रूरत है कि मूवी में सही क्या है? कबीर (शाहिद कपूर) भले ही एक पढ़ा-लिखा डॉक्टर है, लेकिन फ़िल्म में उसकी सोच अनपढ़ व्यक्तियों से भी संकीर्ण दिखाई गई है. वो प्रीति (कियारा आडवाणी) को एक नौकर की तरह ट्रीट करता है. वो चाहे प्रीति के साथ कितना भी बुरा बर्ताव कर ले, लेकिन वो फिर भी उसके पास ही लौट कर आती है. ये फ़िल्म साबित करती है कि बॉलीवुड फ़िल्ममेकर्स की मानसकिता कितनी स्त्री द्वेष पूर्ण है.
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6. रहना है तेरे दिल में
इस फ़िल्म ने ये प्रूव करने की कोशिश कि स्टाकिंग करने से लड़की आपके प्यार में पड़ जाती है. फ़िल्म में मैडी (आर माधवन) ने रीना (दीया मिर्ज़ा) से झूठ बोला, अपनी पहचान छुपाई. यहां तक कि वो उसका पीछा भी करता रहा. हैरानी तो तब होती है, जब एंडिंग में ये सब जानने के बाद भी रीना वापस मैडी के पास ही लौट के आ जाती है. बॉलीवुड को हो क्या गया है भाई. (Bollywood Movies Toxic Relationship)
7. दिल तो पागल है
फ़िल्म में राहुल (शाहरुख़ ख़ान) को महिलाओं की प्राइवेसी की कोई इज्ज़त नहीं है और निशा (करिश्मा कपूर) के कमरे में बिना दरवाज़ा खटखटाए घुसा चला जाता है. वो एक फैंटसी की दुनिया में रहता है, जिसमें वो एक आइडियल लड़की ‘माया’ के बारे में अपने दिमाग़ में सोचता है. जब वो पूजा (माधुरी दीक्षित) से मिलता है, तब वो अपनी कल्पना को उस पर प्रक्षेपित करता रहता है. पूजा भी उसकी सारी बकवास को चुपचाप सहती रहती है. मतलब कुछ भी दिखाया जा रहा है.
8. रांझणा
फ़िल्म में रिजेक्ट होने और थप्पड़ पड़ने के बावजूद भी कुंदन (धनुष), ज़ोया (सोनम कपूर) का सालों तक पीछा करता है. वो उसे अपने साथ रहने के लिए मनवाना चाहता है. क्या आप इसे प्यार कहते हैं? जी नहीं, इसे प्रताड़ना कहते हैं. (Bollywood Movies Toxic Relationship)
9. बद्रीनाथ की दुल्हनिया
ऐसा लगता है लड़कियों का पीछा करने का एंगल फ़िल्म में दिखाना फ़िल्ममेकर्स का इन्ट्रेस्ट है. पूरी मूवी में बद्री (वरुण धवन) को वैदेही (आलिया भट्ट) का पीछा करते हुए दिखाया गया है. यहां तक जब वैदेही सिंगापुर अपना करियर बनाने चली जाती है, तब बद्री बवाल मचा देता है. डियर बॉलीवुड, प्यार इन सब चीज़ों के बारे में नहीं है.
ये मूवी कौन सा माल फूंक कर बनाई गई थीं, ये तो वही बता सकते हैं.