बचपन की यादें आज भी हमारे चेहरे पर चमक ला देती हैं. ख़ासकर वो यादें जब हम बड़े हो रहे थे. लेकिन बचपन की कुछ यादें ऐसी भी थीं जो अब धुंधली सी पड़ गई हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि तब हम बेहद छोटे थे और हमें बातें ठीक से याद भी नहीं हैं, लेकिन इतना ज़रूर याद है कि जब हम रोते थे, खाना नहीं खाते थे और सोते समय ना नुकुर करने लगते थे तो मां और घर के बड़े-बुज़ुर्ग हमें कविताएं और लोरियां सुनाया करते थे. इन लोरियों और कविताओं को सुनने के बाद ही हम खाना खाते थे या हमें नींद आती थी. लेकिन आज दशकों बाद हम आपके बचपन की उन ख़ूबसूरत यादों को फिर से ताज़ा करने जा रहे हैं.

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आज हम आपको आपके बचपन की यादों को यादगार बनाने वाली इन लोरियों और कविताओं को लिखने वाले लोगों से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने आपके बचपन को ख़ूबसूरत बनाया.

1- उठो लाल अब आंखें खोलो
पानी लायी हूं मुंह धो लो
बीती रात कमल दल फूले
उसके ऊपर भंवरे झूले
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे
बहने लगी हवा अति सुंदर

बचपन में मां सुबह-सुबह हमें ये कविता सुनाया करती थीं. इस ख़ूबसूरत कविता को भारत के प्रसिद्ध कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने लिखी थी.

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2- लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोडे की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा

भारत की हर मां ने अपने बच्चे को ये गाना, कविता के रूप में ज़रूर सुनाया होगा. मासूम फ़िल्म के इस गाने को गुलज़ार साहब ने लिखा था.

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3- चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के
आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में
आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में
प्याली गयी टूट, मुन्ना गया रूठ

भारत के हर एक बच्चे ने लोरी के रूप में बॉलीवुड फ़िल्म ‘वचन’ का ये गाना ज़रूर सुना होगा. सन 1955 में बने इस गाने को गीतकार रवि ने लिखा था.

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4- चंदा ओ चंदा
किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया
जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना
अपने ये आंसू मगर किसे मैं दिखाऊं
मैंने तो गुज़ारा, जीवन सारा, बेसहारा, हो
जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना

70 से लेकर 90 के दशक तक हर भारतीय मां अपने बच्चे को सुलाने के ये गाना, लोरी के रूप में सुनाती थी. इस गाने को मशहूर गीतकार आनंद बक्शी ने लिखा था.

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5- सुरमयी अंखियों में
नन्हा मुन्ना एक सपना दे जा रे
निंदिया के उड़ते पाखी रे,
अंखियों मौन आजा साथी रे

सदमा फ़िल्म में श्रीदेवी को सुलाने के लिए कमल हसन को ये लोरी गाते हुए देखा होगा. बचपन में मां भी इसी लोरी गाकर हमें सुलाती थीं. इस गाने को गुलज़ार साहब ने लिखा था.

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6- नन्ही कलि सोने चली, हवा धीरे आना
नींद भरे, पंख लिए, झूला झूला जाना
नन्ही कलि सोने चली हवा धीरे आना
नींद भरे, पंख लिए, झूला झूला जाना

बच्चों की इस लोरी को गीता घोष रॉय चौधरी ने गाया है, जिन्हें गीता दत्त के नाम से भी जाना जाता है. इस लोरी के बोल मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे.

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7- चंदा है तू, मेरा सूरज है तू
ओ मेरी आंखों का तारा है तू
जीती हूं मैं बस तुझे देख के
इस टूटे दिल का सहारा है तू

लता मंगेशकर की आवाज़ से सजी ये ख़ूबसूरत लोरी ‘अराधना’ फ़िल्म से है. इस लोरी के बोल मशहूर गीतकार आनंद बख्शी ने दिए हैं.

8- तीतर के दो आगे तितर
तीतर के दो पीछे तीतर
आगे तितर पीछे तीतर
बोलो कितने तीतर

राज कपूर की फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का ये गाना भी बचपन में कविता के रूप में काफ़ी मशहूर था. इस गाने को हसरत जयपुरी ने लिखा था.

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9- गुड़िया रानी बिटिया रानी
परियों की नगरी से एक दिन
राजकुंवर जी आएंगे
महलों में ले जाएंगे

लता मंगेशकर द्वारा गायी गई ये लोरी साल 1991 में आई फ़िल्म ‘लम्हे’ से है. इस बेबी लोरी के बोल मशहूर गीतकार आनंद बक्शी द्वारा दिए गए हैं.

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10- लल्ला लल्ला लोरी दूध की कटोरी
दूध में बताशा मुन्नी करे तमाशा
छोटी-छोटी प्यारी सुंदर परियो जैसी है
किसी की नज़र ना लगे मेरी मुन्नी ऐसी है
शहाद से भी मीठी दूध से भी गोरी
चुपके-चुपके चोरी-चोरी

इस लोरी के बिना बचपन की हर लोरी अधूरी है. बचपन में जब हम दूध नहीं पीते थे तो मां हमें मनाने के लिए यही लोरी सुनाती थीं. ये नटखट लोरी भी आनंद बक्शी ने ही लिखी थी.

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