Game of Thrones के बारे में सुने हो? नहीं सुने? अच्छा किया! आज हम तुमको बॉलीवुड फ़िल्मों और अम्मा के हाथ के चिकन से ज़्यादा मसालेदार इस सीरीज़ की कहानी सुनाने जा रहे हैं.
काहे सुनें हम ये कहानी?
एक तो मज्जेदार हिंदी में है और देसीपन लिए है.
कहानी शुरू करने से पहले उसके किरदारों का नाम जान लीजो. वो जैसा फ़िल्म में कास्ट आता है न पहले से, वैसे:
Robert Baratheon- राजा बैल बुद्धी
Jamie Lannister- गबरू नौजवान
Cerci Lannister- मीठी छुरी
Tyrion Lannister- चतुर बौना
Catelyn Stark- आदर्श गृहणी
Ned Stark- भोला बेवकूफ़
Jon Snow- जॉन बर्फ़ीला
Daenarys Targarean- ड्रैगन अम्मा
Khal Drogo- खली
Hand of The King- महामंत्री
Arya Stark: तेज़ तर्रार
Sansa Stark: छुई मुई
Westeros- पश्चिमापुर
इस कहानी में जादू-टोना है, दैत्य हैं, Zombies है, हर तरह का मौसम है, 7 Kingdoms हैं और कुछ इंसान जो कुत्ते-बिल्लियों की जगह ड्रैगन्स और भेड़िये पालते हैं. सबसे अहम एक ‘लोहे का मचिया’ (कुर्सी) है जिसके लिए भाई-भाई को मारने और बुआ-भतीजा आपस में संबंध बनाने को भी तैयार हो जाते हैं. और ये सब पश्चिमापुर नामक राज्य में होता है. पश्चिमापुर की सरहद है ‘दीवार’. कहा जाता है जो एक बार इसको पार किया वो परलोक सिधार गया. बोले तो काशी जाये बिना ही डायरेक्ट स्वर्ग जाने का टिकट.
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पश्चिमापुर की राजधानी में है लोहे का मचिया जिस पर तशरीफ़ टिकाये हुए है राजा बैल बुद्धी. राजा बैल बुद्धी की ‘अधर्मी’ पत्नी है, रानी मीठी छुरी. बस समझ लीजिये जहर है ये औरत. बैल बुद्धी समझता है कि राज्य वो चला रहा है, पर असल में मीठी छुरी ‘पति फौज में बीवी मौज में’ को सच साबित कर रही है. मौज ऐसी है कि इसने अपने बड़े भाई के साथ ही संबंध बना लिए. हे राम! नर्क भोगेंगे ये. मीठी छुरी की निगाहें लोहे का मचिया पर हैं.
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षड्यंत्रकारियों की असीम कृपा से राजा बैल बुद्धी के महामंत्री की मृत्यु हो गई. नए महामंत्री की खोज में राजा बैल बुद्धी, भोले बेवकूफ़ के दर पर जा पहुंचा. नाम के मुताबिक भोले बेवकूफ़ ने बैल बुद्धी का महामंत्री बनना स्वीकार कर लिया. बेवकूफ़ी का आलम कुछ यूं था कि अपनी बीवी,आदर्श गृहणी के रोकने पर भी वो नहीं रुका और बैल बुद्धी के पीछे-पीछे चल दिया. भोला बेवकूफ़ सुरक्षा कारणों से अपनी बेटियों (छुई-मुई और तेज़ तर्रार) को भी संग लेकर गया. मतलब पूरा अकेला छोड़ दिया आदर्श गृहणी को.
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भोला बेवकूफ़ और आदर्श गृहणी के तीन और बच्चे हैं, बड़कू, मंझलू , छुटकू. इसके अलावा भोला बेवकूफ़ के ‘वैसे’ संबंधों का नतीजा है, जॉन बर्फ़ीला.
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दीवार पर तैनात रहते हैं, ‘रात के पहरेदार’. उस पार की परेशानियों से पश्चिमापुर को बचाते हैं ये पहरेदार और जॉन बर्फ़ीला भी इन पहरेदारों में शामिल होना चाहता है. का है कि भोले बेवक़ूफ़ की बीवी, उसकी आधी अम्मा को वो एक्के आंख नहीं सुहाता. इसलिए वो दीवार की तरफ़ निकल पड़ता है. इस सफ़र में उसका साथ देता है, चतुर बौना जो मीठी छुरी का छोटा भाई भी है.
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छुई मुई को अपने बाप के गुण मिले थे, सो वो भी मगज की मारी थी. इसे बैल बुद्धी के लड़के, अमंगल कुमार से प्रेम हो जाता है. मतलब कि 11-12 साल की बच्ची और लव-लव खेल रही है. हे भगवान! छुई मुई प्रेम में इस कदर अंधी हो गई कि उसके जिन्दगी का एकै मकसद रहा, ‘ब्याह’ और वो भी अमंगल से.
सब ठीक-ठाक ही चल रहा है. एक दिन राजा बैल बुद्धी शिकार खेलने गया और शिकार होकर वापस आ गया. बोले तो सुअर ने उसे घायल कर दिया. बैल बुद्धी सुअर की ही मौत मर गया पर मरते-मरते उसने महामंत्री भोले बेवकूफ़ को पश्चिमापुर को संभालने की ज़िम्मेदारी दी. लेकिन ये बातचीत एक बंद कमरे में हुई, जिसका कोई गवाह नहीं था.
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भोले बेवकूफ़ को मीठी छुरी के नापाक मनसूबों का पता चल गया था. भोले को भोलेपन का दोगुना लगान देना पड़ा, राज्य तो गया ही जान भी गई. भोले बेवकूफ़ की मौत को दोनों बेटियों ने अपनी आंखों से देखा. तेज़तर्रार अपनी जान बचाने के लिए भेष बदलकर वहां से भाग गई. छुईमुई तो अमंगल की ही निगरानी में रहना पड़ा, पर वो समझ चुकी थी कि अमंगल से प्रेम करना उसकी सबसे बड़ी भूल थी.
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बैल बुद्धी से पहले लोहे के मचिये पर तशरीफ़ थी, राजा सनकी पांडे की. सनकी पांडे के खिलाफ़ विद्रोह कर बैल बुद्धी मचिये पर बैठा था. गबरू नौजवान जो रिश्ते में बैल बुद्धी का साला और उसकी मेहरारू का आशिक़ था, उसने सनकी को मौत के घाट उतारा था. लोहे के मचिये की चाहत सनकी पांडे के बच्चों(विष पांडे और अमृत पांडे) में भी थी. विष पांडे किसी भी हाल में मचिये पर बैठना चाहता था, जिसके लिए उसने अपनी इकलौती बहन अमृत पांडे की शादी बर्बर जनजाति के सरदार, खली से करवा दी. अमृत पांडे राजकुमारी से खलीसी बन गईं. खलीसी को शादी के मौके पर एक बुढ़ऊ ने बहुत ही अजीब तोहफ़ा दिया था. 3 ड्रैगन के अंडे. सोना, चांदी के बजाये अंडे दे दिए! डिनर सेट दे देता, अंडे कौन देता है बे!
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विष पांडे को किसी से मतलब नहीं था, अपनी बहन से भी नहीं. कुत्ते की मौत मरेगा साला! सेना के लिए बहन का सौदा कर दिहिस. कीड़े पड़े उसको! विष मचिये के प्रेम में ऐसा डूबा था कि बर्बर खली के सामने उसकी खलीसी की इज़्ज़त की धज्जियां उड़ाने की हिमाकत कर बैठा. बदले में उसे ज़्यादा कुछ नहीं, ‘सोने की मौत’ मिली. अरे भई? पिघला सोना भेजे में साएं से घुसेगा, तो आदमी टें तो बोल ही देगा.
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खलीसी और खली की अच्छी कट रही थी, खलीसी पेट से थी. लेकिन किन्हीं कारणों से इस जोड़े के अजन्मे बच्चे और खली की मौत हो गई. खलीसी बिख़र गई. दुख और पीड़ा ने उसे इस कदर घेर लिया कि उसने जौहर का निर्णय ले लिया. और फिर एक दिन वो तीनों ड्रैगन के लेकर आग में कूद गई. पर वो मरी नहीं. जब आग ज़रा कम हुई, तो लोगों ने देखा खलीसी तीन छोटे-छोटे ड्रैगन्स के साथ आग से बाहर निकल रही है. और इस तरह ड्रैगन अम्मा का जन्म हुआ.
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तेज़तर्रार का क्या हुआ? क्या जॉन बर्फ़ीला अच्छा पहरेदार बन पाया? क्या भोले बेवकूफ़ का पूरा परिवार उसकी मौत का बदला ले पाया? और दिमाग़ का दही करने वाला सबसे बड़ा सवाल है, खलीसी आग में कैसे नहीं जली?
इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे, लेकिन कहानी के अगले भाग में.