90 के दशक में बहुत से एल्बम… आए मेड इन इंडिया, परी हूं मैं और खिड़की पे आऊं न बाहर न जाऊं. ये गाने बहुत हिट थे. तभी एक गाना आया ‘याद पिया की आने लगी’ जिसे फ़ाल्गुनी पाठक ने गाया था. इस गाने की मासूमियत ने हर किसी को ख़ुद से जोड़ा था. इसकी सारंगी की धुन, सिग्नेचर ट्यून बन गई, जो आज भी बज जाती है तो डांस करने का मन कर जाता है. इसका सिग्नेचर स्टेप तो याद होगा क्योंकि मुझे तो याद है और ऐसा कोई फ़ंक्शन नहीं होगा, जब ये गाना बजा हो और मैंने इसका स्टेप न किया हो. मेरी तरह आप में से कितने लोग होंगे जिनकी यादें जुड़ी होंगी. कॉलेज की दोस्तों की वो प्यारी सी अदाएं और फ़ाल्गुनी पाठक की दिल को सुकून पहुंचाने वाली आवाज़, इस वीडियो की ख़ासियत यही थी. फ़ाल्गुनी के गानों में प्यार के एहसास को बिन कहे और बिन बोले बस आंखों से जता दिया जाता था.
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मगर 2 दिन पहले की बात है यूट्यूब पर उंगलियां घुमाते-घुमाते मुझे ‘याद पिया की आने लगी’ गाना दिख गया. उस गाने पर अपनी उंगलियों से क्लिक करने से पहले मेरी वही यादें ताज़ा हो गईं और क्लिक करने के बाद वही यादें धुआं हो गईं. अगर आपने भी सुना है तो आपके साथ भी शायद ऐसा ही हुआ होगा? यार, किसी की यादों पर कैंची चलाना कहां का इंसाफ़ है?
अब मैं अपने साथ या इस गाने के फ़ैंस के साथ हुए अत्याचार पर आती हूं, जो टी-सीरीज़ ने किया है. इन्होंने इस गाने को रीक्रिएट किया और इसकी रेड़ पीट दी. हम जानते हैं किसी भी गाने को रीक्रिएट करने के पैसे मिलते हैं. इसके लिए आपने गाने की फ़ील की ऐसी की तैसी कर दी. यहां तक कि पूरे वीडियो का सर्वनाश कर दिया. वीडियो की शुरुआत ही चोरी से हुई, वीडियो में जो रोबोट का पूरा सीन क्रिएट किया गया है वो इनका अपना नहीं, बल्कि हॉलीवुड फ़िल्म WALL-E का है, जिसने भी WALL-E का ट्रेलर देखा होगा उसको मेरी बात समझ आएगी. मैंने भी तब तक नहीं देखा था मुझे मेरी एक साथी ने दिखाया, जिसे देखने के बाद ‘मेरे काटो तो ख़ून नहीं’ वाली स्थिति हो गई थी. WALL-E, वो फ़िल्म जिसे एनीमेशन के लिए Academy, BAFTA, Los Angeles Film Critics Asociation Award और Golden Globe Award मिल चुका है.
पूरे गाने में लव स्टोरी दिखाने की कोशिश की गई जिसमें नाक़ामयाबी हासिल हुई. इसके बाद गाने में मखमल पे टाट का पैबंद लगाया है नेहा कक्कड़ की आवाज़ ने. मैं उनकी आवाज़ को बुरा नहीं कह रही हूं क्योंकि पार्टी में उनके गाने बजते हैं तो मेरे क़दम भी थिरकते हैं, लेकिन इस गाने के लिए उनकी आवाज़ सूट नहीं कर रही. दिव्या खोसला कुमार ने फ़िल्मों को भले ही अलविदा कह दिया हो मगर फ़िल्मी कीड़ा उनका अभी भी काटता रहता है और उसी का नतीजा निकला है ये गाना.
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मुझे उनलोगों पर तरस आ रहा है गुस्सा नहीं, जिन्होंने इसके व्यूज़ 33 मिलियन पहुंचाए हैं. वो भी मेरे जैसे ही होंगे उन्होंने 90 के ‘याद पिया की आने लगी’ को सोचकर क्लिक किया होगा. मगर उनके साथ हुआ धोखा वो भी इतना दर्दनाक. इनको मैं एक ही बात बोलूंगी अपनी चीज़ तो सबको जान से प्यारी होती है फिर इन्होंने अपने ही गाने का इतना दर्दनाक, ख़ौफ़नाक और असहनीय अंजाम कैसे कर दिया?
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लोगों ने गाने कमेंट के ज़रिए इस गाने पर गुस्सा जताया है, जो आप नीचे पढ़ सकते हैं.
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आपको बता दें, इस 1998 में आए इस गाने का दूसरा वर्जन 1999 में सनी देओल और महिमा चौधरी का फ़िल्म ‘प्यार कोई खेल में’ आया था. मगर इन फ़िल्म में गाना फ़ाल्गुनी पाठक की ही आवाज़ में था. इसके साथ खोई छेड़-छाड़ नहीं की गई थी.
आख़िर में इतना कहूंगी, मेरे साथ और 90 के दशक के हर बच्चे के साथ हुई इस नाइंसाफ़ी का बदला लेगा रे इस गाने का हर एक फ़ैन!
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