राकेश ओमप्रकाश मेहरा ये वो नाम है जो फ़िल्म जगत में बड़े ही अदब से लिया जाता है. इनके द्वारा बनाई गई फ़िल्में न सिर्फ़ लोगों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज को एक संदेश भी दे कर जाती हैं. इसकी झलक आप ‘रंग दे बसंती’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’, ‘दिल्ली-6’ जैसी फ़िल्मों में देख चुके हैं. इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड भी जीते हैं. मगर एक दौर ऐसा भी था जब उनकी पहली फ़िल्म जिसे वो बनाना चाहते थे वो बन ही नहीं सकी.
बात उन दिनों कि है जब राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपना कॉलेज ख़त्म किया था. घरवालों को सपोर्ट करने के लिए उन्होंने एक सेल्समैन की नौकरी कर ली. ये एक वैक्यूम क्लीनर बनाने वाली कंपनी थी, जिसमें उनकी सैलरी सिर्फ़ 418 रुपये महीना थी. इसके कुछ दिनों बाद उनके एक दोस्त ने उन्हें विज्ञापन के क्षेत्र में आने का ऑफ़र दिया.

ओमप्रकाश मेहरा के दिल से आवाज़ आई कि इस फ़ील्ड में काम करना चाहिए और वो एड इंडस्ट्री में घुस गए. यहां उन्होंने पहली एड फ़िल्म बनाई थी हीरो होंडा के लिए, जो हिट हो गई. उन्हें इसके लिए बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड भी मिला. इसके बाद वो दिल्ली से मुंबई पहुंच गए. यहां उन्होंने सैंकड़ों एड फ़िल्में बनाईं. फिर उन्होंने सोचा क्यों न अब फ़िल्मों में हाथ आज़माया जाए.

फिर उन्होंने फ़िल्म की कहानी लिखनी शुरू की. फ़िल्म का नाम था ‘समझौता एक्सप्रेस’. इस फ़िल्म से वो एक्टर अभिषेक बच्चन को लॉन्च करना चाहते थे. उन्हें साइन भी कर लिया गया. मगर इस फ़िल्म को फ़ाइनेंस करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. क़रीब दो साल तक वो पूरी इंडस्ट्री में भटकते रहे. आख़िर में थक हारकर उन्होंने ख़ुद एक दिन अपनी स्क्रिप्ट और उससे जुड़ी सारी रिसर्च उठाई और उसमें आग लगा दी.

क्योंकि उन्हें लगता था कि अब इस मूवी को कोई नहीं बनाएगा. ये फ़िल्म उनके दिल के बहुत क़रीब थी, मगर न चाहते हुए भी उन्हें इसे बंद करना पड़ा. इस तरह उनकी पहली फ़िल्म बनते-बनते रह गई. इसकी एक वजह फ़िल्म की कहानी भी थी जो एक पाकिस्तानी किरदार पर बेस्ड थी, जिस पर उस वक़्त कोई फ़िल्म बनाना ही नहीं चाहता था.

अगर ये फ़िल्म बन जाती तो अभिषेक बच्चन की पहली फ़िल्म ‘रिफ्यूजी’ न हो कर ‘समझौता एक्सप्रेस’ होती. ख़ैर, इसी फ़िल्म के ज़रिये उनकी मुलाकात अमिताभ बच्चन से हो गई और उन्हें लेकर राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपने करियर की पहली फ़िल्म ‘अक्स’ बना डाली. फ़िल्म तो नहीं चली मगर ओम प्रकाश मेहरा जी का करियर चल पड़ा. लोगों ने उनके निर्देशन की ख़ूब तारीफ़ की.

इसके बाद उन्होंने आमिर ख़ान को लेकर फ़िल्म बनाई ‘रंग दे बसंती’. इसकी स्क्रिप्ट और निर्देशन दोनों उन्होंने किया था. ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर हिट हुई. इसने कई अवॉर्ड भी जीते. यहां तक कि ऑस्कर के लिए इसे भारत की तरफ से ऑफ़िशियली बेस्ट फ़ॉरन लैंग्वेज की कैटिगरी में भेजा भी किया गया था.

फिर उन्होंने फ़रहान अख़्तर को लेकर फ़िल्म बनाई ‘भाग मिल्खा भाग’, जो दर्शकों को पसंद आई. कहते हैं इस फ़िल्म के बाद से ही इंडस्ट्री में बायोपिक बनाने का चलन शुरू हो गया था. आगे की कहानी तो सभी को पता ही है. आज भी वो लीक से हटकर फ़िल्म बनाते हैं और अच्छी बात ये है कि वो दर्शकों को पसंद भी आती है.
मगर राकेश ओमप्रकाश मेहरा जी को अपनी पहली फ़िल्म न बन पाने का आज भी मलाल है. उनसे जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.
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