बॉलीवुड के इतिहास में ऐसे कई अभिनेता हुए जिन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर हिंदी सिनेमा के आयाम ही बदल दिये. ये एक्टर हिंदी सिनेमा की पहचान बन गए. इन्होंने हिंदी सिनेमा को अपना सब कुछ दे दिया जो इतना आसान नहीं होता. कई एक्टर तो घर छोड़ कर इस जगह आए तो कुछ को बनी बनाई पटरी मिल गई बस चलना था. ऐसा ही एक लड़का 1980 में भी आया, जिसने अपनी एक्टिंग के दम से दुनिया पर राज किया है.
आइए जानते हैं कि आख़िर वो लड़का कौन था और आज वो कहां पर है और क्या कर रहा है?
हम जिनकी बात कर रहे हैं उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 40 साल से ज़्यादा हिंदी सिनेमा को दिए हैं. इन्होंने बॉलीवुड को ‘जाने भी दो यारों’, ‘मासूम’, ‘अर्ध्य सत्य’ ‘मिर्च मसाला’, ‘परज़ानिया’, ‘मोहरा’, ‘सरफ़रोश’, ‘A Wednesday’ और ‘त्रिदेव’ सहित कई और दमदार फ़िल्में दी हैं. इस कलाकार ने इन फ़िल्मों में निभाये गये किरदारों से ही फ़ैंस के दिलों में जगह बनाई है.
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चलिए बताते हैं वो एक्टर कौन हैं उनका नााम है नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah), जो केवल एक एक्टर नहीं, बल्कि एक्टिंग की पूरी पाठशाला हैं. इन्होंने फ़िल्म हम पांच (Hum Paanch) से बड़े पर्दे पर दस्तक दी और यहीं के होकर रह गये. दर्शकों ने उनकी एक्टिंग को ख़ूब पसंद किया और उन्हें अपने दिल में बसा लिया.
नसीरुद्दीन शाह ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (NSD) से एक्टिंग कोर्स किया और फिर अपनी उसी संजीदा एक्टिंग के दम पर बॉलीवुड में झंडे गाड़े. आज भले ही अपनी दमदार एक्टिंग के चलते नसीरुद्दीन सबको चुप कर देते हैं. मगर एक दौर वो भी था जब उन्हें बदशक्ल कह कर बहुत मज़ाक उड़ाया जाता था. आज वही शक्ल नसीरुद्दीन शाह की पहचान बन चुकी है.
नसीरुद्दीन शाह की एक्टिंग पर तो कोई सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता लेकिन इनकी शक्ल पर जो सवाल खड़ा हुआ था वो इन्हीं के दौर की एक एक्ट्रेस ने किया था. उनका कहना था कि, क्या अब इस बदशक्ल वाले एक्टर के साथ काम करना होगा? सिर्फ़ एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी गर्लफ़्रेंड ने भी उन्हें ये कह कर छोड़ दिया था कि तुम हीरो की तरह सुंदर दिखाई नहीं देते.
वो बात अलग है कि बाद में यही शक्ल श्याम बेनेगल की फ़िल्म का चेहरा बनी क्योंकि उन्हें इसी शक्ल का एक्टर चाहिए था. इसेक बाद, इन्होंने श्याम बेनेगल के साथ ‘निशांत’, ‘मंडी’, ‘त्रिकाल’ और ‘भूमिका’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में की.
नसीरुद्दीन शाह के पिता का नाम अली मोहम्मद शाह था. इनकी मां का नाम फ़ारुख़ सुल्तान था. बचपन से ही नसीरुद्दीन उत्तर प्रदेश में रहे हैं. मगर इन्होंने अपनी पढ़ाई अजमेर के St. Anselm से और नैनीताल के St Joseph’s College से की है. कहते हैं कि इनका अपने पिता से रिश्ता कुछ ख़ास नहीं था. नसीरुद्दीन अपने पिता से इतने नाराज़ रहते थे कि उन्होंने अपने पिता से कभी बात नहीं की. इस नाराज़गी के चलते उन्होंने अपने पिता के ज़िंदा रहते एक भी अल्फ़ाज़ उनसे नहीं कहे और पहली बार उनसे बात उनकी कब्र पर जाकर की.
नसीरुद्दीन शाह 73 साल के हो चुके हैं और उनकी एक्टिंग ही है जो उनके साथ कम उम्र की एक्ट्रेस तक काम करना चाहती हैं. इसके चलते उन्होंने हर एक पीढ़ी के साथ बेहतरीन काम किया है. इनकी एक्टिंग का दमखम बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक सबने देखा है. Venice Film Festival का हिस्सा होने के साथ-साथ तीन-तीन नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुके हैं.
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आपको बता दें, नसीरुद्दीन शाह ने करियर में रोमांटिक रोल से लेकर कॉमेडी और एक्शन रोल तक किए हैं. इन्हें फ़िल्म स्पर्श, ‘पार’ और ‘इक़बाल’ के लिए नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड मिला था. इतना ही नहीं, 3 फ़िल्मफ़ेयर, 1 IIFAA और एक Venice Film Festival का Volpi Cup का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड भी इन्हीं को ही मिला था. साल 1987 में भारत सरकार ने नसीरुद्दीन शाह को पद्मश्री और साल 2003 में पद्म भूषण से नवाजा था.