श्रीदेवी एक ऐसा नाम है जो अपनी अभिनय की अदायगी से आज भी हमारे दिलों में बसी हैं. किसी भी किरदार को चाहे वो हंसने का हो या रोने का उन्होंने सबके साथ न्याय किया. सदमा में एक पागल लड़की का किरदार निभाकर उन्होंने साबित कर दिया कि अभिनय का दूसरा नाम श्रीदेवी है. आज ही के दिन जन्मीं श्रीदेवी ने 4 साल की उम्र में फ़िल्मों में दस्तक दे दी थी. लोगों ने छोटी सी श्रीदेवी को उतना ही प्यार दिया जितना उन्हें ‘चांदनी’ बनाकर दिया. वो साल दर साल अपने अभिनय से लोगों के दिलों में बसती गईं और कभी न मिटने वाली छाप बना ली.

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श्रीदेवी के गानों पर शायद ही कोई लड़की होगी जो न थिरकी हो. इन्होंने अपने गानों से हमें थिरकने पर मजबूर कर दिया. मुझे याद है जब मैं छोटी थी तब मेरा पहला स्टेज परफ़ॉर्मेंस ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां’ था और मुझे लगता है कि मेरी तरह और भी कई लड़कियां होंगी जिन्होंने इस गाने पर एक बार तो ज़रूर डांस किया होगा. कहीं न कहीं उन्होंने हमारे बचपन को संगीत से भर दिया और हमें खुलकर डांस करना सिखाया. इनका चुलुबुला अंदाज़ और संजीदा एक्टिंग भुलाए नहीं भूली जा सकती है.

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आज भी जब फ़िल्म सदमा देखती हूं तो आंखें नम हो जाती हैं और फ़िल्म चालबाज़ चेहरे पर मुस्कान ले आती है. ‘लम्हें’ की वो संजीदा श्रीदेवी हों या ‘इंग्लिश-विंग्लिश’ में घरेलू महिला का किरदार निभाने वाली श्रीदेवी. इन्होंने अपने किरदार से बस लोगों को प्रेरित ही किया है.

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भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित श्रीदेवी को करियर के दौरान चांदनी, हवा हवाई और रूप की रानी के नाम से भी जाना गया. सबके दिलों में बसी श्रीदेवी के सक्सेसफ़ुल करियर को एक बार इन तस्वीरों के ज़रिए दोबारा जीते हैं और उनसे रू-ब-रू होते हैं.

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