भारतीय सिनेमा के मशहूर लेखक, गीतकार, शायर और डायरेक्टर गुलज़ार (Gulzar) आज अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं. गुलज़ार एक ऐसे जीनियस हैं जिनकी कलम से निकला हर एक शब्द दिल की गहराईयों में उतर जाता है. वो एक शब्द में न जाने कितनी बातें कह जाते हैं. अक्सर उनका लिखा एक-एक शब्द मुर्दे में भी जान डालने का काम करता है. चाहे फ़िल्मों में उनके लिखे बेहतरीन गाने हों या दिल को छू जाने वाली ख़ूबसूरत कविताएं, गुलज़ार साहब का जवाब नहीं.
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What is Gulzar Real Name
गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के झेलम ज़िले में स्थित दीना गांव में हुआ था. ये इलाक़ा अब पाकिस्तान में है. लेकिन सन 1947 के बंटवारे के बाद उनका पूरा परिवार अमृतसर आ गया और गुलज़ार साहब दिल्ली में पढ़ाई करने लगे. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो रोजी-रोटी कमाने के लिए मुंबई चले आए और फिर हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए. शुरुआत में उन्हें जीवनयापन के लिए कार मैकेनिक तक का काम करना पड़ा. काफी संघर्षों के बाद उन्हें 1963 में आई फ़िल्म ‘बंदिनी’ में गीतकार के तौर पर ब्रेक मिला जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी.
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पिता नहीं चाहते थे वो राइटर बने
गुलज़ार साहब के पिता और भाई नहीं चाहते थे कि वो राइटिंग का काम करें. लेकिन उन्हें बचपन से लिखने का बेहद शौक था. वो बचपन में जब घर पर राइटिंग का काम करते तो उन्हें बहुत डांट पड़ती थी. इसी वजह से वो कई बार अपने पड़ोसी के घर जाकर लिखने की प्रैक्टिस किया करते थे. लेकिन आज अपनी लिखन की इसी कला के चलते वो भारतीय सिनेमा की आन, बान और शान बन चुके हैं.
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फ़िल्मों और गीतों से जीता दिल
गुलज़ार साहब के ‘तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी’, ‘तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिक़वा तो नहीं’, ‘आने वाला पल जाने वाला है’, ‘मुसाफ़िर हूं यारो’ जैसे मिठास भरे गाने हों या फिर ‘चप्पा-चप्पा चरखा चले’, ‘बीड़ी जलाइले जिगर से पिया’ और ‘नमक इश्क़ का’ जैसे तड़कते-भड़कते गाने वो हर फ़न में माहिर हैं. गुलज़ार साहब केवल एक लेखक, गीतकार और शायर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन डायरेक्टर भी रहे हैं. ‘मेरे अपने’, ‘आंधी’, ‘अंगूर’, ‘इजाज़त’, ‘परिचय’, ‘मौसम’, ‘लिबास’, ‘ख़ुशबू’, ‘नमकीन’, ‘मीरा’, ‘किनारा’ और ‘माचिस’ उनकी बेहतरीन फ़िल्मों में से एक हैं.
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कैसे पड़ा ‘गुलज़ार’ नाम
गुलज़ार साहब का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है. दरअसल, उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले ही अपना नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा से गुलज़ार दीनवी कर लिया था. उनका परिवार दीना नामक क़स्बे (जो अब पाकिस्तान में है) से था. इसलिए उन्होंने अपने नये नाम में दीनवी जोड़ा था. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने नाम से ‘दीनवी’ निकाल दिया और बस ‘गुलज़ार’ नाम से मशहूर हो गए. गुलज़ार का मतलब ऐसी जगह जहां गुलाबों/फूलों (गुलों) का बाग़ हो.
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गुलज़ार साहब की पर्सनल लाइफ़ की बात करें तो उन्होंने सन 1973 में एक्ट्रेस राखी (Rakhi) से शादी की थी. लेकिन ये शादी महज 1 साल के भीतर ही टूट गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों अलग रहने लगे लेकिन उन्होंने आज तक एक दूसरे से तलाक नहीं लिया. इन दोनों की एक बेटी है जिनका नाम मेघना गुलज़ार (Meghna Gulzar) है. मेघना मशहूर बॉलीवुड डायरेक्टर हैं.
गुलज़ार साहब को हिंदी सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2002), पद्म भूषण (2004), अकादमी पुरस्कार (2008) ग्रैमी अवार्ड (2010) और साल 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार में मिल चुका है.
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