90 के दशक में बॉलीवुड में कुमार सानू, अलका याग्निक, उदित नारायण, अनुराधा पौड़वाल, विनोद राठोर, कविता कृष्णमूर्ति और अभिजीत भट्टाचार्या अपनी ज़बरदस्त सिंगिंग के लिए काफ़ी मशहूर थे. इनके अलावा अलीशा चिनॉय, बाबा सहगल, फाल्गुनी पाठक, लकी अली, सुनीता राव, दलेर मेहंदी जैसे इंडिपेंडेंट सिंगर्स भी लोगों के बीच काफ़ी पॉपुलर थे. 90s के इन महारथियों के बीच एक ऐसा सिंगर भी था जिसने इंडियन और वेस्टर्न शैली के गानों से म्यूज़िक को इंटरेस्टिंग बना दिया था. इस सिंगर का नाम रेमो फर्नांडीस (Remo Fernandes) है.
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इंडियन पॉप म्यूज़िक के टॉप सिंगर्स में शुमार Remo Fernandes पॉप/रॉक/इंडियन फ्यूजन के साथ ही बॉलीवुड फ़िल्मों में प्लेबैक सिंगिंग के लिए भी जाने जाते हैं. रेमो ने कोंकणी और पुर्तगाली संगीत के मिक्सर से एक यूनीक म्यूज़िक बनाया, जो उनके गानों में भी नज़र आता है. इसके अलावा उन्होंने अपनी दुनिया भर में यात्राओं के दौरान सेगा संगीत (मॉरीशस और सेशेल्स), अफ़्रीकी संगीत, लैटिन संगीत (स्पेन और दक्षिण अमेरिका), पूर्व यूरोपीय कम्युनिस्ट राज्यों का संगीत, जमैका और सोका (त्रिनिदाद) समेत अलग-अलग देशों के म्यूज़िक भी सीखा है. इसीलिए उनका संगीत अलग-अलग देशों की संस्कृतियों और शैलियों से भरा है.
असल ज़िंदगी में कौन हैं रेमो?
रेमो फर्नांडीस (Remo Fernandes) का जन्म 8 मई, 1953 को गोवा के पंजिम शहर में हुआ था. उनका पूरा नाम लुइस रेमो डी मारिया बर्नार्डो फर्नांडीस है. अब उनके पास पुर्तगाली नागरिकता है. रेमो एक कैथोलिक फ़ैमिली से ताल्लुक रखते हैं. इसलिए घर में हमेशा से ही वेस्टर्न म्यूज़िक को ज़्यादा पसंद किया जाता था. रेमो को बचपन से ही म्यूज़िक का शौक था. 15 साल की उम्र तक वो केवल वेस्टर्न म्यूज़िक ही सुनते रहे. वो अपने स्कूल में गिटार बजाने के लिए मशहूर थे. रेमो की बहन बेलिंडा ब्राज़ीलियन सिंगर हैं.
रेमो फर्नांडीस स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद मुंबई शिफ़्ट हो गये. मुंबई के सर जे. जे. कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री हासिल की. वो मुंबई इसलिए भी आये थे ताकि पढ़ाई के साथ-साथ अपने म्यूज़िक के शौक को भी पूरा कर सकें. इसके बाद उन्होंने म्यूज़िक बनाने के साथ-साथ गाने लिखने भी शुरू कर दिए. इस दौरान उन्होंने अलग अलग बैंड्स के साथ भी काम किया, जिसमें बॉम्बे के टॉप बैंड में से एक ‘द सैवेज’ भी था. 1970 के दशक तक रेमो ने मुंबई में मशहूर होना शुरू कर दिया था. सन 1975 में उनकी पहली एल्बम ‘ओड टू द मसीहा’ रिलीज़ हुई.
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इसके 10 साल बाद सन 1985 में रेमो फर्नांडीस (Remo Fernandes) को श्याम बेनेगल की फ़िल्म Trikal में गाना गाने का मौक़ा मिला. इसके बाद सन 1987 में Jalwa फ़िल्म के 3 गानों ‘इस जादू के डंडे में’, टेड़ा मेड़ा मैं’, ‘देखो देखो ये है जलवा’ में रेमो ने आवाज़ दी थी. लेकिन केवल ‘देखो देखो ये है जलवा’ सॉन्ग ही हिट हो पाया. इसके बाद बॉलीवुड में रेमो की डिमांड बढ़ने लगी.
90s में रेमो के ये सॉन्ग काफ़ी मशहूर थे
अगर आप भी 90s का दौर जिए हैं तो आपने रेमो फर्नांडीस (Remo Fernandes) के गाने ज़रूर सुने होंगे. 90 के दशक में रेमो काफ़ी मशहूर थे. यूथ के बीच उनके गाने काफ़ी पॉपुलर थे. ख़ासकर ‘हम्मा हम्मा’, ‘अफ़लातून अफ़लातून’, ‘प्यार तो होना ही था’, ‘ओ मेरी मुन्नी, मुन्नी मुन्नी बेबी’, ‘Maria Pita Che’, ‘Take Me to Calcutta’ और ‘Bombay City’ समेत कई गाने काफ़ी हिट रहे.
Oh My Munni Munni Munni Maby
Humma Humma
Pyaar To Hona Hi Tha
रेमो अब कहां हैं और क्या कर रहे हैं?
रेमो फर्नांडीस (Remo Fernandes) अब 69 साल के हो चुके हैं. रेमो ने साल 2001 में सुनील शेट्टी की फ़िल्म ‘इत्तेफ़ाक़’ में ‘बॉम मत मार’ गाना गया था. इसके बाद वो इंडस्ट्री से ग़ायब हो गये. आख़िरकार 12 साल बाद साल 2013 में उन्हें बॉलीवुड फ़िल्म ‘डेविड’ और ‘लव यू सोनियो’ में गाना गाने का मौका मिला. साल 2015 में उन्होंने अनुराग कश्यप के फ़िल्म ‘बॉम्बे वेलवेट’ में एक्टिंग भी की थी. साल 2016 में रेमो अपने परिवार के साथ पुर्तगाल में बस गये.
Love U Soniyo
Maria Pitache
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