Pratima Kazmi: भारी आवाज़ और तेज़ तर्रार नैन नक़्श वाली प्रतिमा काज़मी या प्रतिमा कनन सिर्फ़ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि अभिनय की पूरी यूनिवर्सिटी हैं. प्रतिमा ने सबसे ज़्यादा नेगेटिव रोल किए हैं और उन किरदारों में ऐसी जान फूंकी है कि लगता ही नहीं वो अदाकारी कर रही हैं. हालांकि, मीडिया में उनके बारे में कम ही देखने और सुनने को मिलता है, जिसकी वजह उन्होंने मायापुरी को दिए एक इंटरव्यू में बताई थी, ‘मीडिया को स्टार चाहिए एक्टर नहीं.

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Pratima Kazmi

वैसे ये दर्द सिर्फ़ प्रतिमा जी का ही नहीं है, ज़्यादातर थियेटर आर्टिस्ट इसी दर्द से गुज़रते हैं अच्छा काम करने के बाद भी पहचान को मोहताज रहते हैं. मगर प्रतिमा काज़मी (Pratima Kazmi) किसी पहचान की मोहताज़ नहीं हैं. इनका हर एक रोल यादगार है चाहे वो उतरन की नानी का हो या इतिहास की ख़बरी का और चाहे गदर: एक प्रेम कथा का छोटा सा रोल. 

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प्रतिमा काज़मी ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1997 में इंग्लिश फ़िल्म Sixth Happiness से की थी, जिसे डायरेक्टर वारिस हुसैन ने प्रोड्यूस किया था, इसमें प्रतिमा काज़मी ने Brothel Madam का किरदार निभाया था. हालांकि, प्रतिमा ने कई सकारात्मक रोल किए हैं, लेकिन इन्हें पहचना नेगेटिव रोल्स से ही मिली है. यहां तक कि Star Screen Awards में पहला नॉमिनेशन भी बेस्ट नेगेटिव रोल के लिए था. इस फ़िल्म का नाम था, वैसा भी होता है पार्ट 2.

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प्रतिमा काज़मी (Pratima Kazmi) ने फ़िल्मों और धारावाहिक में काम करके लोगों का दिल जीता है. इनकी हस्की और भारी आवाज़ किसी भी डायलॉग में जान फूंक देती है. आज भले ही वो कई फ़िल्में और धारावहिक कर चुकी हूं, लेकिन इसकी शुरुआत के पीछे का क़िस्सा बहुत ही दिलचस्प है. जो उन्होंने ख़ुद बताया है,

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मैंने हायर सेकेंडरी पास की थी, उस समय मेरी उम्र महज़ 16-17 साल की थी. मुजे उन दिनों गाने का शौक़ था क्योंकि मैं अच्छा गा लेती ती. मेरी एक दोस्त जो एन एस डी रिपेट्री में काम करती थी, उसने मुझे बताया कि, थियेटर में नाटक चल रहा है, जिसमें एक लड़की ज़रूरत है जो अच्छा गाती हो. उसने मेरे कहने पर मेरी मम्मी को बताया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. हालांकि, उसे लगा था कि मैं क्रिश्चियन हूं तो मेरे घर में सब खुले ख़्याल होंगे और मुजे नाटक में काम करने के लिए हां कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

-प्रतिमा काज़मी

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आगे बताया,

फिर बाद में उसने किसी तरह से मम्मी को मना लिया और मैं उसके साथ गई, जिस नाटक के लिए मैं गई थी उसके डायरेक्टर बी एम शाह थे, उन्होंने मुझे पहले गाने के लिये कहा फिर मुझे कुछ डायलॉग दिए, तो मैंने गाने के साथ-साथ उस नाटक में एक्टिंग की और बीएम शाह को मेरा गाना और एक्टिंग दोनों पसंद आया, उन्होंने मुझसे कहा कि तुम पैदायशी कलाकार हो और मुझे फ़ौरन रिपेट्री जॉइन कर लेनी चाहिए. इस तरह मेरे करियर की शुरुआत हुई.

-प्रतिमा काज़मी

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आपको बता दें, इतिहास के बाद प्रतिमा काज़मी ने स्वाभिमान, सात फेरे, जब लव हुआ, कम्माल, केसर, मन की आवाज़ प्रतिज्ञा, सिया के राम और उतरन जैसे कई धारावाहिकों में काम किया. इसके साथ-साथ फ़िल्म ‘दुश्मन’ से बॉलीवुड में एंट्री मारी. फिर पिंजर, बंटी और बबली, मुंबई एक्सप्रेस, गदर: एक प्रेम कथा, दबंग 3, बदलापुर, एक हसीना थी सहित कई फ़िल्मों में दमदार अभिनय किया. फ़िलहाल प्रतिमा दगंल टीवी के धारावाहिक नथ ज़ेवर या ज़ंजीर में नज़र आ रही हैं. इन्होंने ‘भाभी जी घर पर हैं’ में कैमियो रोल भी निभाया है.

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अभिनय की क्लास नहीं पूरी पाठशाला होने के बाद भी प्रतिमा काज़मी कहीं न कहीं उस नाम और पहचान से दूर हैं, जो उन्हें इन 25 सालों में मिलना चाहिए था.