बॉलीवुड में सलीम-जावेद (Salim Javed) की आइकॉनिक जोड़ी ‘अंदाज़’, ‘सीता और गीता’, ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘दीवार’, ‘ज़ंज़ीर’, ‘शक्ति’, ‘शान’ और ‘मिस्टर इंडिया’ सरीखी कई सुपरहिट फ़िल्मों के लिए जानी जाती है. साल 1971 से 1987 के बीच सलीम-जावेद की इस आइकॉनिक जोड़ी ने 24 फ़िल्मों की कहानी लिखी. ये वो दौर था जब बॉलीवुड का हर निर्माता-निर्देशक सलीम-जावेद की कहानी पर फ़िल्म बनाना चाहता था, लेकिन ये जोड़ी केवल नामचीन निर्माता-निर्देशकों के साथ ही काम किया. लेकिन एक वक़्त ऐसा आया जब ये जोड़ी हमेशा-हमेशा के लिए टूट गई.
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सलीम-जावेद की इस आइकॉनिक जोड़ी के दोनों किरदार आज अपनी-अपनी ख़ासियतों की वजह से बॉलीवुड में मशहूर हैं. सलीम यानी सलीम ख़ान आज इंडस्ट्री में स्क्रीन राइटर, एक्टर और फ़िल्म प्रोड्यूसर के तौर पर जाने जाते हैं, जबकि इस जोड़ी के दूसरे स्तंभ जावेद यानी जावेद अख़्तर हैं. जावेद अख़्तर कवि, गीतकार और स्क्रीन राइटर के तौर पर मशहूर हैं.
जावेद अख़्तर (Javed Akhter) ने हाल ही में BBC को दिए एक इंटरव्यू के दौरान ‘सलीम-जावेद’ की आइकॉनिक जोड़ी टूटने का ख़ुलासा किया था. इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड की उस सच्चाई का भी ज़िक्र किया जिसका शिकार हर युवा एक्टर, डायरेक्टर और राइटर बनता है.
जावेद अख़्तर ने इस इंटरव्यू के दौरान बॉलीवुड में अपने और सलीम ख़ान के संघर्ष का ख़ुलासा भी किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि, वो लेखक और गीतकार बनने से पहले फ़िल्म निर्देशक बनना चाहते थे. साल 1966 की फ़िल्म ‘सरहदी लुटेरा’ में बतौर सहायक निर्देशक और संवाद लेखक काम भी कर चुके थे. इसी दौरान उनकी मुलाक़ात सलीम ख़ान से हुई, जो इस फ़िल्म में ‘मुराद’ नाम का लीड रोल निभा रहे थे.
सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर दोनों को ही एक्टिंग और डायरेक्शन के अलावा लिखने का भी काफ़ी शौक था. फ़िल्म इंडस्ट्री में होने की वजह से इनकी छोटी-छोटी से मुलाक़ातें पहले दोस्ती और फिर गहरी में बदल गई. इसके बाद ये दोनों साथ रहने लगे और फ़िल्मों के लिए कहानी लिखने लगे. इस तरह से साल 1971 में बॉलीवुड को सलीम-जावेद के रूप में एक शानदार जोड़ी मिली. इस जोड़ी की पहली फ़िल्म राजेश खन्ना स्टारर ‘हाथी मेरे साथी’ थी.
सलीम-जावेद ‘स्टार जोड़ी’ का दर्जा हासिल करने वाले बॉलीवुड के पहले स्क्रीन राइटर थे. ये आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे सफल जोड़ी है. 17 सालों तक चली ‘सलीम-जावेद’ की इस जोड़ी ने कुल 22 हिंदी और 2 कन्नड़ फ़िल्मों की कहानी लिखी थी. इनमें से 20 फ़िल्में हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर थीं. इस जोड़ी ने 6 Filmfare Awards अपने नाम किए थे.
चलिए जानते हैं आख़िर कैसे टूटी थी सलीम-जावेद की ये अटूट जोड़ी?
जावेद अख़्तर ने सलीम ख़ान और अपनी दोस्ती को लेकर बताया कि, ‘सलीम साहब उन चंद लोगो में से जो मुझे बहुत इनकरेज करते थे. अगर शायद मैं कहीं और रह रहा होता तो इतनी मुलाक़ात न होती उनसे, लेकिन अब पास में मुझे मिल गया कमरा तो मैं अक्सर उनसे मिलने जाता था. इस तरह से हमारी दोस्ती और गहरी हो गई’.
सलीम-जावेद की जोड़ी टूटने की असल वजह
जावेद अख़्तर ने कहा कि, ‘शुरुआत में जब हम नाकाम थे और संघर्ष कर रहे थे, तो बिलकुल एक थे. हमारे कोई और दोस्त नहीं थे, हम दोनों ही बैठ के सुबह से शाम तक काम करते थे. शाम को भी साथ थे, रात का खाना भी साथ ही होता था. ये मान के चलो कि दिन के 24 घंटों में से 15-16 घंटे हम साथ होते थे, लेकिन जब हम सफल हो गए, तो हमारा व्यक्तिगत जीवन हमारी दोस्ती सा बड़ा बन गया. क़ामयाबी मिलने के बाद नए-नए लोग ज़िंदगी में आना शुरू हो गए और हमारा सर्कल धीरे-धीरे अलग हो गया. हमारा जो मानसिक तालमेल था पूरी तरह से वो टूट गया. हम अब एक टीम के रूप में काम नहीं कर सकते थे’.
सलीम-जावेद की जोड़ी टूटने के बाद सलीम ख़ान ने फ़िल्मों की कहानी लिखना बेहद कम कर दिया और केवल 10 फ़िल्मों की कहानी ही लिख सके. जबकि जावेद अख़्तर ने फ़िल्मों के साथ-साथ लिरिक्स लिखने भी शुरू कर दिए. इस सुपरहिट जोड़ी की आख़िरी फ़िल्म Mr. India थी.
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