काफ़ी समय से अभिनेता विद्युत जामवाल की फ़िल्म ‘ख़ुदा हाफ़िज़’ की चर्चा हो रही थी. लंबे इंतज़ार के बाद 14 अगस्त को फ़िल्म Disney+ Hotstar पर रिलीज़ कर दी गई. फ़िल्म में विद्युत जामवाल लीड रोल में थे. इसलिये दर्शकों को इससे काफ़ी उम्मीदें थीं. 2 घंटे 13 मिनट की फ़िल्म में दर्शक हर एक पल अभिनेता विद्युत के एक्शन की राह देखते रहे, पर अफ़सोस इस बार हमें उनका एक्शन देखने को नहीं मिला. इसलिये आप ये फ़िल्म विद्युत जामवाल के एक्शन की आस लगा कर न देखे. कम अफ़सोस होगा. 

इसके अलावा फ़िल्म में कुछ ख़ामिया भी हैं. जैसे फ़िल्म की कहानी 2008 पर आधारित है, लेकिन टीवी शो पर 2019-20 की जीडीपी दिखाई जा रही है. फ़िल्म की कहानी भी बॉलीवुड की तमाम फ़िल्मों से मिलती-जुलती है. यूं कह लीजिये कि हम बड़े ही ऐसी फ़िल्में देख कर हुए हैं. चलिये एक बार फिर से दिमाग़ पर थोड़ा ज़ोर डालते हैं और ख़ुदा ऑफ़िज़ से मिलती-जुलती फ़िल्मों की कहानी पर नज़र डालते हैं. 

1. फ़िज़ा 

फ़िज़ा मूवी 2000 में आई थी. फ़िल्म के लीड एक्टर करिश्मा कपूर और ऋतिक रौशन थे. फिज़ा एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसका भाई 1993 के बंबई के दंगे के दौरान गुम हो जाता है. इसके बाद फ़िज़ा अपने भाई को वापस पाने के लिये सारी संभव कोशिश और संघर्ष करती है. 

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2. शिवाय 

शिवाय एक पर्वतारोही की कहानी है, जो कि पर्वतारोहियों के एक दल की काफ़ी मदद करता है. इस दौरान उसकी दोस्ती ओल्गा नामक लड़की से होती है. इनकी दोस्ती प्यार में बदलती है. इसके बाद वो गर्भवती हो जाती है. बच्चे को जन्म देते ही वो बुल्गारिया लौट जाती है और उसे कभी न देखने का प्रण लेती है. इधर शिवाय अपनी बेटी को पालने का निर्णय लेता है, जो जन्म से ही गूंगी होती है. गौरा नामक ये बच्ची जब 8 साल की होती है, तो अपनी मां से मिलने की ज़िद करती है. शिवाय और गौरा ओल्गा को ढूंढने निकलते हैं. इस बीच गौरा का अपहरण हो जाता है और यही से कहानी काफ़ी Predictable हो जाती है. 

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3. आ अब लौट चलें 

फ़िल्म रिलीज़ से पहले अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या राय की जोड़ी से काफ़ी उम्मीद थी. हांलाकि, फ़िल्म दर्शकों की उम्मीदों पर बिल्कुल खरी नहीं उतरी. फ़िल्म की स्टोरी एक ग्रेजुएट लड़के के ईद-गिर्द घूमती है. जो यूएस नौकरी की तलाश में जाता है. जहाँ उसकी मुलाकात उसके पिता से होती है जिसे सब लोग मृत समझते हैं. आगे की फ़िल्म बाकी फ़िल्मों की तरह ही आगे बढ़ती है और हैप्पी एंडिंग होती है. 

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4. बागी 3 

श्रद्धा कपूर, टाइगर श्रॉफ़ और रितेश देसमुख स्टारर इस फ़िल्म की कहानी भी काफ़ी आम थी. फ़िल्म में एक भाई अपने बड़े भाई को बचाने के लिये सीरिया पहुंचता है. इसके बाद वो साम, दाम और दंड-भेद अपना कर किसी तरह अपने भाई को बचाने के लिये अपनी ज़िंदगी तक जोख़िम में डाल देता है. 

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5. नाम 

ये फ़िल्म संजय दत्त की सुपरहिट फ़िल्मों में से एक है. फ़िल्म की कहानी दो भईयों की ज़िंदगी पर आधारित होती है. बड़ा भाई पैसे जोड़ कर छोटे भाई को दुबई भेजता है. पर वहां जाकर छोटा भाई ग़लत तरीक़े से पैसे कमाने में जुट जाता है. कई समय तक छोटे भाई की ख़बर न मिलने पर बड़ा भाई और मां परेशान हो जाती है. इसके बाद बड़ा भाई अपने भाई को ढूंढने के लिये हॉन्ग कॉन्ग जाता है और वहां शुरू होता है असल ड्रामा. 

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6. द गर्ल इन येलो बूट 

फ़िल्म में कल्कि कोचलिन, नसीरुद्दीन शाह, प्रशांत प्रकाश, गुलशन देवैया और पूजा ने अहम भूमिका निभाई है. फ़िल्म एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो मुंबई की गलियों में अपने पिता की तलाश करती रहती है. पिता को ढूंढने के लिये उसे उन तमाम समस्याओं से गुज़रना पड़ता है, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी. 

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7. पहाड़गंज 

 पहाड़गंज की कहानी स्पेन से आये एक शख़्स की ज़िंदगी पर आधारित है. वो शख़्स आखिरी बार पहाड़गंज में ही अपनी मंगेतर से बात करता है और उसके बाद रहस्‍यमयी ढंग से कहीं गायब हो जाता है.     

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इन सभी फ़िल्मों की कॉमन बात यही है कि इनके किरदार कहीं न कहीं किसी न किसी को ढूंढने निकले हैं. यही चीज़ हमें ख़ुदा हाफ़िज़ में भी देखने को मिली. हम सब विद्युत जामवाल और उनकी एक्टिंग के फ़ैन हैं. बस फ़िल्म कुछ ख़ास नहीं लगी. 

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