सड़कें शहर को राज्यों से, राज्यों को देश से और देश को दुनिया से जोड़ती हैं. कल्पना कीजिये अगर ये सड़कें न होती तो क्या होता? होना क्या है वही होता जो इस गांव के लोग करते हैं. क्या नहीं समझे… अरे दुनिया के नक़्शे पर एक ऐसा गांव भी है, जहां एक भी सड़क या पगडण्डी नहीं है. सरल शब्दों में कहा जाए तो ये पूरा गांव एक झील पर बसा हुआ है और लोगों को यहां आने-जाने के लिए नांव का इस्तेमाल करना पड़ता है. इसकी ख़ासियत ये है कि ये दुनिया भर के लिए ये एक बेहद ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल है. साल भर यहां पर्यटकों का तांता लगा रहता है.
तो चलिए अब तस्वीरों के ज़रिये जान लीजिये इस गांव की हर बात:
1. परियों की दुनिया से इस गांव को पर्यटक ‘दक्षिण का वेनिस’ या ‘नीदरलैंड का वेनिस’ नाम से भी जानते हैं.
2. सपनों से भी सुन्दर इस गांव की में चारों तरफ प्राकृतिक सुंदरता फैली हुई है. जिसे देखने के बाद कोई भी यहां से वापस नहीं जाना चाहता है.
3. इस गांव का नाम गिएथूर्न (Giethoorn) है और ये नीदरलैंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है.
4. चारों तरफ़ नहरों से घिरा होने के कारण ये गांव अलौकिक प्रतीत होता है.
5. सड़कें न होने के कारण इस गांव के लोगों को गाड़ी या बाइक की ज़रूरत नहीं होती. इसलिए यहां किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं है.
6. गिएथूर्न गांव में केवल नहरे हैं इसलिए यहां के लोग कहीं भी आने-जाने के लिए नावों या इलेक्ट्रिक मोटर का ही इस्तेमाल करते हैं.
7. आमने-सामने के घरों में जाने के लिए इन लोगों ने लकड़ी के छोटे-छोटे पुल बना रखे हैं.
आइये अब जानते हैं क्या है इन नहरों की कहानी:
गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां की ज़मीन दलदली मिट्टी और कई तरह की वनस्पतियों के मिश्रण से बनी है (जिसे पिट भी कहा जाता है). पिट को ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 1170 में आयी भयानक बाढ़ के कारण यहां बहुत ज़्यादा पानी इकट्ठा हो गया जिससे पिट बन गई थी. और जब यहां आकर लोगों ने बसना शुरू किया था, तो ईंधन के रूप में इस पिट का इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने खुदाई शुरू कर दी. सालों तक खुदाई होने के कारण यहां पानी इकठ्ठा होने लगा और घरों और गांव के चारों ओर नहरें बन गई. और अब इन नहरों की वजह से ये गांव दुनिया के ख़ूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक बन चुका है.
8. पता है इस गांव की स्थापना 1230 में हुई थी और इस गांव से 7.5 किलोमीटर लम्बी नहर निकलती है.
9. इस गांव का शुरुआती नाम ‘गेटेनहोर्न’ (Geytenhorn) था, जिसका मतलब होता है ‘बकरियों के सींग’. ये नाम इसलिए पड़ा था क्योंकि जब यहां लोगों ने खुदाई शुरू की, तो उनको बकरियों ने सींग मिले थे. कई सालों बाद ये नाम बदल कर गिएथूर्न (Giethroon) रख दिया गया.
10. ये गांव 1958 में उस समय लोगों की नज़रों में आया था, जब ‘बर्ट हांस्त्रा’ की एक डच कॉमेडी फ़िल्म ‘Fanfare’ की यहां पर शूटिंग हुई थी और तब से ही ये गांव फ़ेमस हो गया था.
11. लगभग 2600 की आबादी वाले इस गांव में 180 से ज़्यादा लकड़ी के पुल बने हुए हैं.
12. गांव का पूरा जनजीवन इलेक्ट्रिक नावों और साधारण नावों पर ही आश्रित है.
13. हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता को खुद में समेटे हुए इस गांव में साल भर पर्यटकों का आना जाना रहता है.
14. सर्दियों के मौसम में यहां का तापमान 1 डिग्री से भी कम हो जाता है, जिसके कारण यहां की नहरें जम जाती हैं. जो पर्यटकों को और अधिक लुभाती है.
गांव की और फ़ोटोज़ नीचे देखिये:
Source: dailymail & boredpanda