डबल ओ सेवेन यानी 007 का नाम सुनते ही फ़ेमस जासूस जेम्स बॉन्ड और उनकी फ़िल्मों की याद आ जाती है. ये उसका कोड नेम (Code Name) था जिससे उसकी एजेंसी उसे बुलाती थी. मगर क्या आप जानते हैं इस नंबर का एक इंडियन कनेक्शन भी है? ये कनेक्शन नेहरू परिवार से जुड़ा है. चलिए जानते हैं इन दोनों के रिश्ते के बारे में.

नेहरू और 007 का कनेक्शन जानने से पहले आपको देश की पहली जहाज़ बनाने वाली कंपनी Cochin Shipyard के बारे में जान लेना चाहिए. इसकी स्थापना 1972 में हुई थी और ये भारत में नए पानी के जहाज़ और उनकी मरम्मत का काम करती थी. इस कंपनी ने 1981 में अपने पहले जहाज़ रानी पद्मिनी(001 M.V Rani Padmini) को तैयार किया था. इसे बनने में 66 महीने लगे थे. 

ये भी पढ़ें:  नेहरू को गुलाब से इतना लगाव था कि उसे अपने अचकन पर हमेशा लगाये रहते थे. जानते हैं क्यों

wikimedia

कंपनी दिन रात तरक्की करती गई और तेज़ी से जहाज़ बनाने का कार्य भी होता रहा. अब ये ऑयल टैंकर वाले पानी के जहाज़ भी बनाने लगी थी. 1990 में इसने पहला ऑयल टैंकर तैयार किया था. 9 अक्टूबर 1990 को भारत के पास पहला स्वदेशी ऑयल टैंकर बनकर खड़ा था. अब बारी थी इसके नामकरण की. तब देश में कांग्रेस की सरकार थी तो नाम भी नेहरू परिवार के नाम पर रखे गए. 

ये भी पढ़ें:  जानिए आज़ाद भारत का पहला भाषण देने से पहले क्यों रोये थे पंडित जवाहर लाल नेहरू

vesselfinder

पहले ऑयल टैंकर का नाम 007.M.T. Motilal Nehru था. इसके बाद 1992 में दूसरा टैंकर तैयार हुआ इसका नाम 007.M.T. Jawaharlal Nehru रखा गया. मगर जिस तरह 007 जासूसी की दुनिया में कामयाब हुआ ये ऑयल टैंकर ज़्यादा कामयाब नहीं हुए. ये Single Hull और Non-coiled Tanker थे और ये सिर्फ़ तटीय इलाकों में ही तेल लाने ले जाने में सक्षम थे.   

opindia

इसलिए कुछ सालों बाद जब उन्नत क्षमता वाले ऑयल टैंकर आ गए तो इनका इस्तेमाल बंद कर दिया गया. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया(Shipping Corporation Of India) ने अपनी 2013-2014 की वार्षिक रिपोर्ट में इसका ज़िक्र किया था.