An Unknown Architect of Indian History: भारत अपनी प्राचीन संस्कृति और विरासत के लिए दुनियाभर में मशहूर है. इसके अलावा भारत अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए भी मशहूर है. यही वजह है कि हर साल दुनियाभर से लाखों पर्यटक भारत भ्रमण पर आते हैं. भारत में आज भी सैकड़ों साल पुराने कई ऐतिहासिक स्मारक हैं जो विदेशी पर्यटकों को लुभाने का काम करते हैं. इनमें ताजमहल, लाल क़िला, हुमायूं का मक़बरा, आमेर फ़ोर्ट, झांसी का क़िला समेत कई ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं. यूनेस्को भी इन स्मारकों को विश्व धरोहर घोषित कर चुका है. भारत की इन ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में तो हम सब कुछ जानते हैं, ताजमहल को किसने बनवाया था ये भी हर कोई जनता होगा, लेकिन इन स्मारकों को बनाने वाले आर्किटेक्ट कौन थे ये शायद ही कोई जनता होगा!

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आज हम आपको देश के 10 ऐसे ऐतिहासिक स्मारकों को डिज़ाइन करने वाले आर्किटेक्ट (An Unknown Architect of Indian History) के बारे बताने जा रहे हैं जिनकी इस कला को आज यूनेस्को भी ‘विश्व धरोहर’ घोषित कर चुका है.

1- ताजमहल (आगरा)

ताजमहल (Taj mahal) को पूरी दुनिया प्रेम के प्रतीक के रूप में जानती है. इसे मुग़ल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के लिए बनवाया था. दुनिया मुमताज के लिए शाहजहां के प्यार अटूट प्रेम की बात तो करती है, लेकिन इस ख़ूबसूरत इमारत को बनाने वाले वास्तुकार उस्ताद अहमद लहौरी (Ustad Ahmad Lahauri) को कोई नहीं जनता. अफ़गान-फ़ारसी वास्तुकार ‘उस्ताद अहमद लहौरी’ पाकिस्तान के लाहौर शहर से ताल्लुक़ रखते थे. उन्होंने ही इसे 1632 और 1648 के बीच मुगल सम्राट शाहजहां के शासन के दौरान बनाया था.

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2- हुमायूं का मक़बरा (दिल्ली) 

हुमायूं का मक़बरा (Humayun’s Tomb) दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और ख़ूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है. इसे मुग़ल बादशाह हुमायूं की पत्नी हाजी बेग़म ने उनकी याद में बनवाया था. इस ख़ूबसूरत मक़बरे को सन 1547 में वास्तुकार मिराक मिर्ज़ा घायथ (Mirak Mirza Ghiyath) द्वारा बनाया किया गया था.

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3- हवा महल (जयपुर)  

पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में वैसे तो एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक स्मारक हैं, लेकिन हवा महल (Hawa Mahal) जैसे दूजा कोई नहीं. गुलाबी और लाल सैंडस्टोन से बनेइस ख़ूबसूरत महल को सन 1799 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया था. लेकिन जिस व्यक्ति ने 953 खिड़कियों के साथ इस अनूठी पांच मंज़िला इमारत की योजना बनाई थी वो लालचंद उस्ताद (Lal Chand Ustad) थे. 

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4- राष्ट्रपति भवन (दिल्ली)

राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है. भारत देश राजधानी दिल्ली में स्थित ‘राष्ट्रपति भवन’ में कुल 340 कमरे हैं, ब्रिटिश काल के दौरान इसे ‘वाइसराय हाउस’ कहा जाता था. तब ये तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल का आवास हुआ करता था. ये विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के आवासों में सबसे बड़ा आवास है. विश्व प्रसिद्ध भारत के ‘राष्ट्रपति भवन’ का डिज़ाइन और निर्माण एड्विन लुटियंस (Edwin Lutyens) ने किया था. 

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5- गेटवे ऑफ़ इंडिया (मुंबई) 

मुंबई के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) को किंग जॉर्ज वी और क्वीन मैरी के स्वागत के रूप में बनया गया था. 31 मार्च 1911 को इसकी आधारशिला रखी गई थी, जबकि सन 1914 में इसे मंज़ूरी दी थी. इंडोसरैसेनिक शैली में निर्मित इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण कार्य 1924 में पूरा हुआ था. इसके आर्किटेक्ट जॉर्ज विटेट (George Wittet) थे.

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6- लाल क़िला (दिल्ली) 

भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक लाल क़िले (Red Fort) का निर्माण सन 1638 मुगल सम्राट शाहजहां ने करवाया था. ये एक ज़माने में मुग़ल सम्राट का निवास स्थान हुआ करता था. दिल्ली में स्थित ये स्मारक आज संग्रहालय के साथ-साथ पर्यटकों को देश की ऐतिहासिक विरासत का अनुभव देता है. ताजमहल की तरह ही लाल क़िला भी उस्ताद अहमद लाहौरी (Ustad Ahmad Lahauri) द्वारा ही डिज़ाइन किया गया था.

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8- इंडिया गेट (दिल्ली) 

इंडिया गेट (India Gate) एक युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता है. इसे 12 फ़रवरी 1931 को ‘प्रथम विश्व युद्ध’ में शहीद हुये भारतीय सैनिकों की याद में बनवाया गया था. इस पर 82,000 सैनिकों के नाम लिखे गए हैं. राष्ट्रपति भवन की तरह ही इंडिया गेट को भी सर एडविन लुटियन (Sir Edwin Lutyens) द्वारा डिजाइन किया गया था.  

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9- मैसूर पैलेस (मैसूर)

मैसूर पैलेस (Mysore Palace) शहर के प्रमुख ऐतिहासिक महल है. ये किसी ज़माने में मैसूर के शाही परिवार का आधिकारिक निवास हुआ करता था. इसका निर्माण कार्य 1897 में शुरू हुआ था और ये 1912 में बनकर तैयार हो गया था. इस ख़ूबसूरत महल के वास्तुकार हेनरी इरविन (Henry Irwin) थे.

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10- लोटस टेंपल (दिल्ली)

दिल्ली के कालकाजी इलाक़े में स्थित लोटस टेंपल (Lotus Temple) को बहाई उपासना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कमल के फूल के आकर की वजह से इसे ‘लोटस टेंपल’ कहा जाता है. बहाई समुदाय के इस मंदिर की ख़ासियत ये है कि यहां किसी भी धर्म का इंसान आकर अपने ईश्वर की आराधना कर सकता है. इसका निर्माण सन 1986 में किया गया था. इसे कई वास्तुशिल्प पुरस्कार जीत चुके आर्किटेक्ट फ़रिबोर्ज़ साहबा (Fariborz Sahba) ने बनाया था.

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