Bhatner Fort In Rajasthan: भारत ऐतिहासिक क़िलों और इमारतों का देश है. यहां पर प्राचीन संस्कृति के एक से बढ़कर एक उदाहरण मिल जाएंगे. सभी क़िले और इमारतें अपने अंदर कई राज़ और वीर गाथाएं समेटे हैं. इनका इतिहास भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इन क़िलों की संरचना भी अद्भुत है, जिसकी कारीगरी देख लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं. वैसे तो भारत में ऐसे कई क़िले हैं, जिनपर कई बार आक्रमण हुए हैं, लेकिन इनमें से एक क़िला ऐसा है जिसका नाम इतिहास के पन्नों में सबसे ज़्यादा बार आक्रमण हुए क़िले की लिस्ट में शामिल है.
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आइए इस क़िले के बारे में जानते हैं कि ये कौन-सा क़िला है और कहां पर है?
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ये क़िला राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित है और इसका नाम भटनेर क़िला (Bhatner Fort In Rajasthan) है. घग्घर नदी पर बने इस क़िले का निर्माण भाटी वंश के राजा भूपत सिंह ने 285 ईस्वी में कराया था. भाटी वंश के राजा के वंश के नाम पर ही इस क़िले का नाम ‘भटनेर किला’ पड़ा. इसका मतलब है ‘भाटी का क़िला’.
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हालांकि, इसे ‘हनुमानगढ़’ कहा जाता है, क्योंकि साल 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने इस क़िले को भाटियों से जीत लिया था, जिस दिन उन्हें जीत मिली थी वो मंगलवार का दिन था और इस दिन को हनुमान जी का दिन मानते हैं इसलिए इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया.
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भारत के सबसे पुराने क़िले में से एक ये क़िला क़रीब 1735 साल पुराना है. इसके अंदर हनुमान मंदिर, शिव मंदिर सहित कई मंदिर हैं. इसमें शेरशाह सूरी की कब्र के साथ-साथ सुरंग भी है, जो भटनेर से भठिंडा और सिरसा के क़िलों तक जाती थीं. इस क़िले का निर्माण पक्की ईंटों और चूने से किया गया था. इसके चलते इसे इतिहास का सबसे मज़बूत क़िला भी माना जाता है.
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इतना ही नहीं, इसकी मज़बूती का ज़िक्र तैमूरी राजवंश के शासक तैमूरलंग ने अपनी जीवनी ‘तुजुक-ए-तैमूरी’ (Tuzak-I-Timuri) में भी किया है. तैमूर ने इसे हिंदुस्तान का सबसे मज़बूत क़िला बताते हुए लिखा है कि, भटनेर जैसा मज़बूत क़िला उसने अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं देखा है.
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साथ ही, अकबर महान ने अपनी पुस्तक ‘ऐन-ए-अकबरी’ में इसका वर्णन किया है. इसके बाद, क़िला 1527 तक भाटियों, जोहियाओं और चायलों के कब्ज़े में रहा, जब इसे बीकानेर के राव जेट सिंह ने ले लिया था. चायल और बीकानेर के शाही परिवारों के कब्ज़े के अलावा, ये दो बार मुगल नियंत्रण में भी आया. शोधकर्ताओं का मानना है कि, मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ी गई तराइन की प्रसिद्ध दूसरी लड़ाई ज़िले के वर्तमान तलवारा झील क्षेत्र में हुई थी.
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आपको बता दें, इस क़िले पर अक़बर और पृथ्वीराज चौहान जैसे शासकों के अलावा विदेशी आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने भी राज किया. गजनवी ने 1001 ईस्वी में इस क़िले पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद, 13वीं शताब्दी में ग़ुलाम वंश के शासक शेर ख़ां ने भी इस पर हुक़ुमत की. इस क़िले में शेर खां की भी कब्र है. तो वहीं 1398 में इस क़िले पर तैमूरलंग का शासन था.