Biggest Communal Riots in India : सिनेमा न सिर्फ़ मनोरंजन, बल्कि जनसंचार का एक ऐसा प्रभावी माध्यम है, जिसके ज़रिए आम जनता तक कोई भी बात बड़े आसानी से पहुंचाई जा सकती है. ये इसका प्रभाव ही है कि ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ फ़िल्म के ज़रिए लोग 1990 की उस दिल दहला देने वाली घटना की हक़ीक़त आज जाकर समझ पाए हैं. कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ क्या-क्या ज़्यादतियां की गईं थीं, वो इस फ़िल्म में बिना डरे दिखाया गया है. 

वहीं, कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार की घटना के अलावा भी भारतीय इतिहास में कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिनका पूरा सच शायद उतने साफ़ तरीक़े से आम जनता के सामने नहीं आ पाया है. ऐसे में, ऐसी घटनाओं पर भी सच उगलती फ़िल्में बनाई जा सकती हैं. वैसे ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड में नीचे बताई जा रही जैसी घटनाओं पर फ़िल्में नहीं बनी है, लेकिन आधे-अधूरे सच के साथ और कुछ काल्पनिक कहानियां जोड़कर ही अब तक दिखाया गया है. इसके पीछे फ़िल्म निर्माताओं की अलग-अलग वजहें रही होंगी.    

आइये, बताते हैं आपको भारतीय इतिहास की 10 ऐसी घटनाओं (Biggest Communal Riots in India) के बारे में जिनका पूरा सच फ़िल्म के ज़रिए सामने रखा जा सकता है, जैसा ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के ज़रिए प्रयास किया गया है.  

1. 2002 के गुजरात दंगे 

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भारतीय इतिहास के सबसे बड़े सांप्रदायिक दंगों में इसका भी नाम शामिल है. ये घटना उस समय की है जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें बैठे कई कार सेवकों की जान चली गई थी. वहीं, डिब्बे में क़रीब 59 लोग मौजूद थे. इसके बाद गुजरात के विभिन्न जगहों में दंगे भड़कने शुरू हुए, जिसमें क़रीब 1044 लोग मारे गए थे. इनमें क़रीब 790 मुस्लिम थे, जबकि 254 हिन्दू. वहीं, मामले में 450 से ज़्यादा लोगों को दोषी ठहराया गया था. वहीं, दंगों को लेकर मौजूदा सरकार पर ये आरोप लगता रहा था कि दंगों को शांत कराने में उचित कदम नहीं उठाए गए थे. 

2. बाबरी मस्जिद कांड  

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Biggest Communal Riots in India : इसे भारत का सबसे विवादित कांड माना जाता है. ये घटना 6 दिसंबर 1992 की है, जब कार सेवकों के एक बडे़ हुजूम ने कथित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद (अयोध्या) को ढहा दिया था. इस घटना के बाद देश में हिंसा भड़की और जिसमें हज़ारों लोगों की जान भी गई थी. मामले को लेकर कई एफ़आईआर भी कई गईं और कुल 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व कल्याण सिंह जैसे नाम थे. बाबरी मस्जिद का मामला काफ़ी समय तक टला रहा और अंत में 28 साल बाद फैसला सामने आया. अदालत ने बाबरी मंदिर की ज़मीन पर राम मंदिर बनाने का फ़ैसला सुनाया था. वर्तमान में राम मंदिर बनाने का कार्य जारी है.  

3. मुज़फ्फ़रनगर के दंगे  

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मुज़फ्फ़रनगर के दंगों की घटना साल 2013 में ज़िले के कवाल गांव से शुरू होती है. 27 अगस्त 2013 में इस गांव के तीन युवकों की हत्या कर दी गयी थी. बीबीसी के अनुसार, पहले शाहनवाज़ नाम के लड़के की, फिर सचिन और फिर गौरव. इस घटना के बाद ज़िले में जगह-जगह दंगे भड़के और दंगों की आग में क़रीब 60 से ज़्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और साथ ही हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था.  

4. नोआखाली दंगे  

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Biggest Communal Riots in India : ये भी भारत के सबसे बड़े नरसंहार में गिना जाता है, जब Direct Action Day की वजह से बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में दंगे भड़के थे. ये घटना साल 1946 की है. दंगे इतने तीव्र थे के ये कोलकाता से नोआखाली और फिर बिहार तक पहुंच गए थेफ़र्स्टपोस्ट वेबसाइट के अनुसार, इसमें अर्ध-संगठित नरसंहार, बलात्कार और अपहरण को अंजाम दिया गया था. माना जाता है कि इसमें क़रीब 5 हज़ार लोगों की जान गई थी. वहीं, कई हिन्दू महिलाओं का बालात्कार किया गया था. साथ ही उन्हें अपनी ज़मीनों से बेदखल कर दिया गया था. 

5. 1984 के दंगे  

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ये भी भारतीय इतिहास के सबसे बड़े नहसंहारों में गिना जाता है. 1984 के दंगों को सिख विरोधी दंगे या 1984 का सिख नरसंहार भी कहा जाता है. इस नरसंहार की मुख्य वजह थी इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या. देश के विभिन्न जगहों में सिखों को मारने का अभियान चलाया गया था. वहीं, माना जाता है कि इस नरसंहार में 3 हज़ार से ज़्यादा सिख मारे गए थे. वहीं, कई सिखों को अपने मूल स्थान से दूसरी जगहों पर पलायन करना पड़ा था.  

6. 1969 के गुजरात दंगे 

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Biggest Communal Riots in India : गोधरा कांड से पहले भी गुजरात में एक और बड़ा सांप्रदायिक दंगा हो चुका है. इसे 1969 के गुजरात दंगे के नाम से जाना जाता है. इसमें बड़े स्तर पर नरसंहार, आगजनी और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया गया था. जानकारी के अनुसार, इस दंगे में क़रीब 630 लोग मारे गए थे. वहीं, 1 हज़ार से ज़्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे. साथ ही कई हज़ार लोगों को अपनी संपत्ति से हाथ धोना पड़ा था.    

7. भागलपुर के दंगे 

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बिहार का भागलपुर भी एक बड़े नरसंहार का गवाह रह चुका है. 1989-90 के बीच यहां बड़े स्तर पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए थे. वहीं, माना जाता है कि ये दंगे क़रीब 6 महीने तक चले थे. इस दंगे में 194 गांव प्रभावित हुए थे और 1100 से ज़्यादा लोगों की जान गई थी.  

8. 1998 चंबा नरसंहार 

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ये घटना 3 अगस्त 1998 की है, जब कश्मीरी मिलिटेंट्स द्वारा हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में 35 हिंदूओं को मार दिया गया था. वहीं, 11 लोग गंभीर रूप से जख़्मी हुए थे.

9. कंधमाल दंगे  

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Biggest Communal Riots in India : इसे भी भारतीय इतिहास बड़े दंगों में गिना जाता है. ये घटना तब की है जब साल 2008 में आरएसएस के स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या कर दी गई थी. इसके पीछे ईसाई मिशनरियों व माओवादियों के होने की बाद कही गई थी. इसके बाद ईसाइयों को खिलाफ़ हमले किए गए. हमलों में क़रीब 38 लोग मारे गए और 25 हज़ार से ज़्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा.

10. 1987 हाशिमपुरा नरसंहार  

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22-23 मई 1987 को उत्तरप्रदेश के मेरठ के पास हाशिमपुरा और नज़दीक़ी इलाक़े मलियाना में 100 से ज़्यादा मुसलमानों को पुलिस की गोलियों ने भून दिया था. मरने वालों में अधिकतर नौजवान थे. बीबीसी के अनुसार, हाशिमपुरा से क़रीब 50 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें पीएसी ने ग़ाज़ियाबाद ज़िले के दो स्थानों (गंग नहर और हिंडन नदी) पर ले जाकर गोली मारकर बहा दिया था.