Dandpatta : भारत को वीरों की भूमि कहा जाता है. वहीं, इतिहास के विभिन्न कालखंडों में भारत के वीर सपूत ये साबित भी करते आए हैं. इतिहास खंगाले, तो पता चलेगा कि भारत की भूमि पौराणिक काल से महान युद्धों की गवाह रही है. महाराणा प्रताप, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक व महाराजा छत्रपति शिवाजी जैसे पराक्रमी राजा भारत की भूमि से ही जन्मे थे.
चलिए विस्तार से जानते हैं Dandpatta के बारे में.
‘दांडपट्टा’
दांडपट्टा (Dandpatta) एक घातक तलवार थी, जिसपर मराठा योद्धाओं का अच्छा नियंत्रण बताया जाता था. वहीं, ये मराठाओं के मुख्य हथियारों में भी शामिल थी. जानकारी के अनुसार, इस हथियार को चलाने का मराठाओं के पास काफ़ी अनुभव था. वहीं, कहा जाता है कि इस ये तलवार बाकी तलवारों से लंबी और लचीली हुआ करती थी, इसलिए हर कोई इसे नियंत्रित नहीं कर पाता था, केवल अनुभवी योद्धा ही इस घातक तलवार को नियंत्रित कर सकते थे.
तलवार की ख़ास बनावट
Dandpatta तलवार की बनावट आम तलवारों से काफ़ी अलग थी. जानकारी के अनुसार, इस तलवार की लंबाई क़रीब 44 इंच तक होती थी. वहीं, इसका एक बड़ा हैंडल भी हुआ करता था. जहां बाकी तलवारों के हैंडल खुले होते थे, वहीं दांडपट्टा (Dandpatta) का हैंडल ढका हुआ होता था. इस लोहे के दस्ताने लगी तलवार भी कहते थे. ये तलवार योद्धाओं के हाथों के पंजे के साथ कलाई को भी सुरक्षित रखने का काम करती थी. वहीं, इसकी ब्लेड लंबी होने के साथ-साथ लचीली भी हुआ करती थी. इसके चलाने के लिए कलाई अहम भूमिका निभाया करती थी.
तलवार का इस्तेमाल
माना जाता है कि इस घातक तलवार (Dandpatta) का इस्तेमाल आमतौर पर ढाल या किसी अन्य दांडपट्टा के साथ किया जाता था. वहीं, इसे भाला या कुल्हाड़ी के साथ भी उपयोग में लाया जा सकता था. वहीं, इसका इस्तेमाल काटने के लिए ज़्यादा किया जाता था. इसकी अच्छी पड़क तलवारधारी को फ़ुर्ती से लड़ने के लिए सक्षम बनाती थी. वहीं, कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल मराठाओं के अलावा राजपूत योद्धाओं व मुग़लों ने भी किया था.
क्या है इस तलवार का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि Dandpatta का निर्माण मध्यकालीन भारत के दौरान किया गया था. वहीं, इसका ज़्यादातर उपयोग 17वीं से लेकर 18वीं शताब्दी तक किया गया, जब मराठा साम्राज्य प्रमुखता में आया था. ऐसा कहा जाता है कि जब अफ़जल खान के अंगरक्षक बड़ा सैय्यद ने प्रतापगढ़ की लड़ाई में शिवाजी पर तलवार से हमला किया, तब शिवाजी महाराज के अंगरक्षक जीवा महल ने बड़ा सैय्यद (Bada Sayyad) को बुरी तरह मारा और दांडपट्टा से उसका एक हाथ काट दिया था. हालांकि, इस तथ्य से जुड़े सटीक प्रमाण का अभाव है.