Facts About Indus Valley Civilization: सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु सभ्यता स्थल अफ़गानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत तक पाए जाते हैं. आज हम आपको 5 हज़ार साल पुरानी इस सभ्यता से जुड़े कुछ बेहद रोचक फ़ैक्ट्स बताएंगे.

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Facts About Indus Valley Civilization

1. अपने वक़्त से काफ़ी आगे थी सिंधु सभ्यता

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सिंधु सभ्यता के लोग काफ़ी एडवांस और तकनीकि तौर पर सक्षम थे. हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की बनावट तो वाक़ई चौंकाने वाली है. लगभग सभी शहर एक ही पद्धति से बने थे. टाउन प्लानिंग अकेले शहरों तक सीमित नहीं थी, प्रत्येक शहर और गांव एक ही ग्रिड पैटर्न से बने थे और प्रत्येक घर का निर्माण एक ही आकार के ईंट से होता था. सभी घरों के लिए ईंटें समान थीं. यहां समकोण पर एक-दूसरे को कांटती सड़के थीं और बेहतरीन जल निकासी की व्यवस्था थी. यहां का ड्रेनेज सिस्टम भी बहुत अच्छा था. शहरों में योजनाबद्ध तरीके से ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण किया गया था. कुछ घर तो ऐसे बने थे, जो नैचुरली एयर-कंडीशनर का काम करते थे. ऐसे में मालूम पड़ता है कि कोई न कोई ऐसी शासन व्यवस्था ज़रूर थी, जो चीज़ों को व्यवस्थित रूप से लागू करने का काम कर रही थी.

2. बड़ा स्नानागार

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मोहनजोदड़ों से एक बड़ा स्नानागार पाया गया है, जिसे ‘द ग्रेट बाथ’ नाम दिया गया. मोहनजोदड़ो में विशाल स्नानागार 11.88 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा है. प्रवेश द्वार के रूप में दो चौड़े सीढ़ियां थीं, तालाब में एक छेद भी है जहां से पानी निकलता है. सभी दीवारों को जिप्सम प्लास्टर के साथ पतले ईंटों और मिट्टी से बनाया गया था. ये स्नानागार शायद धार्मिक प्रयोजनों हेतु उपयोग में लाया जाता था. 

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3. शिल्पकारी में भी कुशल थे 

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सिंधु घाटी के लोगों का इंजीनियरिंग कौशल सबसे अच्छा माना जाता है. उन्हें धातु विज्ञान का ज्ञान था, जिसकी बदौलत उन्होंने तांबा, कांस्य, टिन, और सीसा जैसे तत्वों का उत्पादन किया. यहां से खुदाई के दौरान विभिन्न मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, सोने के गहने भी मिले हैं. उन्होंने गले के हार और चूड़ियां बनाई थीं. यहां धातुओं, कांच, शंख, सीलिंग-मोम और हाथी दांत से चूड़ियां बनती थीं. यहां तक उसी तकनीक का इस्तेमाल आज भी चलन में है. मोहनजोदड़ों से मिली डांसिंग गर्ल की मूर्ति सिंधु काल के लोगों के अद्भुत शिल्प कौशल का सुबूत है.

4. पहचान के लिए मुहर का करते थे इस्तेमाल

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सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मेसोपोटामिया और मिस्र के साथ भी व्यापार करते थे. इतिहासकारों का मानना है कि उस वक़्त के लोग ट्रेडिंग ट्रांसपोर्ट के लिए पहिये का इस्तेमाल भी करते रहे होंगे. साथ ही, उन्होंने सामान की पहचान के लिए मुहरों का इस्तेमाल किया था. उन मुहरों पर उस वक़्त की भावचित्रात्मक लिपि खुदी हुई थी, जिसे आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. मुहरों में बहुत सारे जीव, जानवर, लोग या देवता बने होते थे. उनमें से सबसे प्रसिद्ध पशुपति मुहर है. माना जाता है कि इस मुहर एक योगी की बैठी हुई आकृति संभवतः शिव पशुपति को दर्शाती है. वो चार पशुओं से घिरे हुए हैं – एक गैंडा, एक भैंस, एक हाथी और एक बाघ.

5. बटन का भी इस्तेमाल होता था

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सिंधु सभ्यता के लोगों बटन भी बनाए थे. समुद्री सीपों से बने बटन का उपयोग ज्यादातर सजावटी सामग्री के रूप में किए जाते थे. बटनों को अलग-अलग आकृतियों में बनाया गया था और धागे के साथ कपड़ों में इसे लगाने के लिए इसमें छेद भी दिए गये थे. सबसे पुराना बटन मोहनजोदड़ो में खोजा गया था, जो लगभग 5000 वर्ष पुराना बताया जाता है. (Facts About Indus Valley Civilization)

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6. आर्टीफ़िशियल डॉकयार्ड

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सिंधु घाटी सभय्ता के दौरान गुजरात का लोथल एक बंदरगाह शहर था. इसे काफ़ी सुनियोजित ढंग से बनाया गया था, ताकि बाढ़ से शहर बचा रहे. शहर को 1-2 मीटर ऊंचे ब्लॉकों में विभाजित किया गया, प्रत्येक ब्लॉक में 20 से अधिक घर थे. पुरातत्वविद एस.आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर 1954 से 1963 के बीच कई हड़प्पा स्थलों की खोज की, जिनमें में बंदरगाह शहर लोथल भी शामिल है. यहां एक आर्टिफ़िशियल डॉकयार्ड का निर्माण किया गया था. पुरातत्वविदों ने इसे ‘उच्चतम क्रम की इंजीनियरिंग उपलब्धि’ के रूप में भी लेबल किया है.

7. सटीक माप तकनीक का विकास

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सिंधु घाटी के लोगों को नापतौल का अच्छा ज्ञान था. सिन्धु घाटी सभ्यता की नापतौल प्रणाली कितनी परिष्कृत थी ये इसी से पता चलता है कि उस काल में भवन निर्माण के लिए प्रयोग की जाने वाली ईंटों की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई की माप सुनिश्चित थी जो कि 4:2:1 के अनुपात में होती थीं. वैज्ञानिकों ने उस समय उपयोग होने वाले कुछ माप यंत्रों की खोज की है, जिनका उपयोग लम्बाई नापने, वजन तौलने आदि में किया जाता था. नाप-तौल के कई मानक भी निर्धारित किये गये थे, 0.005 इंच को सटीकता से नापा जा सकता था. यही नही, पुरातत्वविदों को कुछ पत्थर के क्यूब्स भी मिले हैं जो की स्पष्ट रूप से वज़न तौलने के लिए तैयार किये गये हैं, जिनसे 0.05 से लेकर 500 यूनिट तक के भार को तौला जा सकता है.

8. दुनिया के पहले दंत चिकित्सक

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भले हमें आज दन्त चिकित्सा जैसा कार्य आधुनिक और नये ज़माने का लगे, मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हड़प्पा काल से कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जो बताते हैं की उस समय में भी लोगों की इसकी जानकारी थी. मेहरगढ़, पाकिस्तान के दो लोगों के अवशेषों का अध्ययन करने वाले पुरातत्वविदों ने पाया कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग, शुरुआती हरप्पन काल से ही आद्य-दंत चिकित्सा (proto-dentistry) के ज्ञानी थे. बाद में मेहरगढ़ में ही पुरातत्वविदों को मानव दांतों के ड्रिलिंग का पहला सुबूत भी मिला था.

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9. 50 लाख से भी अधिक आबादी थी

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सिंधु घाटी सभ्यता की कुल आबादी पांच लाख से अधिक थी. ज़्यादातर लोग कारीगर और व्यापारी थे. नदी किनारे होने से यहां कभी अन्य की कमी नहीं हुई. यहां के लोग काफ़ी शांति पसंद भी थे. पुरातत्वविदों को कभी भी यहां युद्ध या हिंसा का कोई सुबूत नहीं मिला. यही वजह है कि यहां की आबादी 50 लाख से भी ज़्यादा हो गई थी.

सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ?

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सिंधु सभ्यता का अंत कैसे हुआ, ये सवाल आज भी रहस्य बना हुआ है. किसी को नहीं मालूम कि इतनी समृद्ध सभ्यता अचानक कैसे ख़त्म हुई. वहां रहने वाले नागरिकों का क्या हुआ इस बारे में भी कोई ठोस जानकारी नही मिलती. कुछ लोग कहते हैं कि उनकी सैन्य रणनीतियों की कमी के कारण मध्य एशिया से इंडो-यूरोपीय जनजाति के आर्यों ने उन पर हमला किया. कुछ लोग बाढ़ और भूकंप को भी वजह मानते हैं. ये भी कहा जाता है कि प्राकृतिक बदलावों के चलते यहां के लोग दूसरी जगह बस गए. मगर पुख़्ता तौर पर सिंधु सभ्यता के अंत के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसक रहस्य आज भी बरक़रार है.  

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