Feroze Gandhi: आज भी भारत के अधिकतर लोगों को यही मालूम है कि फ़िरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के पति थे. लेकिन फ़िरोज़ केवल इंदिरा के पति ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और पत्रकार भी थे. फ़िरोज़ गांधी ने ही ‘द नेशनल हेराल्ड’ और ‘द नवजीवन’ न्यूज़ पेपर प्रकाशित किए थे. सन 1950 और 1952 के बीच प्रांतीय संसद के सदस्य के रूप में कार्य किया और बाद में भारत की संसद के निचले सदन ‘लोकसभा’ के सदस्य के रूप में कार्य किया.
ये भी पढ़ें: संजय गांधी के वो 8 बेबाक़ फ़ैसले जिनके आगे इंदिरा गांधी को भी होना पड़ा था मजबूर
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_b79ba6d5-52b8-48e7-989a-e3db261e6957.jpg)
असल में कौन थे फ़िरोज़ गांधी?
फ़िरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) का जन्म 12 सितंबर, 1912 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था. उनका असली नाम फ़िरोज़ जहांगीर घांडी था. दरअसल, फ़िरोज़ गांधी को कई चीज़ों के लिए याद किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. गांधी परिवार से जुड़ने से पहले फ़िरोज़ गांधी को ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में भागीदारी के चलते कई बार जेल भी जाना पड़ा था. फ़िरोज़ गांधी को आज भी भारत का सबसे अच्छा खोजी सांसद कहा जाता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_cb0d18fc-2488-47b8-b1bc-1cdc8d936675.jpg)
फ़िरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) को सन 1930 में फ़ैज़ाबाद की जेल में लाल बहादुर शास्त्री के साथ 19 महीने के लिए क़ैद किया गया था. नेहरू के साथ मिलकर काम करते हुए उन्हें 1932 और 1933 में दो बार क़ैद हुई. इसके बाद वो नेहरू परिवार के क़रीब आ गए, ख़ासकर इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू के. सन 1933 में, फ़िरोज़ ने इंदिरा को शादी का प्रस्ताव दिया, लेकिन कमला नेहरू ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि इंदिरा अभी केवल 16 साल की हैं. सन 1936 में कमला नेहरू के निधन के बाद इंदिरा और फ़िरोज़ की क़रीबी बढ़ गई. इसके बाद मार्च 1942 में उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर ली.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_9f892104-e7de-49b0-8771-7db99385ccb0.jpg)
नेहरू ने किया ‘इंदिरा-फ़िरोज़’ की शादी का विरोध
जवाहरलाल नेहरू ने ‘इंदिरा-फ़िरोज़’ की शादी का विरोध किया, लेकिन महात्मा गांधी ने संपर्क नेहरू को मना लिया. इसके बाद अगस्त 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान इंदिरा-फ़िरोज़ को गिरफ़्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया. जेल से निकलने के बाद फ़िरोज़ गांधी और इंदिरा गांधी भारत की आज़ादी के साथ-साथ देश की राजनीति में भी कदम रखने की तयारी में भी लग गए. फ़िरोज़ गांधी को जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण और संसद की कार्यवाही की रिपोर्ट करने पर मीडिया को मानहानि और मानहानि के मुकदमों से बचाने के लिए बने क़ानून को लाने के लिए भी जाना जाता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_920bd24d-4d4d-42e3-a78b-436692f56562.jpg)
LIC-Mundhra Scam का किया पर्दाफ़ाश
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_405ceff0-91fe-4a5c-ac01-bb1076bf714c.jpg)
ये भी पढ़ें: इंदिरा गांधी की इन 20 Black & White फ़ोटोज़ में उनकी ख़ूबसूरती, तेज और आत्मविश्वास की झलक है
दरअसल, बात सन 1957 की है. इस दौरान फ़िरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) को वित्त मंत्रालय के एक घोटाले के बारे में पता चला कि LIC ने भारी मात्रा में कांग्रेस के क़रीबी उद्योगपति हरिदास मुंध्रा के स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयरों को ख़रीदा है. इस बात ने उन्हें संसद के प्रश्नकाल के दौरान हस्तक्षेप करने और एक विशेष बहस के लिए प्रेरित किया. लेकिन वित्त मंत्री की असहमतिपूर्ण प्रतिक्रिया ने फ़िरोज़ को पूरी तरह से सतर्क कर दिया, बावजूद इसके उन्होंने इस मुद्दे पर विशेष बहस की मांग की.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_2268e86e-7be7-4f77-adb3-41706525dfd5.jpg)
क्या था LIC-Mundhra Scam?
कहानी ये थी कि हरिदास मुंध्रा एक संदिग्ध रिकॉर्ड वाला व्यवसायी था, जिसने कांग्रेस के ‘चुनाव अभियान’ को वित्तीय समस्याओं में फंसाया था. बावजूद इसके मुंध्रा ने सरकार से अपनी कुछ कंपनियों के शेयरों में 1 करोड़ रुपये के निवेश करने की मांग की थी. हालांकि, ‘मुंध्रा कंपनियों’ में से कोई भी अच्छा काम नहीं कर रही थी, लेकिन सरकार LIC के माध्यम से ऐसा करने के लिए सहमत हो गई. इस दौरान जब बातचीत चल रही थी तब मुंद्रा ने ‘कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज’ में अपनी ख़ुद की कंपनी के शेयर खरीदे और अपने शेयरों की क़ीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ा दी. इसके बाद जब LIC बाज़ार में गया, तो उसने उन्हें क़ीमतों में काफ़ी शेयर ख़रीद लिए. इससे सरकार को करोड़ों का नुक्सान हुआ था. इसे ही LIC-Mundhra Scam कहा जाता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_15ee12f7-a006-4bc4-a6bb-22f0572c1cf7.jpg)
दरअसल, नेहरू सरकार को बेनकाब करने के लिए फ़िरोज़ गांधी काफ़ी समय से मुंद्रा की कंपनियों के शेयर की क़ीमतों पर नज़र रखे हुये थे. इस बीच वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामाचारी ने इस सौदे का बचाव करने की कोशिश की कि LIC ने अपने पोर्टफ़ोलियो के निर्माण के लिए बाज़ार में प्रवेश करने का फ़ैसला किया और इसलिए सरकार ने इन शेयरों को ख़रीदा है. इस पर फ़िरोज़ गांधी ने कृष्णामाचारी से पूछा कि ‘आपने मुंध्रा की कंपनियों के शेयर बढे हुए दामों पर क्यों ख़रीदे? जबकि बाद में LIC द्वारा ख़रीदे गये इन शेयरों की क़ीमतें काफ़ी कम हो गईं थी. इस तरह से सार्वजनिक धन बर्बाद क्यों किया’?. वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामाचारी के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं था.
Feroze Gandhi
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/06/62bacfcfebb8c700018d20a3_a3b0693d-98da-42ed-92b2-b39bfb51bb92.jpg)
ये भी पढ़ें: जज जगमोहनलाल, जिन्होंने कोर्ट में कह दिया था, ‘इंदिरा गांधी के आने पर कोई खड़ा नहीं होगा’
फ़िरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) के इस साहसिक कदम ने जवाहरलाल नेहरू को जांच के लिए एक आयोग का गठन करने के लिए मजबूर किया. इसी आयोग ने वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामाचारी को संदिग्ध निर्णय के लिए नैतिक रूप से ज़िम्मेदार ठहराया, जो उनके इस्तीफ़े का कारण भी बना. इसके बाद भी फ़िरोज़ गांधी ने कई अन्य मुद्दों पर सरकार को चुनौती देना जारी रखा. अंततः 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली के विलिंगडन हॉस्पिटल में फ़िरोज़ गांधी का निधन हो गया.