भारत में बुलेट बाइक कितनी पसंद की जाती है इस बात को साबित भारतीय सड़कें आसानी से कर देंगी. बुलेट का अपना ही अलग टशन है. जब भी सड़क पर बुलट निकलती है अधिकतर लोगों की नज़र इस पर ज़रूर पड़ती है. इसे शान की सवारी कहा जाता है. इसकी डुग-डुग-डुग-डुग आवाज़ दूर से ही सुनाई देती है. वैसे क्या आप जानते हैं बुलेट की शुरुआती कहानी जानते हैं? क्या आप जानते हैं इसे सबसे पहले फ़ौज़ियों के लिए तैयार किया गया था. आइये, आपको इस लेख के ज़रिए बताते हैं बुलेट की शुरुआती कहानी.  

सुई बनाने वाली कंपनी 

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आपको जानकर हैरानी होगी कि ताक़तवर बाइक्स बनाने वाली रॉयल एनफ़ील्ड की पैरंट कंपनी एक सुई बनाने वाली कंपनी थी. जिस शख़्स ने इस सुई के बिजनेस की शुरुआत की थी उसका नाम था George Townsend. वहीं, कहा जाता है कि किसी अज्ञात कारण की वजह से जार्ज को ये बिजनेस बंद करना पड़ा. सुई बनाना तो बंद हुआ, लेकिन कंपनी बंद नहीं हुई. 

जॉर्ज के बेटे ने जिनका नाम भी जॉर्ज था उन्होंने इस कंपनी को दोबार से शुरु किया और अब सुई की जगह साइकिल के पार्ट्स बनाए जाने लगे. इसके बाद 1886 तक आते-आते पूरी साइकिल इस कंपनी ने बनाना शुरु कर दिया था. 

बनने लगीं मोटर गाड़ी  

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कहते हैं कुछ आर्थिक दिक़्क़तों की वजह से जॉर्ज को किसी दूसरी कंपनी के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ी. हालांकि, स्थितियां और गंभीर होती चली गई हैं और कंपनी को बेचना पड़ गया. Financiers Albert Eadie और R.W Smith इस कंपनी के नए मालिक बने. वहीं, 1896 में कंपनी को नया नाम दिया गया The New Enfield Cycle Company Limited. 

कहते हैं कि 1898 में इस कंपनी ने कुछ नया आइडिया सोचा और चार चक्कों वाली साइकिल बना डाली. प्रयोग बढ़ते गए और इसका एक रिज़ल्ट ये निकला की कंपनी ने 1901 में मोटर से चलने वाली साइकिल बना डाली, जिसमें Minerva कंपनी का 239CC का इंजन लगा हुआ था.  

फ़ौजियों ने किया पहला इस्तेमाल  

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ये मोटर बाइस सबसे पहले फ़ौजियों के लिए बनाई गई. कहते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ़्रांस, और रूस की सेनाओं को इस माटर बाइक की सप्लाई की गई थी. हालांकि, तब तक बुलेट बाइक नहीं बनी थी. माना जाता है कि 1932 में बुलेट मोटरसाइकिल का निर्माण किया था. वहीं, कहते हैं कि कंपनी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मिलिट्री बाइक के साथ-साथ जनरेटर, साइकिल व एंटी-एयरक्राफ़्ट गन का भी निर्माण किया था. 

भारत में बुलेट बाइक

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जानकर हैरानी होगी कि भारत में बुलेट को सेना के लिए मंगवाया गया था. जानकारी के अनुसार, भारतीय बॉर्डर की निगरानी के लिए मिलिट्री बाइक्स की ज़रूरत थी. इसलिए, 1954 में एनफ़िल्ड को 800 बुलेट बाइक का ऑर्डर दिया गया था. वहीं, कहते हैं बाद में पुलिस के लिए भी बुलेट मंगवाई गईं थी. 

हालांकि, भारत के लिए दूसरी बुलेट की खेप पहुंचाना उतना आसान नहीं था, इसलिए कंपनी ने निर्णय लिया कि भारत में ही एक असेंबली यूनीट तैयार की जाए. 1955 में Redditch Company ने मद्रास मोटर्स कंपनी के बीच पार्टनरशिप हो गई और फलस्वरूप आगे चलकर भारत में बुलेट असेंबल यूनिट की शुरुआत हुई. 

जब पूरी तरह भारत की हुई रॉयल एनफ़ील्ड  

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लोगों के बीच लोकप्रिय होने की वजह से Royal Enfield UK ने भारत में अपनी एक सहायक कंपनी खोली जिसका नाम रखा गया Enfield India ltd.. वहीं, 1960s के दौरान ही एनफ़ील्ड ने अपनी क्लासिक गाड़ियों का निर्माण शुरु कर दिया था. हालांकि, इस दौरान कंपटीशन काफ़ी बढ़ गया था. इसका परिणाम ये निकला कि 1970 तक ब्रिटेन में बुलेट का निर्माण बंद हो गया. वहीं, ब्रिटेन में ये कंपनी बंद हो गई. 

इसके बाद भारत में इसकी सहायक कंपनी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. वहीं, 1990 में Eicher ने Enfield India ltd. में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीद ली. वहीं, बाद में 1996 में Eicher ने पूरी तरह ही Enfield India ltd. को ख़रीद लिया और इस तरह इनफ़ील्ड भारतीय हो गई.