History of Chor Minar of Delhi: अपने शासनकाल के दौरान भारत में राज करने वाले कई शासकों ने भारत में ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण करवाया, जो आज भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल हैं. कुछ इमारतें तो ऐसी बनीं जिन्हें देखने के लिए आज विश्व भर से पर्यटकों का आगमन होता है. वहीं, सिर्फ़ दिल्ली में ही कई भव्य क़िले, मकबरों, मस्जिदों के साथ मीनारों का निर्माण करवाया गया था.
वहीं, मीनारों की बात करें तो दिल्ली स्थित क़ुतुब मीनार भारत की चुनिंदा ख़ास ऐतिहासिक आकर्षणों में गिनी जाती है. लेकिन, जानकर हैरान होगी कि दिल्ली में एक मीनार है, जिसके बारे में शायद अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं होगी. उस मीनार का नाम है चोर मीनार (History of Chor Minar of Delhi in Hindi).
इस ख़ास लेख में विस्तार से जानिए इस ऐतिहासिक और गुमनाम मीनार के बारे में.
दिल्ली की चोर मीनार
चोर मीनार दिल्ली के हौज खास क्षेत्र के औरंगज़ेब मार्ग पर स्थित है. माना जाता है कि ये मीनार 13 शताब्दी में बनाई गई थी और इसे बनवाने का श्रेय जाता है अलाउद्दीन खिलजी को, जो खिलजी राजवंश से संबंध रखता था.
History of Chor Minar of Delhi: अलाउद्दीन खिलजी जलालुद्दीन का भतीजा और दामाद था. उसने अपने ससुर को मार डाला और दिल्ली में अपनी सत्ता मजबूत की. खिलजी वंश ने 1290 के लेकर 1320 तक दक्षिण एशिया के एक बड़े हिस्से पर राज किया.
225 सुराख़ों वाली मीनार
History of Chor Minar of Delhi: इस मीनार में 225 सुराख़ हैं और कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल के दौरान चोरी और डकैती के दोषियों को मारकर उनका सिर इन सुराख़ों से लटका दिया जाता था. ऐसा इसलिए किया जाता था कि ताकि कोई भी अलाउद्दीन के खिलाफ़ बग़ावत न कर सके और डर के रहे. वहीं, सिरों की संख्या अगर सुराख़ों से ज़्यादा हो जाती थी, तो कम महत्वपूर्ण मृत व्यक्तियों के सिरों को मीनार के बाहर एक एक पिरामिड पर रख दिया जाता था.
इस मीनार को चोर मीनार के अलावा टावर ऑफ बिहेडिंग और चोरों का टावर के नाम से भी जाना जाता है.
मंगोलियों के सिर काटकर लटका दिए थे
History of Chor Minar of Delhi: ऐसा भी कहा जाता है कि अलाउद्दीन ने अपने शासनकाल के दौरान कई मंगलियों की हत्या करवाई थी, जिनका सिर काटकर चोर मीनार के सुराखों से लटका दिया गया था. कहते हैं कि मंगल आक्रमणकारियों से अलाउद्दीन की सेना को बहुत जूझना पड़ता था और कई बार उन्होंने अलाउद्दीन के हमले को विफल भी कर दिया था. वहीं, कहा जाता है कि अली बेग, तर्ताक और तारघी (वर्ष 1305) की छापेमारी के दौरान 8,000 मंगोल कैदियों को मार डाला गया था और उनके सिरों को सिरी फ़ोर्ट के चारों ओर मौजूद मीनारों पर लटका दिए गए थे.
हालांकि, इस मीनार के बनवाने का सही उद्देश्य के बारे में कहीं सटीक जानकारी नहीं मिलती है.
एक गुमनाम मीनार
History of Chor Minar of Delhi: इस मीनार के बारे में ज़्यादा लोगों को पता नही हैं. दिल्ली के हौज खास में स्थित ये मीनार दिल्ली घूमने आए पर्यटकों की नज़रों से दूर ही रहती है. लेकिन, बहुत से लोग हैं जिन्हें इसके बारे में जानकारी है वो वहां जाते हैं और तस्वीर क्लिक करवाते हैं. वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि ये जगह भुतहा भी है, हालांकि, इस विषय में सटीक कुछ नहीं कहा जा सकता है.