History Of Flour Sack Dresses in Hindi: इतिहास की घटनाओं पर जब हम नज़र डालते हैं, तो हमें कहीं दुख-तकलीफ़ नज़र आती है, तो कहीं गर्व का एहसास होता है. वहीं, कई घटनाएं हमें संवेदनाओं से भरी नज़र आती हैं, जिनके बारे में व्यक्ति सोचने पर मज़बूर हो जाए. इतिहास की एक ऐसी ही घटना हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है, जब ग़रीब बच्चों को आम कपड़ों की जगह आटे की बोरियां पहने देख मील मालिकों ने रंगीन फ़ैशनेबल बोरे (Flour Sack Dresses Images) बनाने शुरू कर दिये थे. आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी.
आइये, अब सीधा विस्तार से पढ़ते (History Of Flour Sack Dresses in Hindi) हैं ये आर्टिकल.
कॉटन की होती थी बोरियां
![Printed Cotton Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-2-7.jpg)
1800s के समय कई जगहों पर आटे समेत (History Of Flour Sack Dresses in Hindi) कई उत्पादों को आज की तरह जूट या प्लास्टिक के बोरों में पैक नहीं किया जाता था. उसकी जगह कॉटन यानी कपास का इस्तेमाल किया जाता था. कॉटन की ये बोरियां (Flour Sack Dresses Images) हल्की होती थी, इसलिये आटे की मीलों में इन्हें इस्तेमाल करने में कोई आपत्ति नहीं थी, क्योंकि इससे पहले वो लकड़ियों के बैरल का इस्तेमाल कर रहे थे, तो काफ़ी भारी हुआ करते थे.
घरों में इस्तेमाल होने लगे कॉटन बैग्स
![Flour Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-1-9.jpg)
History Of Flour Sack Dresses in Hindi: इन कॉटन बैग्स में पैक होने वाले सामानों के वितरकों यानी डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ-साथ घर की महिलाओं ने भी इन्हें उपयोगी पाया. घर में पहुंचने वाले इन बोरों का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल होने लगा था. घर की महिलाये इन बैग्स को काटकर डिश टॉवल बना लिया करती थीं. इसके अलावा, इन कॉटन बैग्स से खिड़कयां दरवाज़े साफ़ किये जा रहे थे. इन बैग्स में न सिर्फ़ आटा बल्कि चीनी, चिकन व कॉर्न मील आदि को पैक करके ग्राहकों तक पहुंचाया जाता था.
जब अमेरिका को सामना करना पड़ा मंदी का (The Great Depression)
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Printed Cotton Sack Dress in Hindi: 1929 से लेकर 1940s के शुरुआती समय में अमेरिका को बड़ी आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा, जिसे द ग्रेट डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता है. ये समय अमेरिका के लोगों के लिए बड़ा तकलीफ़ दायक था, क्योंकि संसाधनों की कमी हो गई थी और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. वहीं, इससे क़रीब 25 प्रतिशत बेरोजगारी भी बढ़ गई थी.
इसलिये, गृहणियां घर में मौजूद चीज़ों का हर संभव इस्तेमाल कर रहीं थी. इसी बीच गृहणियों ने उन कॉटन बैग्स का इस्तेमाल और भी कई तरीक़ों से करना शुरू कर दिया. अब उन कॉटन के बोरों से कपड़े, खिलौने, रजाई, पर्दे, तकिए, अंडरगारमेंट्स, डायपर, डिश टॉवल और भी बहुत कुछ बनाया जाने लगा.
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जब बनने लगीं प्रिंटेड ख़ूबसूरत आटे की बोरियां
![Printed Cotton Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/COTTON-SACK.jpg)
Printed Cotton Sack Dress in Amercia अपनी कॉटन की बोरियां का अलग-अलग तरीक़ों से लोगों द्वारा इस्तेमाल होते देख मील के मालिकों ने कुछ क्रिएटिव सोचा. उन्होंंने आम और सादे कॉटन के बोरों को प्रिंटेड और ख़ूबसूरत बोरों में बदल दिया. अब इन पर फूल, बॉडर डिज़ाइन, खिलौने और अन्य आकर्षक डिज़ाइन प्रिंट किये जाने लगे.
ये इसलिये भी था ताकि महिलाएं आपस में प्रिंटेट बोरियों की अदला-बदली कर सकें या उन्हें बेच सकें, ताकि उन तक उनकी पसंद का डिज़ाइन पहुंच सके.
कुछ ही वक़्त में लोकप्रिय हो गये ये प्रिंटेड बोरे
![Printed Cotton Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/flour-10.jpg)
Printed Cotton Sack Dress in Hindi : उस दौर में आटे की बोरियों से बनने वाले कपड़े तेज़ी से लोकप्रिय हो गए. महिलाएं अपने लिए सुंदर-सुंदर कपड़े बनाती थीं, साथ ही अपने बच्चों के लिए भी कपड़े बनाती थीं. मील मालिकों ने बोरों पर लेबल ऐसा लगाते थे कि वो एक धुलाई में आसानी से मीट जाए और उसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सके.
![Printed Cotton Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/flour-5.jpg)
सयम के साथ मील मालिक और नए डिज़ाइन के आटे के बोरे बना रहे थे, उनके लिए एक अच्छा वक़्त था कि महिलाएं आकर्षक डिज़ाइन के ज़रिये उनके उत्पादों को ख़रीदने में दिलचस्पी दिखाएं.
![Printed Cotton Sack](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/flour-4.jpg)
जानकर हैरानी होगी कि कपड़ों की बोरियों से पूरे परिवार के लिये कपड़े बनाये जाने लगे थे. ऐसा माना जाता है कि अमेरिका के ग्रेट डिप्रेशन की वजह से अनुमानित 3.5 मिलियन महिलाओं और बच्चों ने आटे के बोरे के कपड़े पहने थे. उस दौरान ये आम बन गया था कि क्योंकि उन ग़रीब परिवारों के पास और कोई चारा भी नहीं था. हालांकि, अब सब चीज़ बदल चुकी है. मील मालिकों ने पैकेज़िंग के और सस्ते विकल्प ढूंढ लिये हैं.
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