Poisonous Mahmud Begada: इतिहास कई शासकों की कायरता तो कई शासकों की वीरता का ग़वाह है. इसके पन्ने पर शौर्य गाथाएं भरी पड़ी हैं. इन शासकों और बादशाहों की बादशाहीयत के चर्चे भी ख़ूब होते रहे हैं. कभी इनकी रसोई की तो, कभी इनके हरम की, कभी इनके रहन-सहन की तो कभी इनके उदारता की. इतिहास ऐसी बातों से भरा पड़ा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आम जनता को भी इतिहास जानने में दिलचस्पी रहती है. इसीलिए हज़ारों सालों पहले के ये शासक आज भी हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाते हैं. फिर चाहे वो बच्चे की पढ़ाई में हो या बड़ों की दिलचस्पी में.
आज ऐसे ही एक शासक की बात करेंगे, जिसे ज़हरीला माना जाता था. इस शासक का नाम ‘महमूद बेगड़ा‘ (Poisonous Mahmud Begada) था, जिसका रहन-सहन और खान-पान काफ़ी भयभीत करने वाला था. आइए इसके बारे में जानते हैं.
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इतिहास के पन्नों पर महमूद बेगड़ा उर्फ़ महमूद शाह प्रथम बहुत ही विचित्र शासक था, जिसके बारे में सभी को चौंकाने वाला था. चाहे वो छोटी सी उम्र में गद्दी संभालना हो या ज़हर पीना. दरअसल, महमूद ने महज़ 13 साल की उम्र में गुजरात की गद्दी संभाल ली थी और 52 साल की उम्र तक शासन किया था. इस तरह से उसने 25 मई 1458 से 23 नवंबर 1511 तक गुजरात पर शासन किया.
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महमूद गुजरात का छठा सुल्तान था, जिसका पूरा नाम ‘अबुल फ़त नासिर-उद-दीन महमूद शाह’ प्रथम था. सुल्तान बनकर उसने गिरनार और चंपानेर को जीता, जिसके बाद उसे ‘बेगड़ा’ की उपाधि दी गई. फिर उसने चंपानेर को ही अपनी राजधानी बना लिया था.
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कहते हैं कि, महमूद बेगड़ा को किसी ने धोखे से मारने के लिए ज़हर पिला दिया था. बस तभी से उसने अपने खान-पान में ज़हर को शामिल कर लिया ताकि उसपर कोई ज़हर असर न करे. बचपन से ज़हर पीने की वजह से वो इतना ज़हरीला हो गया था कि, उसके ऊपर बैठते ही मक्खी तक मर जाती थी. इतना ही नहीं, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने वाली महिला की भी मौत हो जाती थी. उसकी मौत हो जाती थी. इस बात का ज़िक्र पुर्तगाली यात्री बाबोसा की किताब ‘द बुक ऑफ ड्यूरेटे बाबोसा वॉल्यूम 1‘ (The Book of Duarte Barbosa Volume 1) मिलता है.
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महमूद बेगड़ा एक दिन में 35 किलो तक खाना जाता था. ज़्यादा खाने की वजह से उसके बिस्तर के अगल-बगल खाने की चीज़ें रखी जाती थीं, जिससे उसे भूख लगे तो वो खा ले. इतना ही नहीं एक बार में 100 केले और शहद और मक्खन कटोरियों भर खा जाता था. खाने के अलावा, महमूद की बेगड़ा की दाढ़ी और मूछें इतनी बड़ी थीं कि वो देखने में भयानक लगता था. कहते हैं कि, इसके दरबार के सभी दरबारी भी महमूद की तरह ही वेशभूषा बनाकर रहते थे.
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आपको बता दें, गुजरात के पावागढ़ में कालिका माता मंदिर के शिखर को तोड़कर, महमूद बेगड़ा ने वहां पर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी थी. इसी मंदिर में पिछले साल 500 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्वज फहराया था.